जीसस ने क्रूस पर खून बहा कर मनुष्यों के पापों का प्रायश्चित किया
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ईस्टर की मूल भावना को समझने के लिए शुरुआत एक घटना से - गुड फ्राइडे के दिन चर्च में प्रार्थना चल रही थी। चर्च खचाखच भरा हुआ था। प्रार्थना की शुरुआत में पवित्र बाइबल से कुछ अंश पढ़े जाते हैं। उसके बाद फादर सरमन (उपदेश) देते हैं। फादर जैसे ही उपदेश देने के लिए खड़े हुए तो एक लड़का बूढ़ी महिला के साथ चर्च में आया। महिला से ठीक से चला भी नहीं जा रहा था। बहुतों ने उन्हें देखा लेकिन अपनी सीट से उठा कोई नहीं।
फादर ने मुझे पुकारा और कहा, मेरी कुर्सी इस महिला को दे दो। फादर का इतना कहना था कि कुछ युवाओं ने अपनी सीट छोड़ कर महिला को ऑफर की। मैंने कहा, बस एक ही कुर्सी चाहिए। फादर ने उपदेश शुरू करते हुए कहा कि हम यहां गुड फ्राइडे की प्रार्थना करने आए हैं। संडे को हम ईस्टर मनाएंगे।
क्या आपको पता है कि इनके पीछे भाव क्या है? ये हैं दया और क्षमा। एक बूढ़ी महिला चर्च में खड़ी है, वह चल नहीं पा रही है और हममें इतनी करुणा और दया नहीं कि उन्हें बैठने के लिये कह सकें। अपनी सीट दे सकें।
दया ही कारण : फादर ने कहा कि ईश्वर धरती पर क्यों आए? पवित्र बाइबल के अनुसार दुनिया में पाप इतना बढ़ गया था कि ईश्वर के पास दो ही विकल्प बचे थे। दुनिया का विनाश या फिर पापों का पछतावा। ईश्वर ने फैसला किया कि वह खुद इंसान का रूप धारण करके मनुष्य के पापों का पश्चाताप करेंगे और लोगों को जीने की राह दिखाएंगे।
ईस्टर का मतलब और महत्व : ईस्टर का महत्व दो तरीके से है। एक, जीसस ने लोगों को माफ करने का पाठ पढ़ाया। लोगों ने उन्हें सूली पर चढ़ा दिया। मगर मरने से पहले उन्होने सबको माफ कर दिया। जीसस ने क्रूस पर खून बहा कर मनुष्यों के पापों का प्रायश्चित किया। जीसस को जिस दिन सूली पर चढ़ाया गया, उसे गुड फ्राइडे कहा जाता है। इसके दो दिन बाद जीसस फिर से जीवित हो गए। इससे लोगों में नई उम्मीदें जागीं। इस दिन को ईस्टर कहते हैं।
अप्रैल में ही क्यों ईस्टर : वेटिकन में थीऑलजी में पीएचडी कर रहे फादर जान प़ॉल का कहना है कि इसके पीछे तर्क यह है कि जिस वक्त जीसस को पकड़ा गया, तब इस्राइल में सर्दी जाने और गर्मी के आने का वक्त था। यही कारण है वेटिकन मौसम और चांद के घटने-बढ़ने के अनुसार गुड फ्राइडे और ईस्टर का दिन तय करता है। ईस्टर आमतौर पर अप्रैल में आता है।
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ईस्टर की मूल भावना को समझने के लिए शुरुआत एक घटना से - गुड फ्राइडे के दिन चर्च में प्रार्थना चल रही थी। चर्च खचाखच भरा हुआ था। प्रार्थना की शुरुआत में पवित्र बाइबल से कुछ अंश पढ़े जाते हैं। उसके बाद फादर सरमन (उपदेश) देते हैं। फादर जैसे ही उपदेश देने के लिए खड़े हुए तो एक लड़का बूढ़ी महिला के साथ चर्च में आया। महिला से ठीक से चला भी नहीं जा रहा था। बहुतों ने उन्हें देखा लेकिन अपनी सीट से उठा कोई नहीं।
फादर ने मुझे पुकारा और कहा, मेरी कुर्सी इस महिला को दे दो। फादर का इतना कहना था कि कुछ युवाओं ने अपनी सीट छोड़ कर महिला को ऑफर की। मैंने कहा, बस एक ही कुर्सी चाहिए। फादर ने उपदेश शुरू करते हुए कहा कि हम यहां गुड फ्राइडे की प्रार्थना करने आए हैं। संडे को हम ईस्टर मनाएंगे।
क्या आपको पता है कि इनके पीछे भाव क्या है? ये हैं दया और क्षमा। एक बूढ़ी महिला चर्च में खड़ी है, वह चल नहीं पा रही है और हममें इतनी करुणा और दया नहीं कि उन्हें बैठने के लिये कह सकें। अपनी सीट दे सकें।
दया ही कारण : फादर ने कहा कि ईश्वर धरती पर क्यों आए? पवित्र बाइबल के अनुसार दुनिया में पाप इतना बढ़ गया था कि ईश्वर के पास दो ही विकल्प बचे थे। दुनिया का विनाश या फिर पापों का पछतावा। ईश्वर ने फैसला किया कि वह खुद इंसान का रूप धारण करके मनुष्य के पापों का पश्चाताप करेंगे और लोगों को जीने की राह दिखाएंगे।
ईस्टर का मतलब और महत्व : ईस्टर का महत्व दो तरीके से है। एक, जीसस ने लोगों को माफ करने का पाठ पढ़ाया। लोगों ने उन्हें सूली पर चढ़ा दिया। मगर मरने से पहले उन्होने सबको माफ कर दिया। जीसस ने क्रूस पर खून बहा कर मनुष्यों के पापों का प्रायश्चित किया। जीसस को जिस दिन सूली पर चढ़ाया गया, उसे गुड फ्राइडे कहा जाता है। इसके दो दिन बाद जीसस फिर से जीवित हो गए। इससे लोगों में नई उम्मीदें जागीं। इस दिन को ईस्टर कहते हैं।
अप्रैल में ही क्यों ईस्टर : वेटिकन में थीऑलजी में पीएचडी कर रहे फादर जान प़ॉल का कहना है कि इसके पीछे तर्क यह है कि जिस वक्त जीसस को पकड़ा गया, तब इस्राइल में सर्दी जाने और गर्मी के आने का वक्त था। यही कारण है वेटिकन मौसम और चांद के घटने-बढ़ने के अनुसार गुड फ्राइडे और ईस्टर का दिन तय करता है। ईस्टर आमतौर पर अप्रैल में आता है।