भोपाल @ toc news
अवधेश पुरोहित। भारतीय जनता पार्टी के नेता भले ही यह दावा करें कि भाजपा शासित केन्द्र की सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ी है तो वहीं मध्यप्रदेश के भाजपा नेता मुख्यमंत्री को सर्वाधिक लोकप्रिय मानते हैं यह अलग बात है तो कभी सिंहस्थ तो कभी प्रदेश में उद्योग लगाने के नाम पर समिटों के आयोजन के नाम पर विदेशों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी पकड़ बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किये हैं स्थिति यह है कि सिंहस्थ जो कि धार्मिक आयोजन है और जिस आयोजन के लिए कोई प्रचार-प्रसार की जरूरत नहीं है, लेकिन इस सिंहस्थ के प्रचार में ७० करोड़ रुपए खर्च कर इसे धार्मिक आयोजन के बजाय कारपोरेट आयोजन का स्वरूप दिया जा रहा है।
हालांकि इस प्रचार का उद्देश्य केवल और केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिवराज सिंह चौहान की छवि बनाना एकमात्र उद्देश्य है तभी तो थल से लेकर नभ तक सिंहस्थ के प्रचार में करोड़ों रुपए फूंके जा रहे हैं इसके बावजूद भी न तो नरेन्द्र मोदी के नाम पर लोग अब एक आवाज में किसी समारोह में भाग लेने के लिए तैयार हैं और ना ही शिवराज के आगामी १४ अप्रैल को भाजपा वोट की खातिर अपने नेताओं को जिनकी वह आज तक दुहाई दिया करते थे उनको विसार कर अब दलित वोटों पर सेंध लगाने के लिए डॉ. अम्बेडकर का दामन थामा है और उन्हीं के जन्मदिन पर महू में होने वाले आयोजन के लिए अधिक से अधिक भीड़ जुटाने के लिए सरकार ने हर तरह के संसाधन लगा दिये हैं आम जनता के इन दोनों नेताओं के प्रति घटते आकर्षण की वजह से अब भीड़ जुटाने के लिए सरकार द्वारा प्रदेश के समस्त शासकीय और गैर शासकीय स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों को महू लाने का जिम्मा अधिकारियों को सौंपा गया है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि प्रदेश में जहां मुख्यमंत्री की लोकप्रियता कम हुई है तो वहीं मोदी का भी अब प्रभाव धीरे-धीरे कम होता नजर आ रहा है।
महू में १४ अप्रैल को होने वाले आयोजन के लिए सरकार जिस तरह से भीड़ जुटाने के लिए परेशान नजर आ रही है उससे तो यही नजर आ रहा है कि अब लोगों में स्वैच्छा से इन नेताओं के दर्शन और भाषण सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई दे रही है, यह अलग बात है कि इसी भाजपा के एक सर्वमान्य नेता हुआ करते थे जिनके भाषण सुनने के लिए भाजपा के नेता ही नहीं बल्कि विपक्षी दलों के कार्यकर्ता और सभी सम्प्रदाय के लोगों में उत्सुकता रहती थी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिजारी वाजपेयी को सुनने के लिए केवल सूचना मात्र से ही भीड़ इकट्ठी हो जाया करती थी लेकिन अब भाजपा में ऐसा कोई सर्वमान्य नेता नहीं है जिसकी दम पर अब यह चुनाव मैदान में उतर सके तभी तो दलित वोट बैंक को प्रभावित करने के लिए डॉ. अम्बेडकर का सहारा भाजपा द्वारा लिया जा रहा है यदि ऐसी ही स्थिति बनती रही तो यह फिर भाजपा अब इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरु का भी वोट की खातिर उनका दामन थामने में हिचकेंगे नहीं ऐसे संकेत पिछले दिनों केंद्रीय रेलमंत्री सुरेश प्रभु द्वारा इंदिरा गांधी की तारीफ करने से नजर आने लगा है,
इसका मूल कारण है कि पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी ने इस देश की जनता को कभी १५ लाख रुपये प्रत्येक नागरिक के खाते में जमा करने, काला धन वापस लाने और महंगाई से निजात दिलाने जैसे तमाम वादे किये थे उन लुभावने वादों के झांसे में आकर देश के मतदाताओं ने भाजपा को भारी बहुमत से विजयश्री दिलाई थी लेकिन भाजपा शासन के इन दो सालों के कार्यकाल में ऐसा कुछ नजर नहीं आया और न ही मोदी और भाजपा के लोकसभा चुनाव के दौरान किए गए लुभावने वाले धरातल पर उतरते नजर आए शायद यही वजह है कि अब लोगों का मोदी की प्रति आकर्षण खत्म होता नजर आ रहा है तभी तो मोदी के नाम पर हो रहे १४ अप्रैल को महू के कार्यक्रम में भीड़ जुटाने के लिए शासकीय संसाधनों का उपयोग कर भीड़ जुटाने में भाजपा के नेता लगे हुए हैं।
अवधेश पुरोहित। भारतीय जनता पार्टी के नेता भले ही यह दावा करें कि भाजपा शासित केन्द्र की सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ी है तो वहीं मध्यप्रदेश के भाजपा नेता मुख्यमंत्री को सर्वाधिक लोकप्रिय मानते हैं यह अलग बात है तो कभी सिंहस्थ तो कभी प्रदेश में उद्योग लगाने के नाम पर समिटों के आयोजन के नाम पर विदेशों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी पकड़ बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किये हैं स्थिति यह है कि सिंहस्थ जो कि धार्मिक आयोजन है और जिस आयोजन के लिए कोई प्रचार-प्रसार की जरूरत नहीं है, लेकिन इस सिंहस्थ के प्रचार में ७० करोड़ रुपए खर्च कर इसे धार्मिक आयोजन के बजाय कारपोरेट आयोजन का स्वरूप दिया जा रहा है।
हालांकि इस प्रचार का उद्देश्य केवल और केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिवराज सिंह चौहान की छवि बनाना एकमात्र उद्देश्य है तभी तो थल से लेकर नभ तक सिंहस्थ के प्रचार में करोड़ों रुपए फूंके जा रहे हैं इसके बावजूद भी न तो नरेन्द्र मोदी के नाम पर लोग अब एक आवाज में किसी समारोह में भाग लेने के लिए तैयार हैं और ना ही शिवराज के आगामी १४ अप्रैल को भाजपा वोट की खातिर अपने नेताओं को जिनकी वह आज तक दुहाई दिया करते थे उनको विसार कर अब दलित वोटों पर सेंध लगाने के लिए डॉ. अम्बेडकर का दामन थामा है और उन्हीं के जन्मदिन पर महू में होने वाले आयोजन के लिए अधिक से अधिक भीड़ जुटाने के लिए सरकार ने हर तरह के संसाधन लगा दिये हैं आम जनता के इन दोनों नेताओं के प्रति घटते आकर्षण की वजह से अब भीड़ जुटाने के लिए सरकार द्वारा प्रदेश के समस्त शासकीय और गैर शासकीय स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों को महू लाने का जिम्मा अधिकारियों को सौंपा गया है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि प्रदेश में जहां मुख्यमंत्री की लोकप्रियता कम हुई है तो वहीं मोदी का भी अब प्रभाव धीरे-धीरे कम होता नजर आ रहा है।
महू में १४ अप्रैल को होने वाले आयोजन के लिए सरकार जिस तरह से भीड़ जुटाने के लिए परेशान नजर आ रही है उससे तो यही नजर आ रहा है कि अब लोगों में स्वैच्छा से इन नेताओं के दर्शन और भाषण सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई दे रही है, यह अलग बात है कि इसी भाजपा के एक सर्वमान्य नेता हुआ करते थे जिनके भाषण सुनने के लिए भाजपा के नेता ही नहीं बल्कि विपक्षी दलों के कार्यकर्ता और सभी सम्प्रदाय के लोगों में उत्सुकता रहती थी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिजारी वाजपेयी को सुनने के लिए केवल सूचना मात्र से ही भीड़ इकट्ठी हो जाया करती थी लेकिन अब भाजपा में ऐसा कोई सर्वमान्य नेता नहीं है जिसकी दम पर अब यह चुनाव मैदान में उतर सके तभी तो दलित वोट बैंक को प्रभावित करने के लिए डॉ. अम्बेडकर का सहारा भाजपा द्वारा लिया जा रहा है यदि ऐसी ही स्थिति बनती रही तो यह फिर भाजपा अब इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरु का भी वोट की खातिर उनका दामन थामने में हिचकेंगे नहीं ऐसे संकेत पिछले दिनों केंद्रीय रेलमंत्री सुरेश प्रभु द्वारा इंदिरा गांधी की तारीफ करने से नजर आने लगा है,
इसका मूल कारण है कि पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी ने इस देश की जनता को कभी १५ लाख रुपये प्रत्येक नागरिक के खाते में जमा करने, काला धन वापस लाने और महंगाई से निजात दिलाने जैसे तमाम वादे किये थे उन लुभावने वादों के झांसे में आकर देश के मतदाताओं ने भाजपा को भारी बहुमत से विजयश्री दिलाई थी लेकिन भाजपा शासन के इन दो सालों के कार्यकाल में ऐसा कुछ नजर नहीं आया और न ही मोदी और भाजपा के लोकसभा चुनाव के दौरान किए गए लुभावने वाले धरातल पर उतरते नजर आए शायद यही वजह है कि अब लोगों का मोदी की प्रति आकर्षण खत्म होता नजर आ रहा है तभी तो मोदी के नाम पर हो रहे १४ अप्रैल को महू के कार्यक्रम में भीड़ जुटाने के लिए शासकीय संसाधनों का उपयोग कर भीड़ जुटाने में भाजपा के नेता लगे हुए हैं।