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भोपाल। नर्मदा घोटाले का खुलासा करने का ऐलान करके सुर्खियों में आए कम्प्यूटर बाबा को सीएम शिवराज सिंह ने गौ संवर्धन बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर मंत्री का दर्जा दे दिया था। अब जैसे ही सीएम ने मध्यप्रदेश में गौ मंत्रालय बनाने की घोषणा कम्प्यूटर बाबा नाराज हो गए और उन्होंने इस्तीफा दे दिया। कम्प्यूटर बाबा का आरोप है कि शिवराज सरकार धर्म के साथ नहीं चलना चाहती।
कौन है कम्प्यूटर बाबा, कैसे बने थे मंत्री
मध्यप्रदेश में पिछले दिनों ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निकालने वाले पांच सांधुओं में कम्प्यूटर बाबा प्रमुख थे। यात्रा का ऐलान करते ही शिवराज सिंह चौहान सरकार ने सभी को राज्यमंत्री का दर्जा देकर चुप करा दिया था। कम्प्यूटर बाबा भी शिवराज सिंह का गुणगान करने लगे थे और घोटाले की बात भूल गए थे। इस लिस्ट में कम्प्यूटर बाबा के अलावा नर्मदानंदजी, हरिहरानंदजी, भय्यूजी महाराज और योगेंद्र महंतजी शामिल थे। भय्यूजी महाराज ने सरकार की पेशकश को ठुकरा दिया था।मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कंप्यूटर बाबा हैं जो साल 2014 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर संसद पहुंचने के सपना देख रहे थे। दिगंबर अखाड़ा से जुड़े श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर नामदेव त्यागी उर्फ कंप्यूटर बाबा का इंदौर के अहिल्या नगर में भव्य आश्रम है। बाबा का असल नाम नामदेवदास त्यागी है। महंत नृसिंहदास महाराज का कहना है कि तेज दिमाग, स्मार्ट वर्किंग व कार्यशैली के कारण उनको यह नाम मिला है। 1998 के आसपास कम्प्यूटर का युग गति पकड़ रहा था। नरसिंहपुर में एक कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ साधु-संतों ने नामदेवदास महाराज की तेज कार्यशैली को देखते हुए उनका नाम कम्प्यूटर बाबा रख दिया।
महामंडलेश्वर कंप्यूटर बाबा कुटिया में रहते हैं, लेकिन लैपटॉप, फेसबुक और हेलिकॉप्टर का शौक रखते हैं। उन्हें हेलीकॉप्टर से सफर और फेसबुक पर भक्तों से चैटिंग करने से आनंद आता है। हेलिकॉप्टर से कंप्यूटर बाबा को ज्यादा लगाव है। लोकल अखबारों के अनुसार यज्ञ और अनुष्ठानों के पर्चे बांटने के लिए हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करते हैं। 2011 में मालवा महाकुंभ और 2012 में विदिशा में धार्मिक आयोजन के लिए हेलिकॉप्टर से लगातार कई दिन तक पर्चे बांटे गए थे।