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21 May. 2017 11:50
नई दिल्ली । केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली राजग सरकार को कंपनियों और बिचौलियों की सरकार बताते हुए केंद्र में विपक्षी कांग्रेस ने आज यहां कहा है कि मौजूदा सरकार के तीन साल के कार्यकाल में देशभर के किसान अभिशप्त हैं और हजारों की संख्या में आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहे हैं जबकि केंद्र इनकी मदद करने की बजाए पूंजीपतियों के हित में काम कर रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘खुद को किसानों का हितैषी बताने वाली केंद्र की राजग सरकार अपने चंद पूंजीपति मित्रों की करोडों रुपये की राशि माफ कर रही है जबकि किसानों के कर्ज माफी से इंकार कर रही है जिसकी वजह से इस सरकार के शासन में तीस हजार से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है।’’
सिंघवी ने आरोप लगाया, ‘‘फसल बीमा योजना में भी कंपनियों को 20 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा पहुंचाया गया है। पिछले साल खरीफ फसल सत्र में किसानों से फसल बीमा के रूप में 17,184 करोड रुपये से अधिक की वसूली की और किसानों को फसल का 6,808 करोड रुपये का मुआजवा दिया गया।’’
सिंघवी ने कहा, ‘‘केंद्र की अनदेखी से हर रोज 35 किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। 2015 में 12,602 किसान और खेतिहर मजदूरों ने जबकि 16 में विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक 14 हजार किसानों और खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की है। 2014 में यह आंकडा 12,360 का था।’’ राष्ट्रीय प्रवक्ता ने बताया, ‘‘देश में कर्ज में दबे किसान का कृषि रिण माफ करने से केंद्र की भाजपा सरकार इंकार कर रही है और पूंजीपति मित्रों का एक लाख 54 हजार करोड रुपये माफ कर दिये गये है।
देश की आबादी में 62 फीसदी अन्नदाता हैं और वह कर्ज से दबे हैं जबकि मुठ्ठी भर पूंजीपति फल फूल रहे हैं।’’ उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में किसानों की कर्जमाफी केवल छलावा है। सवा करोड़ से अधिक किसानों को कर्ज माफी का कोई फायदा नहीं मिला है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में दो करोड 15 लाख छोटे एवं सीमांत किसान हैं। इनमें से केवल 86 लाख किसान ही बैंकिंग व्यवस्था के दायरे में हैं और 2.15 करोड में 1.28 करोड को कर्ज माफी का कोई फायदा नहीं मिल सका है।’’
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘सरकारी सांठगांठ के कारण किसान मुसीबत मेें फंसे हैं और बिचौलियों के हाथ में लड्डू में है। भाजपा सरकार जानबूूझ कर समर्थन मूल्य पर भी किसानों का फसल नहीं ले रही है। वर्ष 2015-16 की अपेक्षा 2016-17 में किसानों से 59.18 लाख टन कम गेहूं की खरीदारी की गयी है। पिछले साल अप्रैल से इस साल जनवरी तक सरकार तीस लाख टन से अधिक गेहूं का आयात कर चुकी है जबकि 13-14 में कांग्रेस सरकार के समय 55.62 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया था।’’
उन्होंने कंपिनयों ओर बिचौलियों को फायदा पहुंचाने का आरोप सरकार पर लगाते हुए कहा कि अभी समाप्त हुए वित्त वर्ष के पिछले साल सरकार ने 44 रुपये किलो की दर से दाल आयात किया जबकि घरेलू बाजारों में 230 रुपये किलो की दर से दाल बिकी थी। 16-17 में 221 लाख टन दाल के बंपर उत्पादन के बावजूद सरकार ने 54 लाख टन दाल के आयात की अनुमति दी।
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