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मध्यप्रदेश में लाभ के चक्कर में अब सवर्ण भी हो जाएगें आरक्षित !
TOC NEWS // मध्यप्रदेश से रामकिशोर पंवार की एक सचित्र रिर्पोट
भोपाल (मध्यप्रदेश): इस समय भाजपा ने अपनी ही पार्टी की राष्ट्रीय सचिव श्रीमति ज्योति बेवा स्वर्गीय प्रेम सिंह धुर्वे को फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में बचाने के चक्कर में अपने लिए बैठे ठाले सडक पर पडी मुसीबत मोल ले ली है। मध्यप्रदेश में भाजपा की सासंद श्रीमति ज्योति धुर्वे को राहत दिलवाने के लिए यदि भाजपा ने मातृपक्ष की वंशावलि को छानबीन समिति से क्लीनचिट दिलवाई तो प्रदेश में ऐसे मामलो की बाढ आ जाएगी जिसमें किसी महिला या पुरूष की मां आरक्षित अनुसूचित जाति या जनजाति से आती है। वह इस दावे के आधार पर अपनी वैध एवं अवैध संतानो के सत्ता और संगठन से लेकर सरकारी नौकरी में घुसपेठ को अप्रत्यक्ष रूप से बढावा देगी।
यूं तो मध्यप्रदेश में धर्मातरण एवं जाति परिवर्तन के हजारो मामलो में वैध एवं अवैध विवाहो के साथ - साथ वे तथाकथित प्रेम विवाह भी शामिल होगें जिससे उत्पन्न वैध एवं अवैध संताने प्रदेश सरकार से अपने मातृपक्ष के आधार पर आरक्षण एवं अन्य सुविधाआंे का लाभ लेने के लिए सडक आन्दोलित हो जाएगी। आने वाले समय में ऐसा कुछ हुआ तो गुजरात का पाटीदार और हरियाणा - यूपी का जाट आन्दोलन भी इसके सामने बौना साबित हो जाएगा। हमारे देश में इंटरकास्ट मैरिज ऐसा नही कि बडे लोगो में ही हुई है, ऐसे कई प्रकरण अब तो गांवो और कस्बो में भी देखने को मिलने लगे है! उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 1 अगस्त 1996 को उच्च स्तरीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति प्रदेश स्तरीय छानबीन समिति का गठन किया गया। 30 अक्टुबर 2011 को सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा ऐसे मामलो की 60 दिन के भीतर जांच रिर्पोट पेश करने का निर्देश जारी किया गया था जो फर्जी जाति प्रमाण पत्र से जुडे हुए है।
जबलपुर ने 30 मई 2009 बैतूल भाजपा से निष्कासित जिला महामंत्री एवं अधिवक्ता शंकर प्रेदाम की दर्ज एक शिकायत के संदर्भ में चल रहे न्यायालीन प्रकरण में श्री प्रेदाम द्वारा वर्ष 2009 में दर्ज की गई शिकायत के संदर्भ में हाई पावर छानबीन समिति को 60 दिन के भीतर ज्योति धुर्वे के जाति प्रमाण पत्र के संदर्भ में हाईकोर्ट के दिशा - निर्देश पर हाई पावर छानबीन समिति ने श्रीमति ज्योति बेवा स्वर्गीय प्रेम सिंह धुर्वे को नोटिस जारी कर तबल किया। समिति ने श्रीमति ज्योति धुर्वे को तीन बार नोटिस जारी करके अपना पक्ष रखने का मौका दिया लेकिन जब वे हर बार की तरह इस बार भी नही पहुंची तो समिति ने अंतिम अवसर देकर नोटिस जारी किया जिसमें उपस्थित न होने पर एक पक्षीय कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई थी।
जिसके चलते श्रीमति ज्योति धुर्वे आनन- फानन में हाई पावर छानबीन समिति के समक्ष उपस्थित हुई लेकिन यह सिद्ध नही कर सकी कि उसका जाति प्रमाण पत्र वैध है तथा वैधानिक तरीके से बनाया गया है। समिति ने 3 मई को सुश्री दीपाली रस्तोगी आयुक्त एवं उच्च स्तरीय छानबीन समिति सचिव एवं आयुक्त आदिम जाति विकास विभाग तथा श्री अशोक शाह प्रमुख सचिव आदिम जाति विकास विभाग मध्यप्रदेश शासन भोपाल ने श्रीमति ज्योति धुर्वे का जाति प्रमाण पत्र निरस्त घोषित कर दिया। इस संदर्भ में श्रीमति धुर्वे से लेकर बैतूल कलैक्टर एवं पुलिस अधिक्षक बैतूल को उपायुक्त आदिवासी विकास के हस्ताक्षर से उक्त जाति प्रमाण पत्र को राजसात कर विभागीय कार्रवाई करने के आदेश जारी किए गये। चार मई को उक्त आदेश के बाद सोशल मीडिया पर खबरो एवं आदेश की प्रतियांे के आ जाने के बाद पूरी भाजपा कोमा में जा पहुंची।
श्रीमति ज्योति धुर्वे का मोबाइल जो स्वीव आफ हुआ तो वह तब तक नही आन हुआ जब तक की उक्त आदेश को सरकार ने वापस नही लिया। वर्ष 1990 को स्वर्गीय प्रेम सिंह धुर्वे संचालक चामुण्डा सेल्स सर्विस गुदगांव तहसील भैसदेही से विवाह कर उनकी पत्नि बनी ज्योति दरअसल में ज्योति किरण ठाकुर थी। उसका एक भाई विजय सिंह ठाकुर एवं मां श्रीमति आशा ठाकुर रायपुर में ही रहते है। 80 - 85 की उम्र पार कर चुके श्री महादेव रायपुर में ही रहते है तथा अकसर बीमार रहने के कारण उन्हे कम बोलना एवं कम सुनाई देना एक बीमारी के रूप में मिल गया है। श्रीमति आशा ठाकुर ग्राम गुटियारी रायपुर निवासी है तथा उनकी परिवारिक पृष्ठभूमि कांग्रेस पार्टी से जुडी हुई थी। श्रीमति आशा ठाकुर के पिता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे।
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने जाति प्रमाण पत्र को जारी करने के संदर्भ अपने आदेश पत्र क्रमांक 35.1.72 - आर यू (एस.सी.टी.व्ही) 1975 की कंडिका क्रमांक 1.1 के अनुसार जाति प्रमाण पत्र के आवेदक के पिता उस जाति या समुदाय के होना चाहिए जिसका वह दावा कर रही है ! रायपुर में 2 जून 1966 को जन्मी राजनीति शास्त्र में एम ए श्रीमति ज्योति धुर्वे ने स्वीकार किया कि उसके पिता रेल्वे में कार्य करते थे लेकिन वे गोण्ड जाति के है !
इधर ग्राम पंचायत छोटी तिरोडी तहसील कंटगी जिला बालाघाट की ग्राम पंचायत एवं जनपद ने दावा किया कि उस गांव में महादेव पिता दशरथ नामक कोई दुसरा व्यक्ति नही है ! दशरथ पिता महादेव जाति पंवार निवासी वार्ड क्रमांक 1 पुरानी तिरोडी रेल्वे स्टेशन का निवासी माना है। इधर ग्राम पंचायत खरपडिया के ग्राम कुम्हार टोला पोस्ट सुकाली जनपद कंटगी जिला बालाघाट ने अपने जांच प्रतिवेदन में स्वीकार किया कि पुरानी तिरोडी में रेल्वे स्टेशन में कार्यरत कर्मचारी इस गांव का मूल निवासी है तथा उसके परिवार में उसका एक भाई हीरालाल, मुकंुदलाल, की पटवारी हल्का क्रंमाक - 05 के अनुसार वे किसान है तथा उनकी पैतृक भूमि भी दर्ज है।
श्रीमति ज्योति ने अपने विवाह के पूर्व जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग रायपुर के आदेश पत्रक क्रमांक 1070 दिनांक 21.08.1984 को जारी किया गया जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया जिसमें उसने स्वंय कुमारी ज्योति किरण पिता महादेव को रायपुर के पास ग्राम गुटियार तहसील रायपुर जिला रायपुर का निवासी बताया। एक नाम की महिला ने 1984 में स्वंय को ज्योति किरण ठाकुर बता कर जाति प्रमाण पत्र हासील किया बाद में वही ज्योति किरण ठाकुर से श्रीमति ज्योति पति स्वर्गीय प्रेम सिंह धुर्वे हो गई तथा उसे पुनः कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी प्रमाणीकरण (भैसदेही जिला बैतूल) द्वारा 31.10.2002 को पुनः एक अस्थायी जाति प्रमाण जारी करवा लिया इस बीच सवाल वही पर आ खडा हो गया कि आखिर ऐसी क्या मजबुरी थी ज्योति किरण सिर्फ ज्योति ही रह गई जबकि उसके सभी दस्तावेजो में ज्योति किरण ठाकुर लिखा गया है ।
ज्योति किरण के ज्योति बनने के पीछे की कहानी जिस प्रकार संदेहास्पद है ठीक उसी प्रकार से ज्योति का दो नामो से जारी किया गया प्रमाण पत्र भी संदेह के दायरे में है ! क्या ज्योति किरण ठाकुर पिता महादेव कोई अन्य है ! या फिर ज्योति महादेव कोई अन्य है ! ज्योति किरण ठाकुर से ज्योति पति प्रेम सिंह धुर्वे की कहानी एक अनसुलझी कहानी बन गई है। ग्राम गुटियार के लोगो की कही बातो से सवाल यह उठता है कि ग्राम गुटियार में दशरथ पिता महादेव ठाकुर जाति गोण्ड नाम का जब कोई व्यक्ति न तो रहता था और न रहता है।
ऐसी स्थिति में ज्योति किरण पिता महोदव ग्राम गुटियार की मूल निवासी नही हुई ! इधर 1950 से स्वर्गीय प्रेम सिंह धुर्वे ग्राम गुदगांव पोस्ट चिल्कापुर तहसील भैसदेही के मूल निवासी नही है। उनके द्वारा पचास वर्षो से मध्यप्रदेश के मूल निवासी होने के तथा जाति प्रमाण पत्र के संदर्भ कोई प्रमाणिकरण वंशावली पेश नही की गई। प्रेम सिंह धुर्वे 1985 में आदिवासी सुरक्षित सीट से चुनाव लडी घोडाडोंगरी की पूर्व विधायक श्रीमति मीरा धुर्वे के पति स्वर्गीय हरीश धुर्वे के दूर के रिश्तेदार है।
कांग्रेस पार्टी से जनपद सदस्य बने स्वर्गीय प्रेमसिंह धुर्वे 1985 से 1990 तक श्रीमति मीराबाई धुर्वे के निज सहायक रहे। वे कांग्रेस पार्टी से भैसदेही की जनपद पंचायत के सदस्य भी रहे। मध्यप्रदेश सरकार यदि विवाहित ज्योति बेवा प्रेम सिंह धुर्वे को मातृपक्ष का लाभ देती है तो ऐसे एक दो नही पूरे प्रदेश से हजारो मामले सामने आ जाएगे जब आरक्षित वर्ग की महिला अपने नवासी एवं नवासो के लिए उसकी जाति के परिवर्तन का कारण बनेगी। अंतरजातीय विवाह में बंधी एक दो नही बल्कि हजारो ऐसे परिवार अपनी दुसरी जाति में विवाह कर चुकी बेटियो एवं उसकी संतानो को पिता के बदले अपनी जाति का लाभ पहुंचाने के लिए मैदान में उतर जाएगी। अकेले बैतूल जिले में इस समय ज्योति जैसी कम से दो हजार महिलाए है जो प्रेम विवाह या मजबुरी वश आदिवासी या दलित समाज की होने के बाद सामान्य जाति के लोगो से वैवाहिक सबंध स्थापित कर ऐसी संतानो को जन्म दे चुकी है जो पिता की जाति की वजह से मां की जाति का लाभ नही उठा पा रही थी !
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आरक्षित वर्ग को जाति प्रमाण पत्र के लिए 1950 से प्रदेश का स्थायी निवासी या मूल निवासी होना आवश्क्य है तथा उसकी जाति वंशावलि ग्राम पंचायत स्तर पर पंचायत या गांव कोटवार या पटवारी द्वारा प्रमाणित हो जिसके आधार पर उसे उस जाति का प्रमाण पत्र जारी होता चला आ रहा है। जाति प्रमाण पत्र के लिए अभी तक सभी आरक्ष्ति जनजाति एवं अनुसूचित जाति तथा पिछडे वर्ग को तभी लाभ का पद मिलता था जब वे दस्तावेजो को प्रमाणित कर सके। ज्योति धुर्वे की माता विभाजित मध्यप्रदेश (वर्तमान छत्तिगढ की मूल निवासी है) ज्योति धुर्वे का मूल नाम ज्योति किरण ठाकुर है जो उसे उसकी माता श्रीमति आशा ठाकुर से मिला था।
आशा ठाकुर के पिता कांग्रेस के स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन के सिपाही थे। श्रीमति आशा ठाकुर ने महादेव पिता दशरथ निवासी छोटी तिरोडी जिला बालाघाट की मूल निवासी है।
ज्योति धुर्वे की धमकी के बाद भाजपा और आरएसएस की उतरी पतलून !
गुजरात माडल को बनाया आधार , महादेव की नही रहेगी ज्योति धुर्वे !
पूरी दुनिया में बेटी की पहचान उसके पिता से होती है लेकिन गुजरात माडल की तर्ज पर गुजरात के एक फैसले को लेकर अब भाजपा बेटी की पहचान उसकी मां से करने जा रही है। भाजपा एक ज्योति के लिए उन सभी ज्योतियों को जागृत करेगी जो जाति के अंधकार में जी रही है।
अपनी ही सरकार से अपनी किरकिरी होने के बाद ज्योति धुर्वे के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट में सिविल अपील प्रकरण क्रमांक 654,12 दिनांक 18 जनवरी 2012 का एक मामला हाईकोर्ट के संज्ञान में लाकर ज्योति धुर्वे को राहत देने का काम करने जा रही है। गुजरात के रमेश भाई डाभई नायक के प्रकरण का उदाहरण पेश किया है। रमेश भाई की माता नायक जाति (आदिवासी ) थी लेकिन उसे पिता गैर आदिवासी जिसके चलते उसकी राशन की दुकान को गुजरात सरकार ने निरस्त कर दिया क्योकि राशन की दुकान अनुसूचित जनजाति के वर्ग के लिए आरक्षित थी। इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार किया है कि जरूरी नही कि संतान की पहचान पिता से ही हो माता की जाति से भी उसकी पहचान हो सकती है।
ऐसे माता - पिता की संतान को ऐसे लाभ से वंचित नही किया जा सकता जो उसे मातृपक्ष से मिलते हो। इधर इस सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को आधार बता कर ज्योति धुर्वे के बचाव में आई भाजपा एवं आरएसएस के तर्क को ध्यान में रख कर सरकार ने अपने ही आदेश को मात्र 24 घंटे में तथाकथित पलट कर रख दिया ! पूरे मामले में प्रदेश सरकार की किरकिरी वजह ज्योति धुर्वे की जाति प्रमाण पत्र निरस्त हो जाना नही बल्कि ज्योति बेवा स्वर्गीय प्रेम सिंह धुर्वे की वह धमकी थी जिसने भाजपा और आरएसएस के उन नेताओ की पतलून ढीली कर दी जो चाल - चरित्र - चेहरा की दुहाई देते थे। पहली बार और दुसरी आर जिन व्यक्तियो के दबाव में श्रीमति ज्योति धुर्वे को टिकट मिली थी वही चार मिनट की बातचीत के बाद मैडम की जी हुजूरी करते देखे गए।
नाम न छापने की शर्त पर पूरे मामले की जानकारी एवं दस्तावेजो को उपलब्ध करवाने वाले भाजपा के एक शीर्ष नेता का कहना था कि बुढापे में बेचारे राघव जी को वनवास भेजने वालो को जब अपने नीचे की जमीन खसकती नजर आई तो भीड गए युक्ति लगाने ! जानकार सूत्रो ने बताया कि भाजपा के शीर्ष नेताओ एवं मंत्रियो के संज्ञान में पूरा मामला एक मई को ही आ गया था लेकिन जब जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने का आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तब जाकर भाजपा नेता रात की भूली हुई बातो को लेकर नींद से जागे और भागम - भाग करने लगे। ज्योति धुर्वे के नीजी मोबाइल से मात्र एक व्यक्ति को काल गया और उसने पूरी भाजपा की बैण्ड बजा दी।
जानकार सूत्रो की माने तो सासंद श्रीमति ज्योति धुर्वे अपने करीबी एक विधायक के संग सीधे रात्री दो बजे नागपुर मुख्यालय पहुंची वहां से सीधे दिल्ली जा पहुंची। नागपुर एयर पोर्ट पर जिस व्यक्ति ने बैतूल की सासंद को देखा उसका दावा था कि मैडम सामान्य रूप से दिखाई दे रही थी उसके साथ बैतूल का एक परिचीत जनप्रतिनिधि मौजूद था। मैडम के दिल्ली पहुंचने के बाद जो कुछ हुआ उससे शिवराज सिंह की इस कदर परेशानी बढी की शिवराज सिंह ने सबसे पहले कांग्रेस के अपने मित्रो को विश्वास में लिया कि वे पूरे मामले में कोई भी बयानबाजी या ऐसा कोई काम न करे जिसके चलते उसकी कुर्सी खतरे में पड जाए।
मामला चूंकि महाकौशल से जुडे जिलो का होने की वजह से सीधे कमलनाथ और कांग्रेस के फायर ब्राण्ड नेता दिग्यविजय सिंह तक जा पहुंची और दोनो ने ही पूरे मामले में चुप्पी साध ली। इधर छानबीन समिति के अशोक शाह को मिली शिवराज सिंह की फटकार के बाद कुंवर विजय शाह भी मुख्यमंत्री पर बरसने से पीछे नही रहे क्योकि यह बात तय थी कि ज्योति के जाति प्रमाप पत्र निरस्त होने का सीधे लाभ उनके बडे भाई कुंवर अजय शाह मकडई को मिलने वाला था।
अचानक पूरे घटनाक्रम में अपनी स्वजाति महिला सासंद प्रीति पाठक की सासंद की कुर्सी खतरे में नजर आती देख मध्यप्रदेश सरकार के एक मंत्री संजय पाठक ने भी मध्यप्रदेश सरकार को ज्योति के संग - संग प्रीति को भी अभयदान दिलवाने के लिए अपना दवाब इस कदर बढाया कि मुख्यमंत्री हैरान एवं परेशान हो गए क्योकि प्रधानमंत्री जिस नर्मदा यात्रा में भाग लेने के लिए आने वाले थे उस यात्रा में संजय पाठक कांटे बिछा सकता था। मुख्यमंत्री ने बैलेंस बनाने के लिए कुंवर विजय शाह एवं संजय पाठक के बीच भी समन्वय बनाने की कोशिस की और नतीजा यह निकला कि राज्य सरकार ज्योति और प्रीति दोनो को बचाने के लिए हर प्रकार के हथकण्डे अपनाने के लिए तैयार है।
सत्ता एवं संगठन के बीच सेतू का का काम कर रहे बैतूल के विधायक हेमंत खण्डेलवाल को मुख्यमंत्री ने पूरा मामला सौप कर उनके कंधो पर यह जवाबदारी सौप कर वे नर्मदा यात्रा की तैयारी में पुनः जुट गए। जानकार सूत्रो की माने तो शासकीय महाअधिवक्ता एवं गुजरात के एक अधिवक्ता के माध्यम से जबलपुर हाईकोर्ट में एक याचिका ज्योति धुर्वे की ओर से दायर की गई जिसे स्वीकार कर लिया गया।
हाईकोर्ट ज्योति धुर्वे के निरस्त प्रमाण पत्र के मामले में छानबीन समिति एवं ज्योति धुर्वे को एक मौका देगी। इस बात की खबर मुख्यमंत्री को देकर बैतूल के विधायक ने एक बार फिर अपनी पीठ थपथपा ली और ज्योति धुर्वे 8 तारीख को बैतूल जिला मुख्यालय पर आयोजित कृषि विभाग के कार्यक्रम में मौजूद रह कर अपने विरोधियो को अपनी ताकत का अहसास कराएगी। पूरे मामले से अनजान मुख्य शिकायतकर्त्ता एव भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री अधिवक्ता शंकर प्रेंदाम पूरे मामले में आज सोमवार की सुबह चुनाव आयोग भारत सरकार के समक्ष उपस्थित होने जा रहे है। कांग्रेस के कुछ प्रदेश स्तर के नेताओ के संग कुंवर अजय शाह भी भोपाल में राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष पेश होगें तथा ज्योति धुर्वे के मामले में छानबीन समिति द्वारा जारी रिर्पोट पर कार्रवाई की मांग करेगें। जाति प्रमाण पत्र मामले में इस बार ज्योति धुर्वे बैतूल में एक बडी पत्रकार वार्ता आयोजित करके अपनी मां श्रीमति आशा ठाकुर एवं पिता महादेव के साथ पत्रकार के सवालो का सामना करने को तैयार है।
पत्रकार वार्ता में भाग लेने के लिए ज्योति का भाई विजय सिंग ठाकुर तथा मातृपक्ष के एक दर्जन लोग रहेगे। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि पत्रकार वार्ता का एक मोर्चा राज्य सरकार के केबिनेट मंत्री गौरीशंकर बिसेन (बालाघाट) तो दुसरी ओर प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष एवं बैतूल के विधायक हेमंत खण्डेलवाल को रहेगें। लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ और मंत्री गौरीशंकर बिसेन अपनी तथाकथित स्वजाति बहन ज्योति के लिए न्यायपालिका को भी चुनौती दे बैठे। कृषि मंत्री ने मंच से यह तक कह डाला कि न्यायालय कुछ भी फैसला करे लेकिन आने वाले लोकसभा चुनाव तक मेरी बहन ज्योति सासंद रहेगी।
मंच से उतरते ही मंत्री को अपनी गलती का अहसास हो गया लेकिन तब तक देर हो गई थी। मंत्री का वीडियो व्हाटसएपव पर तेजी से वायरल हो गया। मध्यप्रदेश में भाजपा गुजरात की नायक जाति की महिला से उत्पन्न संतान हरीश भाई डाभई के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकार की गई वर्ष 2012 की उस याचिका से जुडे दस्तावेज के आधार पर यदि मातृ सत्ता को बढावा देगी तो ऐसे कई मामले जिन्न की तरह आ धमकेगें जिसमें ऐसी संतानो को अनुचित लाभ का मार्ग मिल जाएगा जो अंतरजातीय विवाह या अवैध सबंधो के चलते जन्म ले चुकी है।
हालाकि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मातृ पक्ष की जाति का लाभ आर्थिक रूप से कमजोर संतान को मिलना चाहिए ना कि सत्ता या अनुचित लाभ के लिए ! अभी तक हमारे देश में लोगो की पहचान उसके पिता की जाति के साथ होती चली आ रही है लेकिन सत्ता के मद में मदमस्त भाजपा शायद आने वाले दिनो में पिता के साथ - साथ माता की जाति से दिलवाने के लिए पिछले दरवाजे में सेंध लगाने में जुट गई है । अब देखना बाकी है कि पूरे मामले को लेकर बैतूल से भोपाल दिल्ली तक मची धमा चौकडी क्या गुल खिलाती है।
पितृपक्ष की जगह मातृपक्ष भाजपा की कुर्सी बचाने की चाल !
बैतूल से बीजेपी सांसद एवं पार्टी की राष्ट्रीय सचिव ज्योति बेवा स्वर्गीय प्रेम सिंह धुर्वे की लोकसभा की सदस्यता खतरे में है। ज्योति धुर्वे के आदिवासी होने के प्रमाण पत्र को मध्य प्रदेश सरकार की राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने रद्द कर दिया है। साथ ही उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की है।ज्योति धुर्वे आदिवासियों के लिए सुरक्षित बैतूल लोकसभा सीट से दूसरी बार सांसद चुनी गई हैं।
2009 में जब पहली बार वे लोकसभा चुनाव जीती थीं तभी उनकी जाति को लेकर शिकायत की गई थी, लेकिन तब 5 साल के भीतर इस मामले की जांच नहीं हो पाई थी इसलिए वह शिकायत अपने आप रद्द मान ली गयी थी। बाद में बीजेपी ने उन्हें फिर से बैतूल से ही लोकसभा प्रत्याशी बनाया। वह चुनाव जीतकर लोकसभा भी पहुंची, लेकिन इस बार उनके जाति प्रमाण पत्र को लेकर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देश की वजह से जांच करवाई।
राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने ज्योति के जाति प्रमाण पत्र की जांच की। समिति ने पाया है कि ज्योति धुर्वे ने खुद के आदिवासी होने का जो प्रमाण पत्र दिया है वह वैध नहीं हैं इसलिए उसे निरस्त कर दिया है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, ज्योति धुर्वे के पिता पवार जाति के थे। वे बालाघाट जिले के रहने वाले थे। ज्योति की शादी बैतूल जिले के रहने वाले प्रेम धुर्वे से हुई थी। धुर्वे गोंड आदिवासी थे। उन्हीं की जाति के आधार पर ज्योति को 31 अक्टूबर 2002 को बैतूल के भैंसदेही ब्लॉक से जातिप्रमाण पत्र जारी हुआ था। सूत्रों के मुताबिक, ज्योति धुर्वे को अपना पक्ष रखने के लिए कई बार नोटिस देकर बुलाया गया, लेकिन वह संतोषजनक दस्तावेज पेश नहीं कर सकीं। फिलहाल यह माना जा रहा है कि यदि राज्य सरकार ने जाति प्रमाण पत्र रद्द करने के आदेश पर अमल करवा दिया तो ज्योति धुर्वे की लोकसभा सदस्यता खतरे में पड़ सकती है।
प्रदेश कांग्रेस के एक प्रतिनिधि मंडल ने आज मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर मध्यप्रदेश की सांसद ज्योति धुर्वे का जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाये जाने पर उनकी सदस्यता समाप्त करते हुए बैतूल लोकसभा चुनाव पुनः कराने की मांग की है। चुनाव आयुक्त को लिखे पत्र में कहा है कि श्रीमती धुर्वे वर्ष 2014 में सांसद निर्वाचित हुई हैं, उनके द्वारा सुरक्षित क्षेत्र से चुनाव लडने की पात्रता के लिए जो जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया है, के संबंध में मध्यप्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा राज्य स्तर पर जाति प्रमाण पत्र की छानबीन हेतु गठित समिति द्वारा दिनांक 1.4.17 को पारित आदेश अनुसार उनका जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया है।
पत्र में कहा गया है कि श्रीमती ज्योति धुर्वे बेवा स्वर्गीय प्रेमसिंह धुर्वे, ग्राम गुदगांव तहसील भैंसदेही जिला बैतूल म.प्र. द्वारा कार्यालय अनुुविभागीय अधिकारी (प्रमाणीकरण) भैंसदेही जिला बैतूल से तहसीलदार के हस्ताक्षर से जारी अस्थायी जाति प्रमाण पत्र क्रमांक अस्पष्ट दिनांक अस्पष्ट तथा कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी (प्रमाणीकरण) भैंसदेही जिला बैतूल म.प्र. का प्रकरण क्रमांक 152, बी-121,2002-03 दिनांक 31.10.2012 गोंड अनुसूचित जनजाति के लिए प्राप्त किया गया है जिसे मध्यप्रदेश शासन की जांच समिति द्वारा विचार में लिये जाने के उपरांत प्रमाण पत्र पूर्णतः फर्जी पाया गया है। श्रीमती धुर्वे के पिता का नाम श्री महादेव एवं गौत्र ठाकुर कुमरे बताया गया हैं तथा किसी भी सुरक्षित संसदीय क्षेत्र से चुनाव लडने के लिए प्रमाण पत्र की आवश्यकता के अनुरूप महिला के पिता के नाम की जाति को ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय अनुसार महिला के पिता की पात्रता के अनुसार ही पुत्री को ही सुरक्षित स्थान से चुनाव लडने की पात्रता होगी ना कि शादी उपरांत उसके पति की जाति के आधार पर उसे आरक्षण का लाभ प्राप्त करने की पात्रता होगी।
जबकि श्रीमती ज्योति धुर्वे के पिता पिछडा वर्ग (व्ठब्) की श्रेणी में आते हैं और उसी अनुसार उनकी जाति ठाकुर भी पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में आती है इसलिए श्रीमती ज्योति धुर्वे कि जाति भी पिछड़ा वर्ग (व्ठब्) ही रहेगी उनके द्वारां अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित संसदीय क्षेत्र से चुनाव लडने की पात्रता नहीं होने के बावजूद भी उन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र संलग्न कर भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव में प्रत्याशी घोषित होकर चुनाव लड़ा जो कि नियम विरूद्ध होने से शून्य घोषित होने योग्य है।
मध्यप्रदेश शासन द्वारा गठित जांच समिति के समक्ष कार्यवाही में श्रीमती ज्योति धुर्वे द्वारा सुरक्षित संसदीय क्षेत्र से चुनाव लडने के संबंध में भारत सरकार गृह मंत्रालय के जाति प्रमाण पत्र जारी करने संबंधी परिपत्र क्रमांक 35,1,72 आर.यू. (एस.सी.टी.व्ही) अप्रेल 1975 की कंडिका 1.1 के अनुसार व्यक्ति के पिता वास्तव में उस समुदाय के होना चाहिए जिसका यह दावा कर रही हो, किन्तु श्रीमती ज्योति धुर्वे द्वारा स्वयं या अपने पिता के मध्यप्रदेश के लिए अधिसूचित ष्गौंडष् अनुसूचति जनजाति होने की पुष्टि में कोई अभिप्रमाणित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किये गये।
पत्र में आगे लिखा है-मध्यप्रदेश शासन की उच्च स्तरीय छानबीन समिति द्वारा दिनांक 1.4.2017 को सर्वसम्मति से विचाररोपरांत श्रीमती ज्योति धुर्वे पति श्री प्रेमसिंह धुर्वे, ग्राम गुदगाव तहसील भैंसदेही जिला बेतूल म.प्र. द्वारा कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी (प्रमाणीकरण) भैंसदेही जिला बेतूल से तहसीलदार के हस्ताक्षर से जारी अस्थायी जाति प्रमाण पत्र क्रमांक अस्पष्ट दिनांक अस्पष्ट तथा कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी (प्रमाणीकरण) भैंसदेही जिला बैतूल का प्रकरण क्रमांक 152,बी-121,2002-03 दिनांक 31.10.2002 से जारी प्रमाण पत्र को फर्जी मानते हुए श्रीमती धुर्वे द्वारा प्रस्तुत किए गए उक्त प्रमाण पत्र को गौंड अनुसूचित जनजाति के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर राजसात् करने का अंतिम आदेश पारित किया गया। चुनाव आयोग को कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि-भाजपा सांसद श्रीमती ज्योति धुर्वे द्वारा करीब एक माह के पश्चात उक्त संबंध में हडबडाहट दिखाते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से सम्पर्क किया गया एवं उक्त दौरान अपने जाति प्रमाण पत्र के फर्जी घोषित होने की घटना से अवगत कराया गया और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा तत्काल अधिकारियों को बुलाकर फटकार लगाई गई और प्रमुख सचिव को आदेशित करते हुए किसी भी तरह से श्रीमती धुर्वे के जाति प्रमाण पत्र को वैध घोषित करने के आदेश जारी करने के लिए आदेशित किया गया और आनन फानन में छानबीन समिति की रिव्यु बैठक बुलाई गई तथा नए तथ्यों का हवाला देकर शासन स्तर पर सारा काम अनुचित एवं अवैध रूप से सम्पन्न करते हुए श्रीमती ज्योति धुर्वे के जाति प्रमाण पत्र को वैध मानकर छानबीन समिति द्वारा पारित आदेश दिनांक 1.4.2017 को निरस्त घोषित कर उन्हें पत्र जारी कर दिया गया जो कि सरासर गलत, अनुचित एवं अवैध कार्यवाही है।
कांग्रेेस प्रतिनिधि मंडल ने माननीय मुख्य निर्वाचन आयुक्त, भारत सरकार से मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से आग्रह किया है कि लोकतांत्रिक परम्पराओं के अनुरूप प्रजातांित्रक तरीके से संसदीय क्षेत्रों में जातियों के अनुरूप आरक्षण अनुसार प्रत्याशियों को चुनाव लडना होता है जबकि श्रीमती ज्योति धुर्वे द्वारा पिछड़े वर्ग की सदस्य होने के बावजूद भी अपने पति को जाति का आधार मानकर प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर एक सही पात्र आदिवासी का हक समाप्त किया गया और गलत तरीके से चुनाव लड़कर आदिवासी वर्ग के साथ धोखा-धड़ी की जिसकी पुष्टि मध्यप्रदेश शासन द्वारा गठित छानबीन समिति द्वारा कर दी गई लेकिन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के दबाव में नियम विरूद्ध रिव्यू मीटिंग आयोजित कर फर्जी प्रमाण पत्र को वैध करने का अनुचित एवं अवैध कृत्य किया गया हैं जबकि शासन स्तर पर किसी प्रमाण पत्र के फर्जी पाए जाने पर सिर्फ और सिर्फ माननीय उच्च न्यायालय को ही उक्त संबंध में निर्णय लेने का अधिकार हैं ।
इसलिए बैतूल मध्यप्रदेश से भाजपा सांसद श्रीमती ज्योति धुर्वे के चुनाव को अयोग्य घोषित करते हुए उनकी सदस्यता समाप्त की जावे एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित बैतूल संसदीय क्षेत्र का पुनरू निर्वाचन कराया जावे जो कि आदिवासी वर्ग के हित में होते हुए न्यायोचित एवं न्यायहित में होगा। मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र सौंपते समय प्रदेश कांग्रेस के संगठन प्रभारी महामंत्री श्री चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी, प्रवक्ता जे.पी. धनोपिया, रवि सक्सेना, श्रीमती विभा पटेल, दुर्गेश शर्मा, कांग्रेस अजजा विभाग के अध्यक्ष अजय शाह एवं अन्य कांग्रेसजन उपस्थित थे।
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