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बैतूल , (रामकिशोर पंवार) : देर सबेर आखिर डॉ सुनील मिश्रा ऊर्फ सुनीलम् को न्यायालय के निर्देश पर चौदह साल बाद न्यायालीन सुरक्षित फैसले के पूर्व न्यायालीन अभिरक्षा में जाना ही पडा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 12 जनवरी 1998 में मुलताई तहसील के परमंडल गांव में हुए गोलीकांड में धारा 302 एवं 307 के आरोपी बनाए गए डॉ सुनीलम मिश्रा मुलताई से इसी गोलीकांड के हीरो के रूप में विधानसभा की दहलीज पर पहुंचे थे। सपा के पूर्व विधायक भी रहे डॉ सुनील मिश्रा दुसरी बार विधायक बने लेकिन तीसरी बार उनकी किस्मत उन्हे दगा दे गई और वे बुरी तरह से वर्तमान कांग्रेस के विधायक सुखदेव पांसे से चुनाव हार गए थे। कुछ ही समय पूर्व मुलताई तहसील के चौथिया गांव के पारधियों की बस्ती को जलाने सहित आधा दर्जन में आरोपी बने डॉ सुनील मिश्रा के खिलाफ इस बार न्यायालय ने स्थायी वारंट जारी किया था। वर्तमान में वे पारधी कांड में जबलपुर उच्च न्यायालय के निर्देश पर इस मामले को लेकर अग्रिम जमानत पर है। हालांकि डॉ सुनीलम् को दोनो में ही मामलो में मुलताई या जबलपुर में किसी एक जेल में जाना लगभग तय था। उल्लेखनीय है कि मुलताई के इस बहुचर्चित गोलीकांड में डॉ सुनील मिश्रा सहित लगभग तीन दर्जन आरोपी बनाए गए थे लेकिन अधिकांश को न्यायालय ने संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया तथा डॉ सुनील मिश्रा सहित अन्य दो आरोपियों के लिए फैसला सुरक्षित रखने के साथ - साथ उन्हे न्यायालीन अभिरक्षा में भी ले लिया। संभावना व्यक्त की जा रही है कि डॉ सुनील मिश्रा को चौदह साल बाद हत्या एवं हत्या के प्रयास के मामलो में कम से कम चौदह साल की सजा हो सकती है।
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