सामाजिक कार्य प्रतिस्पर्धा का विषय नहीं है ये सिर्फ दिल से होते है : टीम स्नेह और लायंस क्लब |
ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा : 8305895567
टीम स्नेह और लायंस क्लब नागदा ग्रेटर के साथी भी इसमें पीछे नहीं
नागदा. औद्योगिक शहर नागदा में लॉक डाउन के दिनों में मेरे शहर वासियों ने जिनसे जो बन पड़ा वो सेवा कार्य किया... किसी ने बता के तो किसी ने छुपा के...किसी ने तन से ... किसी ने मन से... तो किसी ने धन से...किन्तु किसने कितना किया.... यह महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि भाव सभी का एक था सेवा ,सेवा और सिर्फ निस्वार्थ सेवा.......और सेवा को किसी तराजू पर तोलना उचित नहीं है...
मेरा हमेशा से मानना रहा है कि सामाजिक कार्य प्रतिस्पर्धा का विषय नहीं है और ये सिर्फ दिल से होते है... और मेरा शहर दिलवालो का शहर है... इस लॉक डाउन ने यह पुनः स्थापित किया ... टीम स्नेह और लायंस क्लब नागदा ग्रेटर के साथी भी इसमें पीछे नहीं रहे... सबसे पहले लॉक डाउन १ में जागरूकता के लिए ऑनलाइन प्रतियोगिता का आयोजन... फिर लॉकडाउन २ में पत्रकार साथियों के साथ स्नेह टीम उन लोगो को खोज कर राशन की व्यवस्था में लग गई जो झिझक के कारण सामने नहीं आ रहे थे......फिर शुरू हुआ दिव्यांग साथियों को राशन किट बांटने का सिलसिला ... लक्ष्य था १०० किट का किन्तु लोग जुड़ते गए और संख्या बढ़ती गई... ईश्वर पूरी तरह साथ था.. न जाने कहां कहां से सहयोग अपने आप मिलता चला गया...इस बीच जबलपुर से मिले बौद्धिक दिव्यांग को पाकिस्तान सीमा से सटे फिरोजपुर भेजने में ईश्वर ने निमित्त बनाया.....
लायंस अंतरराष्ट्रीय फाउंडेशन से ७.५ लाख रुपए के अनुदान की स्वीकृत हुई और २००० पीपीई किट उज्जैन, भोपाल, सागर, होशंगाबाद, सहित अनेक स्थानों पर उपलब्ध करवाई.... लॉक डाउन ३ ने स्नेह के उन बच्चो के अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी जो चलने या बोलने के करीब पहुंच चुके थे...प्रशासन से अनुमति प्राप्त कर स्नेह की निदेशक डॉक्टर नैना क्रिश्चयन के नेतृत्व में थेरेपी शुरू हुई... परिणाम सुखद आए और हमारे एक बच्चे कान्हा ने चलना शुरू कर दिया .... विशेष बच्चो के घर जाकर हमारी टीम को कार्य करने का निर्देश दिया गया....
सबके मन में घर घर जाने में डर था किन्तु शुरुआत हमने स्वयं की और फिर ये सिलसिला चल पढ़ा...बौद्धिक दिव्यांग बच्चो की समस्याएं भी अलग ही होती है और उन्हे संभालना भी मुश्किल ... किन्तु टीम स्नेह ने सफलता से इसे संपादित किया.. जो अभी भी अनवरत जारी है .... विशेष बच्चो की घर घर विजिट के दौरान अभिभावकों की वित्तीय स्थिति से भी रूबरू होने का मौका मिला और मन अंदर तक हिल गया.... दो दो बार उन्हे राशन किट उपलब्ध कराई और संख्या ३०० को भी पार कर गई..... देने वाला श्री भगवान अब भी साथ था...।
ये भी गुजर जाएगा ..... समय हमेशा की तरह हर दर्द को भूलने में मदद करेगा.... हम सब फिर से अपने कार्यों मै लग जाएंगे... किन्तु शहर से जुड़े हर उस व्यक्ति जिसमे प्रशासन, मेडिकल टीम, नगर पालिका के अधिकारी - कर्मचारी, पुलिस, सफाई योद्धाओं, व्यापारी, पत्रकार, सामाजिक, धार्मिक एवम् राजनैतिक संगठनों के लोग, और हर वो शख्स जिसने इस शहर के एक भी नागरिक के लिए लॉक डाउन में मदद का हाथ बढ़ाया उसकी उजली छवि किसी के सामने अंकित हुई या नहीं किन्तु परमपिता परमेश्वर के खाते में अमिट रूप से अंकित हो चुकी है.... मुझे गर्व है कि मैंने ऐसे शहर नागदा में जन्म लिया .....।
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