यीशु की खास भूमिका क्या है?
वह कहाँ से आया था?
वह कैसा इंसान था?
1, 2. (क) क्या एक मशहूर आदमी का सिर्फ नाम जानने का यह मतलब है कि आपकी उससे गहरी जान-पहचान है? (ख) यीशु के बारे में लोग कैसी अलग-अलग राय रखते हैं?
दुनिया में कई मशहूर और जानी-मानी हस्तियाँ हैं। कुछ लोग अपने समाज, शहर या देश में मशहूर हैं तो कुछ दुनिया-भर में। मान लीजिए, आप किसी मशहूर आदमी का सिर्फ नाम जानते हैं। तो क्या आप यह कह सकते हैं कि मेरी उससे गहरी जान-पहचान है? नहीं। सिर्फ नाम जानने का यह मतलब नहीं कि आपको उसकी ज़िंदगी की एक-एक बात पता है और यह भी कि वह कैसा शख्स है।
2 यीशु मसीह करीब 2,000 साल पहले धरती पर आया था, फिर भी आज सारी दुनिया के लोग उसके बारे में कुछ-न-कुछ ज़रूर जानते हैं। मगर कइयों को सही से पता नहीं है कि यीशु असल में कौन था। वे उसके बारे में अलग-अलग राय रखते हैं। जैसे, कुछ लोगों का कहना है कि वह एक नेक इंसान था। दूसरे कहते हैं कि वह बस एक नबी था। और कई लोगों का मानना है कि यीशु, परमेश्वर है और हमें उसकी उपासना करनी चाहिए। लेकिन क्या वाकई में उसकी उपासना की जानी चाहिए?
3. यीशु के बारे में सच्चाई जानना आपके लिए क्यों ज़रूरी है?
3 यीशु के बारे में सही-सही जानना आपके लिए बहुत ज़रूरी है। क्यों? क्योंकि बाइबल कहती है: “अनन्त जीवन यह है कि वे तुझ एकमात्र सच्चे परमेश्वर का, और जिसे तू ने भेजा है, अर्थात् यीशु मसीह का ज्ञान लेते रहें।” (यूहन्ना 17:3, NW) जी हाँ, यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह के बारे में सच्चा ज्ञान लेने से आपको फिरदौस में हमेशा की ज़िंदगी मिल सकती है। (यूहन्ना 14:6) इतना ही नहीं, यीशु की बढ़िया मिसाल से आप सीख सकते हैं कि आपको अपनी ज़िंदगी कैसे बितानी चाहिए और दूसरों के साथ कैसा बर्ताव करना चाहिए। (यूहन्ना 13:34, 35) इस किताब के पहले अध्याय में हमने सीखा था कि परमेश्वर के बारे में सच्चाई क्या है। इस अध्याय में हम देखेंगे कि यीशु मसीह के बारे में बाइबल असल में क्या सिखाती है।
वह मसीहा जिसके आने का वादा किया गया था
4. “मसीहा” और “ख्रिस्त” का मतलब क्या है?
4 यीशु के पैदा होने से बहुत पहले, बाइबल में बता दिया गया था कि परमेश्वर एक मसीहा या ख्रिस्त को भेजेगा। शब्द “मसीहा” इब्रानी भाषा से और “ख्रिस्त” यूनानी भाषा से निकला है और इन दोनों का मतलब है “अभिषिक्त जन।” भविष्यवाणी के इन शब्दों से पता चलता है कि यह वादा किया हुआ जन परमेश्वर का अभिषिक्त होगा, यानी परमेश्वर उसे खास ज़िम्मेदारी और पदवी देने के लिए उसका अभिषेक करेगा। परमेश्वर के वादों के पूरा होने में मसीहा ने क्या अहम भूमिका निभायी, इस बारे में हम आगे के अध्यायों में और ज़्यादा सीखेंगे। हम उन आशीषों के बारे में भी जानेंगे जो यीशु की बदौलत आज हमें मिल सकती हैं। लेकिन जब यीशु धरती पर पैदा होनेवाला था, उस वक्त बेशक कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा था कि ‘वह मसीहा आखिर कौन होगा?’
5. यीशु के चेलों को उसके बारे में क्या यकीन था?
5 पहली सदी में, यीशु नासरी के चेलों को पूरा यकीन था कि भविष्यवाणी में बताया गया मसीहा वही है। (यूहन्ना 1:41) यीशु के चेले शमौन पतरस को उससे यह कहने में ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं हुई कि ‘तू मसीह है।’ (मत्ती 16:16) लेकिन उन्हें कैसे यकीन हुआ कि यीशु ही मसीहा है, और हम भी यह कैसे यकीन कर सकते हैं?
6. यहोवा ने मसीहा को पहचानने में अपने लोगों की कैसे मदद की, इसे समझाने के लिए एक मिसाल दीजिए।
6 यीशु के आने से पहले नबियों ने मसीहा के बारे में कई भविष्यवाणियाँ की थीं। इनमें दी जानकारी की मदद से लोग मसीहा को पहचान सकते थे। इसे समझाने के लिए यह मिसाल दी जा सकती है। मान लीजिए, आप से कहा जाए कि आप फलाँ-फलाँ बस या हवाई-अड्डे या रेलवे-स्टेशन पर किसी को लेने जाएँ। मगर मुश्किल यह है कि आप जिसे लेने जा रहे हैं उसे आपने पहले कभी नहीं देखा। तो आप उसे पहचानेंगे कैसे? अगर आपको आनेवाले मेहमान के हुलिए और शक्ल-सूरत के बारे में कुछ बताया जाए, तो आपका काम आसान हो जाएगा, है कि नहीं? उसी तरह, यहोवा ने मसीहा को पहचानने के लिए, अपने नबियों के ज़रिए काफी जानकारी दी थी। जैसे कि वह क्या-क्या काम करेगा और उसे कैसे-कैसे ज़ुल्म सहने पड़ेंगे। इन ढेरों भविष्यवाणियों को पूरा होते देखकर परमेश्वर के सेवक साफ-साफ पहचान सकते थे कि कौन मसीहा है।
7. ऐसी कौन-सी दो भविष्यवाणियाँ हैं जो यीशु पर पूरी हुई थीं?
7 आइए अब मसीहा के बारे में ऐसी दो भविष्यवाणियों पर गौर करें। पहली भविष्यवाणी मीका की है। उसने मसीहा के आने से 700 साल पहले बताया था कि मसीहा, यहूदा देश में बेतलेहेम नाम के एक छोटे-से नगर में पैदा होगा। (मीका 5:2) यीशु कहाँ पैदा हुआ? इसी नगर में! (मत्ती 2:1, 3-9) दूसरी भविष्यवाणी दानिय्येल 9:25 में है। इसमें मसीहा के आने से सदियों पहले बताया गया था कि वह सा.यु. 29 में लोगों पर प्रकट होगा। * यीशु, मसीहा बनकर किस साल प्रकट हुआ? ठीक उसी साल। इन दोनों के अलावा, दूसरी ढेरों भविष्यवाणियाँ पूरी होने से साबित हो जाता है कि यीशु ही मसीहा है।
यीशु के बपतिस्मे के वक्त, परमेश्वर की पवित्र शक्ति कबूतर के रूप में नीचे उतरते हुए, यह ज़ाहिर करने के लिए कि यीशु ही मसीहा है
बपतिस्मा होने पर यीशु, मसीहा या ख्रिस्त बना
8, 9. यीशु के बपतिस्मे के वक्त क्या सबूत मिला कि वही मसीहा था?
8 सामान्य युग 29 के आखिर में यीशु के बपतिस्मे के वक्त उसके मसीहा होने का एक और सबूत मिला। यहोवा ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले को मसीहा को पहचानने की निशानी दी थी। वह निशानी क्या थी? बाइबल बताती है कि जब यीशु ने यरदन नदी में बपतिस्मा लिया, तो क्या हुआ: “यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिये आकाश खुल गया; और उस ने परमेश्वर के आत्मा को कबूतर की नाई उतरते और अपने ऊपर आते देखा। और देखो, यह आकाशवाणी हुई, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यन्त प्रसन्न हूं।” (मत्ती 3:16, 17) पवित्र आत्मा उँडेलने के साथ-साथ यहोवा ने खुद इस मौके पर गवाही देकर सबूत दिया कि यीशु ही मसीहा था। यूहन्ना को यह सब देखने और सुनने पर पक्का विश्वास हो गया कि यीशु को परमेश्वर ने भेजा है। (यूहन्ना 1:32-34) जिस दिन यीशु पर परमेश्वर की आत्मा या सक्रिय शक्ति उँडेलकर उसका अभिषेक किया गया उस दिन यीशु, मसीहा या ख्रिस्त बना, यानी वह जिसे परमेश्वर ने प्रधान और राजा बनने के लिए चुना था।—यशायाह 55:4.
9 यीशु पर बाइबल की जो भविष्यवाणियाँ पूरी हुईं और खुद यहोवा परमेश्वर ने जो गवाही दी, उनसे साफ पता चलता है कि यीशु ही वादा किया गया मसीहा था। मगर यीशु मसीह के बारे में बाइबल और भी दो अहम सवालों के जवाब देती है: वह कहाँ से आया था और कैसा इंसान था?
यीशु कहाँ से आया था?
10. बाइबल के मुताबिक धरती पर आने से पहले यीशु कहाँ था?
10 बाइबल सिखाती है कि यीशु, धरती पर आने से पहले स्वर्ग में था। मीका ने अपनी भविष्यवाणी में जब कहा कि मसीहा बेतलेहेम में पैदा होगा तो उसने यह भी बताया कि वह “प्राचीनकाल से” अस्तित्त्व में है। (मीका 5:2) कई मौकों पर खुद यीशु ने भी बताया कि वह धरती पर आने से पहले स्वर्ग में था। (यूहन्ना 3:13; 6:38, 62; 17:4, 5) स्वर्ग में वह एक आत्मिक प्राणी था और उसका यहोवा के साथ एक खास और करीबी रिश्ता था।
11. बाइबल कैसे दिखाती है कि यीशु, यहोवा का सबसे प्यारा बेटा है?
11 यीशु, यहोवा का सबसे प्यारा बेटा है और इसकी ठोस वजह भी हैं। बाइबल में उसे “सारी सृष्टि में पहिलौठा” कहा गया है, क्योंकि उसे सबसे पहले बनाया गया था। * (कुलुस्सियों 1:15) एक और वजह से भी यहोवा का यह बेटा उसे सबसे अज़ीज़ है। वह परमेश्वर का “एकलौता पुत्र” है। (यूहन्ना 3:16) इसका मतलब है कि अकेला वही ऐसा है जिसे परमेश्वर ने खुद रचा था। और अपनी बाकी सृष्टि को बनाने के लिए परमेश्वर ने सिर्फ उसी को इस्तेमाल किया था। (कुलुस्सियों 1:16) इसके अलावा यीशु को “वचन” भी कहा गया है। (यूहन्ना 1:14) इससे हमें पता चलता है कि वह यहोवा की तरफ से बोलता था। वह अपने पिता का संदेश और उसकी हिदायतें परमेश्वर के बाकी बेटों, यानी स्वर्गदूतों और इंसानों को पहुँचाता था।
12. हम कैसे जानते हैं कि परमेश्वर का पहिलौठा पुत्र, उसके बराबर नहीं है?
12 कुछ लोग मानते हैं कि पहिलौठा पुत्र यीशु, परमेश्वर के बराबर है। क्या यह सच है? बाइबल ऐसा नहीं सिखाती। जैसे हमने पिछले पैराग्राफ में देखा, यीशु की सृष्टि की गयी थी। तो ज़ाहिर है कि उसकी एक शुरूआत थी, जबकि यहोवा परमेश्वर की न तो कोई शुरूआत थी और ना ही कभी उसका अंत होगा। (भजन 90:2) और यीशु के मन में कभी अपने पिता के बराबर बनने का खयाल तक नहीं आया। बाइबल साफ-साफ बताती है कि पिता, पुत्र से बड़ा है। (यूहन्ना 14:28; 1 कुरिन्थियों 11:3) केवल यहोवा ही “सर्वशक्तिमान् ईश्वर” है। (उत्पत्ति 17:1) इसलिए कोई उसकी बराबरी नहीं कर सकता। *
13. बाइबल में पुत्र को “अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप” क्यों कहा गया है?
13 यहोवा और उसका पहिलौठा बेटा, अरबों-खरबों सालों से साथ-साथ रहे हैं, यानी तब से जब न यह आसमान था और ना ही यह ज़मीन। तो सोचिए उनके बीच कितना करीबी रिश्ता और गहरा प्यार होगा! (यूहन्ना 3:35; 14:31) परमेश्वर का यह प्यारा बेटा हर बात में हू-ब-हू अपने पिता जैसा था। यही वजह है कि बाइबल उसे “अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप” कहती है। (कुलुस्सियों 1:15) जिस तरह एक बेटे में बहुत-से गुण अपने पिता जैसे होते हैं, वैसे ही यीशु में भी अपने पिता जैसे गुण हैं और वह उसके जैसी शख्सियत रखता है।
14. यहोवा का एकलौता बेटा, एक इंसान के रूप में कैसे पैदा हुआ?
14 यहोवा का एकलौता बेटा, इंसान की ज़िंदगी जीने के लिए खुशी से स्वर्ग छोड़कर धरती पर आया। मगर आप शायद सोचें, ‘यीशु तो एक आत्मिक प्राणी था, फिर वह इंसान कैसे बना?’ इसे मुमकिन करने के लिए, यहोवा ने एक चमत्कार किया। उसने अपने पहिलौठे बेटे का जीवन एक भ्रूण के रूप में, मरियम नाम की एक यहूदी कुँवारी के गर्भ में डाला। इस तरह, इस बच्चे का कोई इंसानी पिता नहीं था। इसी वजह से, मरियम ने जिस बेटे को जन्म दिया वह सिद्ध था और उसने उसका नाम यीशु रखा।—लूका 1:30-35.
यीशु कैसा इंसान था?
एक घर में यीशु लोगों को प्रचार करते हुए
15. हम क्यों कह सकते हैं कि यीशु के बारे में सीखने से हम यहोवा को अच्छी तरह जान पाएँगे?
15 यीशु ने धरती पर रहते वक्त जो बातें कहीं और जो काम किए, उनके बारे में सीखकर हम उसे और भी अच्छी तरह जान सकते हैं। इससे भी बढ़कर, यीशु के ज़रिए हम यहोवा को और करीब से जान सकेंगे। वह कैसे? क्योंकि परमेश्वर का यह बेटा हर बात में हू-ब-हू अपने पिता की तरह था, जैसा कि हम पहले देख चुके हैं। इसीलिए उसने अपने एक चेले से कहा: “जिस ने मुझे देखा है उस ने पिता को देखा है।” (यूहन्ना 14:9) बाइबल में मत्ती, मरकुस, लूका और यूहन्ना नाम की ऐसी चार किताबें हैं जो हमें यीशु मसीह की ज़िंदगी, उसकी सेवा और उसके गुणों के बारे में बहुत कुछ बताती हैं। इन किताबों को सुसमाचार की किताबें कहा जाता है।
16. यीशु का खास संदेश क्या था, और यह किसकी तरफ से था?
16 यीशु को लोग “गुरु” कहकर बुलाते थे क्योंकि वह सिखाने में बेजोड़ था। (यूहन्ना 1:38; 13:13) वह लोगों को क्या सिखाता था? ‘राज्य के सुसमाचार’ के बारे में। यही उसका खास संदेश था। उसने लोगों को यह खुशखबरी दी कि परमेश्वर का स्वर्गीय राज्य या सरकार बहुत जल्द सारी दुनिया पर हुकूमत करेगी और आज्ञा माननेवाले इंसानों को बेशुमार आशीषें देगी। (मत्ती 4:23) उसका यह संदेश किसकी तरफ से था? यीशु ने खुद इसका जवाब दिया: “मेरा उपदेश मेरा नहीं, परन्तु मेरे भेजनेवाले” यानी यहोवा परमेश्वर का है। (यूहन्ना 7:16) यीशु अच्छी तरह जानता था कि उसके पिता की यह मरज़ी है कि लोगों को राज्य की खुशखबरी सुनायी जाए। यह राज्य क्या है और यह क्या करेगा, इस बारे में हम अध्याय 8 में ज़्यादा सीखेंगे।
यीशु कुछ मछुआरों को प्रचार करते हुए
17. यीशु सिखाने के लिए कहाँ-कहाँ गया, और इस काम में उसने इतनी मेहनत क्यों की?
17 लोगों को सिखाने के लिए यीशु कहाँ-कहाँ गया? ऐसी हर जगह जहाँ लोग मिल सकते थे—घरों में, बाज़ारों में, गाँवों और शहरों में, यहाँ तक कि दूर-दूर के इलाकों में भी। यीशु ने कभी यह उम्मीद नहीं की कि लोग उसके पास आएँ बल्कि वह खुद उनके पास जाता था। (मरकुस 6:56; लूका 19:5, 6) आखिर क्या वजह थी कि यीशु ने प्रचार करने और लोगों को सिखाने में इतनी कड़ी मेहनत की, यहाँ तक कि अपना सारा वक्त लगा दिया? क्योंकि यीशु के लिए परमेश्वर की यही मरज़ी थी। और उसने हमेशा से वही किया है जो पिता उससे चाहता था। (यूहन्ना 8:28, 29) मगर उसके प्रचार करने की सिर्फ यही वजह नहीं थी। जब लोगों की भीड़ यीशु से मिलने आती थी, तो यह देखकर उससे सहा नहीं जाता था कि उनकी आध्यात्मिक हालत इतनी खराब है। (मत्ती 9:35, 36) उस ज़माने के धर्म-गुरुओं ने उन पर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया था, जबकि उनका फर्ज़ था कि वे लोगों को परमेश्वर और उसके मकसद के बारे में सच्चाई सिखाएँ। यीशु अच्छी तरह जानता था कि लोगों को राज्य की खुशखबरी सुनाए जाने की कितनी ज़रूरत है।
18. यीशु के कौन-से गुण खास तौर पर आपके मन को भा जाते हैं?
18 यीशु प्यार की ज़िंदा मिसाल था। दूसरों का दर्द और उनकी तकलीफें देखकर वह तड़प उठता था। ऐसी सच्ची परवाह देखकर लोग उसके पास खिंचे चले आते थे। यहाँ तक कि छोटे बच्चों को भी उससे बहुत लगाव था। (मरकुस 10:13-16) यीशु अमीर-गरीब या जात-पाँत नहीं देखता था, बल्कि उसकी नज़र में सभी एक-बराबर थे। उसे बेईमानी, धोखाधड़ी और अन्याय से सख्त नफरत थी। (मत्ती 21:12, 13) हालाँकि उस ज़माने में स्त्रियों को नीचा समझा जाता था और उन्हें बहुत कम अधिकार दिए जाते थे, मगर यीशु ने उन्हें लिहाज़ दिखाया और उनके साथ गरिमा से पेश आया। (यूहन्ना 4:9, 27) यीशु की नम्रता सच्ची थी। एक मौके पर उसने ऐसा काम किया जो आम तौर पर घर का सबसे तुच्छ सेवक करता है। गुरु होते हुए भी उसने अपने चेलों के पाँव धोए!
एक बीमार व्यक्ति को छूकर ठीक करने के लिए यीशु आगे बढ़ते हुए
यीशु ने ऐसी हर जगह प्रचार किया जहाँ लोग मिल सकते थे
19. कौन-सी घटना दिखाती है कि यीशु दूसरों की तकलीफ बखूबी समझता था?
19 यीशु महसूस कर सकता था कि दूसरे किस पीड़ा में हैं और उनकी ज़रूरतें क्या हैं। जब वह परमेश्वर की आत्मा के असर में चंगाई के काम करता था, तब उसकी यह हमदर्दी साफ नज़र आती थी। (मत्ती 14:14) मिसाल के लिए, एक कोढ़ी ने यीशु के पास आकर कहा: “यदि तू चाहे तो मुझे शुद्ध कर सकता है।” उसकी यह दर्द-भरी फरियाद सुनकर यीशु से रहा नहीं गया। हाथ बढ़ाकर उसने कोढ़ी को छूआ और कहा: “मैं चाहता हूं तू शुद्ध हो जा।” यह कहते ही वह कोढ़ी चंगा हो गया! (मरकुस 1:40-42) क्या आप उस आदमी की खुशी का अंदाज़ा लगा सकते हैं?
आखिरी साँस तक वफादार
20, 21. यीशु ने हर हाल में परमेश्वर की आज्ञा मानने में कैसी मिसाल रखी?
20 यहोवा की आज्ञा मानने और उसका वफादार रहने में यीशु से बढ़कर दूसरी कोई मिसाल नहीं है। हर हाल में और हर तरह का विरोध और ज़ुल्म सहते हुए भी वह अपने पिता का वफादार रहा। मिसाल के लिए, जब शैतान ने उसे परमेश्वर की आज्ञा तोड़ने के लिए उकसाया, तो उसने डटकर उसका सामना किया और उसके हर सवाल का मुँहतोड़ जवाब दिया। (मत्ती 4:1-11) एक वक्त ऐसा भी आया जब उसके अपनों ने उसका यकीन नहीं किया और उसे ‘पागल’ करार दिया। (मरकुस 3:21, नयी हिन्दी बाइबिल) फिर भी यीशु हिम्मत नहीं हारा बल्कि यहोवा की मरज़ी पूरी करने की धुन में लगा रहा। जब दुश्मनों ने उसे ज़लील किया और सताया, तब भी उसने अपना आपा नहीं खोया, न ही उनसे बदला लिया।—1 पतरस 2:21-23.
21 हालाँकि उसके दुश्मनों ने उसे बड़ी बेरहमी से तड़पा-तड़पाकर मारा, फिर भी वह आखिरी साँस तक यहोवा का वफादार बना रहा। (फिलिप्पियों 2:8) गौर कीजिए कि उसने अपनी ज़िंदगी के आखिरी दिन क्या-क्या सहा। उसे गिरफ्तार किया गया, अदालत में झूठे गवाहों ने उस पर इलज़ाम लगाए, बेईमान और भ्रष्ट न्यायियों ने उसे मुजरिम करार दिया, लोगों की भीड़ ने उसकी खिल्ली उड़ायी और सैनिकों ने उसे कैसी-कैसी यातनाएँ दीं। आखिर में, उसे एक काठ पर कीलों से ठोंक दिया गया। दम तोड़ने से पहले उसने पुकारकर कहा: “पूरा हुआ”! (यूहन्ना 19:30) लेकिन मरने के तीसरे दिन, उसके पिता ने उसे एक आत्मिक शरीर में दोबारा ज़िंदा किया। (1 पतरस 3:18) इसके कुछ हफ्तों बाद, वह स्वर्ग लौट गया, जहाँ वह “परमेश्वर के दहिने जा बैठा” और उस वक्त का इंतज़ार करने लगा जब उसे राजा ठहराया जाता।—इब्रानियों 10:12, 13.
22. यीशु ने मरते दम तक वफादार रहकर क्या मुमकिन किया?
22 यीशु आखिरी साँस तक वफादार रहा, इससे क्या मुमकिन हो सका? यीशु की मौत से हमारे लिए फिरदौस में हमेशा की ज़िंदगी पाने का रास्ता खुल गया है, ठीक जैसा यहोवा ने शुरू से चाहा था। यीशु की मौत से यह कैसे मुमकिन हुआ, इस बारे में अगले अध्याय में चर्चा की जाएगी