यह खुलासा वाइल्ड लाइफ एक्टीविस्ट अजय दुबे ने गुरूवार को मीडिया से चर्चा में किया। उनके अनुसार सितंबर माह में दिल्ली में हुई प्रधान मुख्य वन संरक्षकों की बैठक में भारत सरकार ने यह आदेश जारी कर राज्यों के प्रत्येक जिले के वन क्षेत्र का जिओ रेफरेंस्ड डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट मैप्स बनाकर 31 अक्टूबर तक केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को सूचित करने के लिए कहा था। लेकिन, मध्यप्रदेश सरकार के वन विभाग ने आज तक इसकी प्रक्रिया तक शुरू नहीं की। इसके कारण प्रदेश के वनों में हो रही पेड़ों की अवैध कटाई के बारे में पता लगाना संभव नहीं हो पा रहा है। उन्होंने रातापानी में रोजाना हो रही लकड़ी की कटाई और सागौन की तस्करी के फोटो भी जारी किए। उन्होंने इस बात पर भी आपत्ति जतायी कि मप्र सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार रातापानी अभ्यारण को टाइगर रिज़र्व बनाने की स्वीकृति 2008में दे चुकी है लेकिन आज तक राज्य सरकार ने अधिसूचना के लिए प्रस्ताव नहीं भेजा।
आईएसआईएस के अटैक का डर, नहीं हुआ राज्य सुरक्षा आयोग का पुनर्गठन
इसके साथ ही उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सिंहस्थ की सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर राज्य सुरक्षा आयोग का पुनर्गठन भी नहीं करने पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि एक तरफ आईएसआईएस का अटैक चल रहा है वहीं दूसरी ओर मप्र सरकार राज्य सुरक्षा आयोग के पुनर्गठन को लेकर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है, जबकि दूसरी ओर १५ राज्यों में यह आयोग बन चुके हैं। वर्ष 2013 में यह आयोग बनाया गया था। इसका उद्देश्य सुरक्षा के लिए बेहतर नीति बनाना था।
इसी तरह आईएएस अफसरों के तबादलों के लिए सिविल सर्विस बोर्ड भी नहीं बनाने पर उन्होंने सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार में जो जानकारी सामने आयी है उसके मुताबिक राज्य सरकार ने पिछले 23 महीनों में सिविल सर्विस बोर्ड के गठन के कोई प्रयास नहीं किए हैं। जबकि 25 राज्यों में यह आयोग बन चुका है। उन्होंने राज्य सरकार से राज्य सुरक्षा आयोग का पुनर्गठन और सिविल सर्विस बोर्ड का गठन करने की मांग की है।
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