अवधेश पुरोहित @ present by: Toc News
भोपाल । मध्यप्रदेश में भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने का वायदा कर सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल के दौरान जिस तरह से सत्ताधीशों से लेकर आम छोटे अधिकारी तक जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है, उसका जीता-जागता उदारहण है परिवहन विभाग का आरक्षक जो करोड़पति निकला, वैसे तो शिवराज के शासनकाल के दस वर्षों के दौरान जहां भी जांच एजेंसियों ने छापे की कार्यवाही की वह करोड़पति ही निकला लेकिन हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को सचिन तेंदुलकर के नाम से नवाजा गया था। यूं तो उन्होंने नगरीय निकाय से लेकर स्वास्थ्य विभाग में चौके-छक्के उड़ाने में अपना रिकार्ड बनाया है हाल ही में जो मामला प्रकाश में आया तो उसमें अब डॉ. नरोत्तम मिश्रा के निजी सचिव पाण्डे ने जो आदिवासी इलाकों में नर्सिंग कॉलेज की अनुमति देने में भी भ्रष्टाचार के चौके-छक्के लगाने में मंत्री से अपने आपको पीछे नहीं छोड़ा, स्थिति यह है कि प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गई अनुमति संदेह के घेरे में आ गई। बताया जाता है कि भारतीय नर्सिंग काउंसलिंग की नई गाइड लाइन के अनुसार सामान्य जिलों में नये नर्सिंग महाविद्यालय वह ही संस्थाएं खोल पाएंगी जिनके पास स्वयं का ११० बिस्तरों वाला अस्पताल होगा, यह बंधनकारी नियम आदिवासी जिलों में लागू नहीं होगा, आदिवासी जिलों में संस्थाओं को वहां के जिला अस्पतालों के टेक्निकल ट्रेनिंग के लिये संबद्धता लेनी होगी और दूसरे मापदण्ड जैसे २३ हजार वर्गफिट का न्यूनतम भवन दो एमएससी व्याख्याता यदि कोई एमएससी और गायनो दोनों हो ही हो तो दो एमएससी व्यख्याता कम्प्यूटर लैब जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध हों तो राज्य सरकार अनापत्ति प्रमाण पत्र नर्सिंग महाविद्यालय खोलने के लिये जारी कर सकती है। इस तरह की अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की अंतिम तारीख १८ दिसम्बर २०१५ होने के कारण ऐसा कोहराम मचा कि निजी सचिव पाण्डे ने मंत्री को अंधेरे में रखते हुए सारा खेल खेल डाला और १५-२० नर्सिंग महाविद्यालय को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करवा दिये। सूत्रों के अनुसार जिस नर्सिंग महाविद्यालय को खोलने के लिए झाबुआ, रतलाम, मण्डला, खरगौन, धार, बड़वानी, छिंदवाड़ा, बैतूल जैसे जिलों में अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किये गये हैं वहां के कोई भी नर्सिंग महाविद्यालय भारतीय नर्सिंग परिषद के मापदण्डों को पूरा ही नहीं करते हैं सूत्रों के अनुसार प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आदिवासी इलाकों में जब तक कोई संस्था नर्सिंग कॉलेज खोलने के समस्त मापदण्ड पूरे नहीं करती उन्हें अनुमति देने के लिये तैयार न हीं थे, परन्तु उसी विभाग के सचिव कुमरे और स्वास्थ्य मंत्री के निजी सचिव पाण्डेय ने संाठगांठ करके १५-२० नर्सिंग कॉलेजों के लिये ऐसी संस्थाओं के लिये अनुमति दे दी जो मापदण्डों को पूरा ही नहीं करती हैं मजे की बात यह है कि इन सब अनुमतियों पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का अनुमोदन भी विधिवत लिया गया इसके बाद भी जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि मेरी सब पर नजर है दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करूंगा यदि गड़बड़ी हुई है तो दोषियों को नहीं छोड़ूंगा हालांकि मप्र सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान की जानकारी में जब इस तरह के भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामले लाये जाते हैं तो वह अक्सर एक ही डायलाग बोलते हैं कि भ्रष्टाचारियों को बक्शा नहीं जाएगा, हालांकि अभी तक उन्होंने जिन-जिन मामलों पर बयान दिये आज तक उनपर कोई कार्यवाही नहीं हुई है और यह भ्रष्ट अधिकारी आज भी मलाईदार पदों पर विराजमान होकर धड़ल्ले से अपने कारनामों को अंजाम देने में लगे हुए हैं। मुख्यमंत्री के इस तरह के किसी को बक्शा नहीं जाने वाले बयान को लेकर लोग तरह-तरह के मायने लगाने में लगे हुए हैं तो उनकी पार्टी के कुछ नेता यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि जब भी मुख्यमंत्री इस तरह के बयान देते हैं तो समझ लो कि वह उस भ्रष्ट अधिकारी को क्लीनचिट देने का काम को अंजाम दे रहे हैं और उसका कुछ भी बिगडऩे वाला नहीं है ऐसे एक नहीं अनेकों मामले कार्यवाही के अभाव में दबे पड़े हैं और उनपर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है, शायद मुख्यमंत्री के अनुसरण करते हुए जिन स्वास्थ्य मंत्री ने पाण्डे के द्वारा नर्सिंग कॉलेजों खोलने के लिये अनुमति प्रमाण पत्र जारी करने के लिये धड़ल्ले से लाखों रुपये का कमाल दिखाया और उन्हीं सभी फाइलों पर स्वास्थ्य मंत्री का अनुमोदन लिया है, मजे की बात यह है कि अब उन्हीं सभी मामलों को लेकर स्वास्थ्य मंत्री यह कहते नजर आ रहे हैं कि दोषियों को छोड़ूंगा नहीं, इस मामले में कितना दम है और इस पर क्या कार्यवाही होगी यह तो भविष्य बताएगा लेकिन आदिवासी इलाकों में नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिये पाण्डे द्वारा दी गई अनुमतियों का क्या होता है.
भोपाल । मध्यप्रदेश में भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने का वायदा कर सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल के दौरान जिस तरह से सत्ताधीशों से लेकर आम छोटे अधिकारी तक जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है, उसका जीता-जागता उदारहण है परिवहन विभाग का आरक्षक जो करोड़पति निकला, वैसे तो शिवराज के शासनकाल के दस वर्षों के दौरान जहां भी जांच एजेंसियों ने छापे की कार्यवाही की वह करोड़पति ही निकला लेकिन हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को सचिन तेंदुलकर के नाम से नवाजा गया था। यूं तो उन्होंने नगरीय निकाय से लेकर स्वास्थ्य विभाग में चौके-छक्के उड़ाने में अपना रिकार्ड बनाया है हाल ही में जो मामला प्रकाश में आया तो उसमें अब डॉ. नरोत्तम मिश्रा के निजी सचिव पाण्डे ने जो आदिवासी इलाकों में नर्सिंग कॉलेज की अनुमति देने में भी भ्रष्टाचार के चौके-छक्के लगाने में मंत्री से अपने आपको पीछे नहीं छोड़ा, स्थिति यह है कि प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गई अनुमति संदेह के घेरे में आ गई। बताया जाता है कि भारतीय नर्सिंग काउंसलिंग की नई गाइड लाइन के अनुसार सामान्य जिलों में नये नर्सिंग महाविद्यालय वह ही संस्थाएं खोल पाएंगी जिनके पास स्वयं का ११० बिस्तरों वाला अस्पताल होगा, यह बंधनकारी नियम आदिवासी जिलों में लागू नहीं होगा, आदिवासी जिलों में संस्थाओं को वहां के जिला अस्पतालों के टेक्निकल ट्रेनिंग के लिये संबद्धता लेनी होगी और दूसरे मापदण्ड जैसे २३ हजार वर्गफिट का न्यूनतम भवन दो एमएससी व्याख्याता यदि कोई एमएससी और गायनो दोनों हो ही हो तो दो एमएससी व्यख्याता कम्प्यूटर लैब जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध हों तो राज्य सरकार अनापत्ति प्रमाण पत्र नर्सिंग महाविद्यालय खोलने के लिये जारी कर सकती है। इस तरह की अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की अंतिम तारीख १८ दिसम्बर २०१५ होने के कारण ऐसा कोहराम मचा कि निजी सचिव पाण्डे ने मंत्री को अंधेरे में रखते हुए सारा खेल खेल डाला और १५-२० नर्सिंग महाविद्यालय को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करवा दिये। सूत्रों के अनुसार जिस नर्सिंग महाविद्यालय को खोलने के लिए झाबुआ, रतलाम, मण्डला, खरगौन, धार, बड़वानी, छिंदवाड़ा, बैतूल जैसे जिलों में अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किये गये हैं वहां के कोई भी नर्सिंग महाविद्यालय भारतीय नर्सिंग परिषद के मापदण्डों को पूरा ही नहीं करते हैं सूत्रों के अनुसार प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आदिवासी इलाकों में जब तक कोई संस्था नर्सिंग कॉलेज खोलने के समस्त मापदण्ड पूरे नहीं करती उन्हें अनुमति देने के लिये तैयार न हीं थे, परन्तु उसी विभाग के सचिव कुमरे और स्वास्थ्य मंत्री के निजी सचिव पाण्डेय ने संाठगांठ करके १५-२० नर्सिंग कॉलेजों के लिये ऐसी संस्थाओं के लिये अनुमति दे दी जो मापदण्डों को पूरा ही नहीं करती हैं मजे की बात यह है कि इन सब अनुमतियों पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का अनुमोदन भी विधिवत लिया गया इसके बाद भी जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि मेरी सब पर नजर है दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करूंगा यदि गड़बड़ी हुई है तो दोषियों को नहीं छोड़ूंगा हालांकि मप्र सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान की जानकारी में जब इस तरह के भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामले लाये जाते हैं तो वह अक्सर एक ही डायलाग बोलते हैं कि भ्रष्टाचारियों को बक्शा नहीं जाएगा, हालांकि अभी तक उन्होंने जिन-जिन मामलों पर बयान दिये आज तक उनपर कोई कार्यवाही नहीं हुई है और यह भ्रष्ट अधिकारी आज भी मलाईदार पदों पर विराजमान होकर धड़ल्ले से अपने कारनामों को अंजाम देने में लगे हुए हैं। मुख्यमंत्री के इस तरह के किसी को बक्शा नहीं जाने वाले बयान को लेकर लोग तरह-तरह के मायने लगाने में लगे हुए हैं तो उनकी पार्टी के कुछ नेता यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि जब भी मुख्यमंत्री इस तरह के बयान देते हैं तो समझ लो कि वह उस भ्रष्ट अधिकारी को क्लीनचिट देने का काम को अंजाम दे रहे हैं और उसका कुछ भी बिगडऩे वाला नहीं है ऐसे एक नहीं अनेकों मामले कार्यवाही के अभाव में दबे पड़े हैं और उनपर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है, शायद मुख्यमंत्री के अनुसरण करते हुए जिन स्वास्थ्य मंत्री ने पाण्डे के द्वारा नर्सिंग कॉलेजों खोलने के लिये अनुमति प्रमाण पत्र जारी करने के लिये धड़ल्ले से लाखों रुपये का कमाल दिखाया और उन्हीं सभी फाइलों पर स्वास्थ्य मंत्री का अनुमोदन लिया है, मजे की बात यह है कि अब उन्हीं सभी मामलों को लेकर स्वास्थ्य मंत्री यह कहते नजर आ रहे हैं कि दोषियों को छोड़ूंगा नहीं, इस मामले में कितना दम है और इस पर क्या कार्यवाही होगी यह तो भविष्य बताएगा लेकिन आदिवासी इलाकों में नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिये पाण्डे द्वारा दी गई अनुमतियों का क्या होता है.
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