Toc News @ jodpur
हिम्मत की भी हद है।पुलिस का कन्ट्रोल रूम सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए होता है। मुसीबत की सूचना पीडि़त व्यक्ति कन्ट्रोल रूम पर देता है और फिर कन्ट्रोल रूम से संबंधित पुलिस स्टेशन को सूचना देकर पीडि़त की मदद करवाई जाती है। लेकिन यदि इसी कन्ट्रोल रूम में पुलिस का बड़ा अधिकारी रिश्वत वसूलने के दिशा-निर्देश देता हो तो इससे ज्यादा शर्मनाक और घिनौनी बात नहीं हो सकती। 5 दिसम्बर को जोधपुर कमिश्नरेट के एसीपी (पूर्व) जगदीश विश्नोई को एसीबी ने उस समय गिरफ्तार किया, जब वह एक दलाल से 70 हजार रुपए रिश्वत के मंगवा रहा था। एसीबी के एसपी अजयपाल लाम्बा ने बताया कि जोधपुर के महामंदिर थाने में विनय पंवार के खिलाफ एससीएसटी में मुकदमा दर्ज था।
इस मुकदमे में एससीएसटी की धारा हटाने के लिए ही विश्नोई ने 70 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। योजना के मुताबिक पवार ने यह राशि दयाल डुगरदान को दी। तभी एसीपी ने डुगरदान को गिरफ्तार कर लिया और तत्काल ही एसीपी विश्नोई से मोबाइल पर बात करवाई। जोधपुर के पुलिस कन्ट्रोल रूम में बैठे विश्नोई ने कहा कि रिश्वत को लेकर कन्ट्रोल रूम ही आ जाओ। इसी आधार पर एसीबी ने विश्नोई को भी गिरफ्तार कर लिया। खुद लाम्बा को भी इस बात पर आश्चर्य है कि विश्नोई ने कन्ट्रोल रूम में बैठकर रिश्वत की राशि प्राप्त करने की हिम्मत दिखाई है।
इससे राजस्थान पुलिस का भ्रष्ट चेहरा भी उजागर हो गया है। यदि एएसपी स्तर के अधिकारी 70 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़े जाते हैं तो इससे पुलिस में फैले भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सकता है। जिन लोगों का पुलिस से वास्ता पड़ा है उन्हें अहसास होगा कि रिश्वत दिए बिना पुलिस विभाग में कोई काम होता ही नहीं है। पासपोर्ट बनवाने के लिए निवास प्रमाण पत्र देने तक में पुलिस रिश्वत वसूलती है।
असल में पुलिस की वर्दी का असर ही कुछ ऐसा है। आरपीएस बनने से पहले जगदीश विश्नोई एक साधारण शिक्षक थे लेकिन जैसे ही विश्नोई न खादी वर्दी पहनी वैसे ही चेहरा भ्रष्ट हो गया। विश्नोई की पत्नी ने भी घरेलू हिंसा करने का मुकदमा करवा रखा है।
हिम्मत की भी हद है।पुलिस का कन्ट्रोल रूम सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए होता है। मुसीबत की सूचना पीडि़त व्यक्ति कन्ट्रोल रूम पर देता है और फिर कन्ट्रोल रूम से संबंधित पुलिस स्टेशन को सूचना देकर पीडि़त की मदद करवाई जाती है। लेकिन यदि इसी कन्ट्रोल रूम में पुलिस का बड़ा अधिकारी रिश्वत वसूलने के दिशा-निर्देश देता हो तो इससे ज्यादा शर्मनाक और घिनौनी बात नहीं हो सकती। 5 दिसम्बर को जोधपुर कमिश्नरेट के एसीपी (पूर्व) जगदीश विश्नोई को एसीबी ने उस समय गिरफ्तार किया, जब वह एक दलाल से 70 हजार रुपए रिश्वत के मंगवा रहा था। एसीबी के एसपी अजयपाल लाम्बा ने बताया कि जोधपुर के महामंदिर थाने में विनय पंवार के खिलाफ एससीएसटी में मुकदमा दर्ज था।
इस मुकदमे में एससीएसटी की धारा हटाने के लिए ही विश्नोई ने 70 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। योजना के मुताबिक पवार ने यह राशि दयाल डुगरदान को दी। तभी एसीपी ने डुगरदान को गिरफ्तार कर लिया और तत्काल ही एसीपी विश्नोई से मोबाइल पर बात करवाई। जोधपुर के पुलिस कन्ट्रोल रूम में बैठे विश्नोई ने कहा कि रिश्वत को लेकर कन्ट्रोल रूम ही आ जाओ। इसी आधार पर एसीबी ने विश्नोई को भी गिरफ्तार कर लिया। खुद लाम्बा को भी इस बात पर आश्चर्य है कि विश्नोई ने कन्ट्रोल रूम में बैठकर रिश्वत की राशि प्राप्त करने की हिम्मत दिखाई है।
इससे राजस्थान पुलिस का भ्रष्ट चेहरा भी उजागर हो गया है। यदि एएसपी स्तर के अधिकारी 70 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़े जाते हैं तो इससे पुलिस में फैले भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सकता है। जिन लोगों का पुलिस से वास्ता पड़ा है उन्हें अहसास होगा कि रिश्वत दिए बिना पुलिस विभाग में कोई काम होता ही नहीं है। पासपोर्ट बनवाने के लिए निवास प्रमाण पत्र देने तक में पुलिस रिश्वत वसूलती है।
असल में पुलिस की वर्दी का असर ही कुछ ऐसा है। आरपीएस बनने से पहले जगदीश विश्नोई एक साधारण शिक्षक थे लेकिन जैसे ही विश्नोई न खादी वर्दी पहनी वैसे ही चेहरा भ्रष्ट हो गया। विश्नोई की पत्नी ने भी घरेलू हिंसा करने का मुकदमा करवा रखा है।
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