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पश्चिम बंगाल पुलिस प्रमुख समेत 100 पुलिसकर्मी कोलकाता हाईकोर्ट के जज सीएस करणन के घर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किया गया वारंट देने पहुंचे। उच्चतम न्यायालय ने हाईकोर्ट के जज के खिलाफ अवमानना के मामले की सुनवाई के दौरान ये वारंट जारी किया है।
इसके अलावा 10 हजार का पर्सनल बॉन्ड भी भरने के आदेश कोर्ट की तरफ से दिए गए हैं। पिछले हफ्ते न्यायिक इतिहास में ये पहली बार हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस के प्रमुख को हाईकोर्ट के जज को वारंट देने के लिए कहा, क्योंकि हाईकोर्ट के जज करणन सुनवाई के लिए अदालत नहीं पहुंचे।
एनडीटीवी इंडिया की खबर के मुताबिक 61 साल के करणन ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए अपने घर के लॉन में ही कोर्ट लगाकर सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट के उन 7 जजों के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए हैं जिन्होंने उनके खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया है।
दलित होने की वजह से बनाया जा रहा निशाना
जस्टिस करणन ने एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में कहा कि उनके खिलाफ वारंट जारी नहीं किया जा सकता। खुद के सामाजिक जीवन और दिमाग को परेशान करने के लिए उन्होंने 14 करोड़ के मुआवजे की मांग भी की है। जस्टिस करणन ने सुप्रीम कोर्ट के उन सात जजों के खिलाफ मानहानि का केस करने की भी बात कही है जिन्होंने उनको 31 मार्च तक अदालत में हाजिर होने का आदेश जारी किया था। उनका कहना है कि उन्हें इस वजह से निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वो दलित हैं।
जस्टिस करणन ने पिछले हफ्ते कहा था कि उन सातों जजों को इस्तीफा देना चाहिए साथ ही उनके खिलाफ मुकदमा भी चलाया जाना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रपति से भी अनुरोध किया कि वो उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए वारंट को खारिज करें।
ये है पूरा मामला
आपको बता दें कि फरवरी में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और छह अन्य जजों ने न्यायपालिका पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले जस्टिस करणन को न्यायिक अवमानना के मामले में समन जारी किया था। जस्टिस करणन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खत लिखा जिसमें उन्होंने पूर्व जजों और कुछ मौजूदा जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले के सार्वजनिक होने के बाद जस्टिस करणन के खिलाफ एक्शन लेते हुए उनके न्यायिक और प्रशासनिक कार्यों पर रोक लगा दी। इसके साथ ही उन्हें मद्रास हाईकोर्ट से कोलकाता हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया।
कोर्ट में पेश होने के बजाय जस्टिस करणन ने जजों को लिखा कि उन्हें इस वजह से निशाना बनाया गया क्योंकि वो दलित हैं। इसके साथ ही जस्टिस करणन ने खुद के ट्रांसफर ऑर्डर पर भी स्टे लगा दिया है। मद्रास हाईकोर्ट के 20 जजों ने जस्टिस करनन के खिलाफ गलत व्यवहार करने को लेकर एक याचिका दी है।
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