जिला ब्यूरो चीफ आगर मालवा // सुमित सिंह तोमर
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तनोडिया( लिंगोडा)। भारत विविधताओं का देश हैं । यहां पर मान्यता है और विश्वास सबसे अलग है हर एक प्रदेश की अपनी कुछ विशेष मान्यता है ऐसे ही हमारे मध्य प्रदेश मालवा क्षैत्र में होली. धुलेडीं के पश्चात चुल पर चलने की पंरपरा हैं.ग्राम मलवासा के गांव लिगोडां जो आगर जिले का एक छोटा सा गांव हैं यहां पर कई पीढियों से धुलेडी के पश्चात चुल पर चलने की परंपरा है। इस गावं में स्थानीय हनुमान मंदिर पर धधकते अगांरो पर चलकर भगवान का दर्शन व परिक्रमा कर मन्नत पुरी की जाती है । पिछले 200 साल से लगातार चुल पर चल रहे है ।
शंकरसिह सौंलकी और एलकारसिह सौंलकी से बात करने पर उन्हौने बताया कि आज तक न तो हमारे पैर जले और न ही छाले पडे । सच्चे मन से चुल पर चलने पर पुरे साल में किए पाप चुल में जल जाते है। मंदिर के पुजारी नागुदास बैरागी से बात करने पर उन्हौने बताया कि कई पीढियों से पंरपरा जिवित है । और इसी आस्था विश्वास में आसपास के गांव से अपार भीड देखने पहुचंती है.हर वर्ष भीड बढती जा रही हैं।
क्या है चूल -
मंदिर के पास 9 फीट लम्बा 2 फीट चौडा और 2 फीट गहरा गड्ढा खोदते है । जिसमें लकडी जलाकर अगांरे तैयार किए जाते है । जिस पर मन्नतधारी चलकर भगवान के दर्शन करते हैं।
यह है धार्मिक मान्यता -
ऐसी मान्यता है कि चूल का आयोजन करने से गांव में रोगों का प्रकोप नही आता है। और प्रक्रतिक आपदा भी नही आती हैं। चूल पर चलने वाला श्रध्दालु बिमारियों व रोगों से भी मुक्त रहता है।
चूल पर चलने के है नियम -
होली खेलने के पश्चात नहा धोकर बिना नशा किए ही चुल पर चल सकते हैं। नशा करने वाले को चूल पर चलने वाले को समीप भी नही आने दिया जाता हैं । यदि चूल चलने वाले नशे वाले व्यक्ती के सर्म्पक में आ जाता है तो किसी अनहोनी की आशंका में वह चूल चलने के लिए 24 घटें पहले से ब्रह्राचर्य व्रत का पालन करना पडता हैं ।
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