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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(Narendra Modi) की रैली से पहले यह शख्स उस शहर में डेरा डाल देता था। एक कार्यकर्ता से लेकर पदाधिकारी तक की जिम्मेदारी तय करता था। पीएम(Narendra Modi) की रैली को कामयाब बनाते और फिर दूसरी रैली के लिए निकल पड़ते थे। नेता के नाम पर एक बार एमएलसी रहे हैं। और वहीं संपत्ति में सिर्फ एक दो पहिया वाहन है। कॉलेज के समय से ही संघ और छात्र राजनीति से जुड़े रहे हैं। संघ और प्रधानमंत्री मोदी(Narendra Modi) के करीबी इस नेता का नाम स्वतंत्रदेव सिंह (Swatantradev singh) है। स्वतंत्रदेव(Swatantradev singh) का नाम इस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की दौड़ में भी काफी ऊपर चल रहा है।
स्वतंत्रदेव(Swatantradev singh) कभी भी कैमरे के सामने नहीं आते वह कैमरे की चमक से दूर पर्दे के पीछे रहकर काम करते हैं। और शायद यह ही संघ के काम करने की शैली भी है। 1986 में संघ से जुड़कर स्वतंत्रदेव(Swatantradev singh) उसी शैली पर काम करते हुए नजर आ रहे हैं। एक बार जरूर उन्हें पार्टी ने एमएलसी बनाया था, 2012 में जालौन की काल्पी विधानसभा से वह एक बार चुनाव हार चुके हैं। मूलरूप से मिर्जापुर के रहने वाले स्वतंत्रदेव(Swatantradev singh) अब उरई में रह रहे हैं।
किसानी परिवार से ताल्लुक रखने वाले स्वतंत्रदेव(Swatantradev singh) जमीनी नेता माने जाते हैं। संपत्ति के नाम पर उनके पास एक छोटा सा मकान और एक दोपाहिया वाहन है। जानकारों की मानें तो विधानसभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश में पीएम(Narendra Modi) की जितनी भी रैली हुई हैं उनके पीछे स्वतंत्रदेव(Swatantradev singh) की अपनी रणनीति काम करती थी।
रैली से कई-कई दिन पहले उस शहर में रैली का काम संभाल लेते थे। बूथ लेवल से लेकर मंडलस्तर तक के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारी की जानकारी रखते थे। स्वतंत्रदेव(Swatantradev singh) के बारे में कहा जाता है कि इनकी बैठक में जाने वाला पदाधिकारी पूरी तैयारी से जाता था। स्वतंत्रदेव(Swatantradev singh) बैठक के दौरान किसी से भी बूथ लेवल तक का सवाल कर लेते हैं। जो जिस स्तर का कार्यकर्ता उसे रैली के लिए उसी स्तर का काम सौंपना स्वतंत्रदेव(Swatantradev singh) की खासियत मानी जाती है।
खुद स्वतंत्रदेव(Swatantradev singh) कहते हैं कि इंसान को उसकी क्षमताओं के अनुसार काम दोगे तो वह खुशी-खुशी करेगा। वर्ना ज्यादा काम देखकर वो भाग खड़ा होगा या फिर आपके सामने आने से कतराएगा और इस तरह से उसका काम भी बिगड़ जाएगा।
स्वतंत्रदेव(Swatantradev singh) का सफर
1986 में आरएसएस से जुड़कर संघ के प्रचारक का काम शुरु किया।
1988-89 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में संगठन मन्त्री बने।
1991 में बीजेपी कानपुर के युवा शाखा के मोर्चा प्रभारी बने।
1994 में बुन्देलखण्ड के युवा मोर्चा के प्रभारी बने।
1996 में युवा मोर्चा का महामन्त्री नियुक्त किया गया।
1998 में फिर से बीजेपी युवा मोर्चा के महामन्त्री बने।
2001 में बीजेपी के युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने।
2004 में विधान परिषद के सदस्य चुने गए।
2004 में प्रदेश महामन्त्री बनाए गए।
2004 से 2014 तक दो बार प्रदेश महामन्त्री रहे
2010 में प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए।
2012 से अभी तक महामंत्री बने हुए हैं।
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