- महिला मरीज़ों को नर्सो की दरकार
- जवाहर लाल नेहरू गैस राहत अस्पताल (डीआईजी बंगलो) का मामला
भोपाल। इमरजेंसी सेवा के नाम पर गैस राहत अस्पतालों में महिला मरीज़ों के जज़बातों और इज़्ज़त के साथ खिलवाड़ हो रहा है। भारतीय परम्परा के अदब लिहाज़ से लिपटी महिला जब बीमारी में मजबूर होकर सरकारी अस्पताल पहुचती है तो उसे किस हद तक शर्मिंदगी उठाना पड़ती है उस बात का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है,जब एक पुरुष कंपाउंडर महिला की कमर पर कपड़े हटाकर इंजेक्शन लगाता है।
अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में महिला नर्स की व्यवस्था नही होने के कारण महिला मरीज़ को पुरुष कंपोउंडर्स से इंजेक्शन्स लेने की मजबूरी बनी हुई है। ऐसा नही है कि अस्पताल में महिला नर्स का टोटा है। हम बात कर रहे है पुराने शहर स्थित जवाहरलाल नेहरू गैस राहत अस्पताल (डी आई जी बंगलो) की। जहा नर्से मरीज़ों के इलाज से ज्यादा कमरा बंद कर आराम करना अधिक पसंद करती है।
यहाँ के डॉक्टर भी उस वक़्त बेबस नज़र आते जब गार्ड से लेकर नर्से तक उनकी बातों को हवा में उड़ा देते है। रविवार रात करीब 11 जब एक महिला मरीज़ अस्पताल पहुंची, जहां डॉक्टर ने उसे इंजेक्शन लिखा जो कमर पर लगना था। महिला मरीज़ जब इंजेक्शन लगवाने पहुची तो वहा एक पुरुष कम्पाउण्डर था। जिसके कारण महिला वापस ड्यूटी डॉक्टर के पास पहुंची और आग्रह किया कि वह नर्स से इंजेक्शन लगवाना चाहती है। इस पर डॉक्टर ने तपाक से जवाब दिया की 28 सालो से यही व्यवस्था है।
इंजेक्शन लगवाना हो तो कंपाउंडर से ही लगवाओ। हद तो तब हो गई जब महिला मरीज़ सोमवार को अपने पति के साथ अस्पताल पहुंची तो ड्यूटी डॉक्टर ने सहयोग कर इंजेक्शन नर्स से लगवाने का कहते हुए कम्पाउण्डर के साथ वार्ड में भिजवाया, जहा गीता सिकंदर नाम की नर्स कमरा बन्द कर आराम फरमा रही थी। जब कम्पाउण्डर ने नर्स को बताया कि डॉक्टर ने कहा है महिला मरीज़ को इंजेक्शन लगादे, बात सुनते ही नर्स गीता सिकंदर ने डॉक्टर की बात को हवा में उड़ाते हुए इंजेक्शन लगाने से साफ इंकार कर दिया,
साथ ही महिला मरीज़ से अभद्र व्यवहार करने से बाज़ नही आई। इस मामले में मंलवार को जब लिखित शिकायत अस्पताल के अधीक्षक को देना चाही गई तो उन्होंने नर्से का नाम सुनते ही शिकायत लेने से इनकार कर दिया। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल में आने वाले गरीब परेशान मरीज़ों को किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता होगा।
- अस्पताल में बोर्ड तो है, लेकिन डॉक्टर के नाम और मोबाइल नंबर नदारद है-
अस्पताल में बोर्ड तो लगा है लेकिन उसपर न ही अस्पताल अधीक्षक का नंबर है ना ही किसी जिम्मेदार अधिकारी का। जब अधीक्षक से इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा यदि इसपर नंबर लिख दिया तो लोग कॉल कर करके परेशान करदेंगे। एक जिम्मेदार अधिकारी ये जवाब बेहद लापरवाही भरा था।
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