बैंक धोखाधड़ी : चंदा कोचर |
नई दिल्ली: आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के प्रमोटर वीएन धूत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने वाले एसपी सुधांशु धर मिश्रा के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए गए हैं. उन पर इस मामले में छापेमारी से जुड़ी जानकारी संदिग्ध तौर पर लीक करने का आरोप है. इससे पहले आईसीआईसीआई बैंक धोखाधड़ी मामले में एफआईआर दर्ज करने के एक दिन बाद ही मिश्रा का तबादला कर दिया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि आईसीआईसीआई बैंक धोखाधड़ी मामले की जांच करने वाले और 22 जनवरी को इस मामले में एफआईआर दर्ज करने वाले एसपी सुधांशु धर मिश्रा और अन्य लोगों के खिलाफ इस मामले में छापेमारी से जुड़ी जानकारी संदिग्ध तौर पर लीक करने की जांच चल रही है.
सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि आईसीआईसीआई बैंक धोखाधड़ी मामला काफी अहम है इसलिए इस संबंध में एक समीक्षा बैठक की गई. बैठक में पाया गया कि इस मामले की जांच में बिना वजह देरी की जा रही है. इसके साथ ही 22 जनवरी को दर्ज एफआईआर के बाद संदेह था कि छापेमारी से जुड़ी सूचनाएं सुनियोजित रूप से लीक की गई हैं. जांच में एसपी सुधांशु धर की भूमिका को लेकर संदेह हुआ जिसके बाद उनका तबादला रांची किया गया।
एफआईआर दर्ज किए जाने वाले दिन ही बैंकिंग एंड सिक्योरिटी फ्रॉड सेल (बीएसएफसी) के संयुक्त निदेशक प्रवीण सिन्हा को हटाकर उनकी जगह वी. मुरुगेशन को नया संयुक्त निदेशक बनाया गया. 11 जनवरी को एम नागेश्वर राव के दोबारा सीबीआई के अंतरिम निदेशक बनने के एक दिन बाद ही सिन्हा बीएसएफसी के सुपरवाइजरी ऑफिसर बने थे.
सीबीआई ने 24 जनवरी को नए एसपी मोहित गुप्ता के सुपरविजन में छापेमारी की थी, जिन्होंने मिश्रा की जगह ली थी.
भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी मिश्रा दिसंबर 2017 से लेकर अब तक चंदा कोचर मामले की जांच कर रहे थे.
गौरतलब है कि आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन को 3,250 करोड़ रुपये का लोन देने और इसके बदले में वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत द्वारा चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को कारोबारी फ़ायदा पहुंचाने का आरोप है.
लोन का 86 फीसदी हिस्सा यानी लगभग 2810 करोड़ रुपये चुकाया नहीं गया था. इसके बाद, 2017 में आईसीआईसीआई द्वारा वीडियोकॉन के खाते को एनपीए में डाल दिया गया.
दिसंबर 2008 में धूत ने दीपक कोचर और चंदा कोचर के दो अन्य रिश्तेदारों के साथ एक कंपनी खोली, उसके बाद इस कंपनी को अपनी एक कंपनी द्वारा 64 करोड़ रुपये का लोन दिया. इसके बाद उस कंपनी (जिसके द्वारा लोन दिया गया था) का स्वामित्व महज 9 लाख रुपयों में एक ट्रस्ट को सौंप दिया, जिसके प्रमुख दीपक कोचर हैं.
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