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प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश और ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाने के कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के फैसले से यूपी में लोकसभा चुनाव त्रिकोणीय होने के आसार जताए जा रहे हैं।
कांग्रेस को कमजोर मानते हुए सपा-बसपा ने भले ही गठबंधन में जगह नहीं दी हो, लेकिन कांग्रेस के तुरुप के इक्के से भाजपा भी चौंक गई है। हालांकि सपा-बसपा और भाजपा इसे औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
10 फरवरी को लखनऊ में अहम रैली
फरवरी माह के पहले सप्ताह में प्रियंका कार्यभार संभालेंगीं। दूसरे सप्ताह में 10 फरवरी को लखनऊ के रमा बाई मैदान में कांग्रेस की बड़ी रैली कराने की योजना है। इस रैली के माध्यम से कांग्रेस यूपी में चुनाव प्रचार की शुरूआत करेगी, जिसमें राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी के भी रहने की संभावना है। इस मैदान को पूरा भरने का रिकॉर्ड अभी तक बसपा सुप्रीमो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम है। इस लिहाज से कांग्रेस की यह रैली कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
रायबरेली या फूलपुर से चुनाव लड़ने की संभावना
प्रियंका गांधी पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी पार्टी की रणनीति तय करने और उम्मीदवारों के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं। हालांकि यह पहली बार है जब पार्टी में उन्हें औपचारिक पद दिया गया है। रायबरेली और अमेठी में उनका दौरा पहले भी होता रहा है और वह सीधे लोगों से मिला करती थीं। हालांकि रायबरेली और अमेठी मध्य यूपी में आते हैं, लेकिन दोनों जिले पूर्वांचल से सटे हैं। फूलपुर सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1952 में पहली लोकसभा में पहुंचने के लिए इसी सीट को चुना और लगातार तीन बार 1952, 1957 और 1962 में उन्होंने यहां से जीत दर्ज कराई थी। इसलिए संभावनाएं इस बात की भी है कि प्रियंका रायबरेली या इलाहाबाद की फूलपुर लोकसभा सीट में से किसी पर चुनाव लड़ सकती हैं। अगर सोनिया चुनाव नहीं लड़ी तो प्रियंका के रायबेरली से चुनाव लड़ने की संभावना अधिक है। हालांकि इस बारे में कांग्रेस ने औपचारिक घोषणा नहीं की है।
पूर्वांचल काफी अहम
पूर्वी उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 10 सीटें आती हैं। इनमें सबसे हाई प्रोफाइल सीटें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय के क्षेत्रों की हैं। इसलिए खासकर, पूर्वांचल में लोकसभा चुनाव रोचक होने के आसार हैं। माना जा रहा है कि इसीलिए प्रियंका गांधी को पूर्वांचल का प्रभारी बनाया गया है। इस बारे में सपा प्रवक्ता सुनील साजन कहते हैं कि यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है, उन्हें कुछ हिस्से का प्रभारी बनाया गया है, लेकिन कोई चमत्कार होगा, मुझे ऐसा नहीं लगता।
इससे हमारा मनोबल बढ़ा: राज बब्बर
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजबब्बर ने कहा कि इस फैसले ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल बुलन्दियों तक बढ़ा दिया है, आने वाले दिनों में यूपी कांग्रेस हमारे प्रभारी महासचिव के नेतृत्व में नम्बर एक की ताकत बनकर खड़ी होगी। साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सांसद जीतकर भारत की संसद में कांग्रेस को बहुमत दिलाने और राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में अग्रणी भूमिका निभाएगी। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी में यह घोषणा करने के बाद कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी पार्टी का चेहरा होगीं निश्चित तौर पर यह हमारे प्रदेशवासियों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए सबसे बड़ी खुशी का क्षण है। इस घोषणा से कार्यकर्ताओं में नया जोश एवं ऊर्जा का संचार हुआ है।
भाजपा ने साधा निशाना
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय का कहना है कि कांग्रेस परिवारवाद से उबर नहीं पा रही है। कांग्रेस प्रदेश में विनती और प्रार्थना की भूमिका में है। जिन सीटों पर वह प्रचार करती थीं। वह सीटें कांग्रेस से छिनने की रणनीति भाजपा बना चुकी है। दोनों सीटों पर भाजपा ने मजबूत संगठनात्मक व्यूह रचना बनाई है। मोदी के साथ जनता है और देश में आईके गुजराल, एचडी देवगौड़ा का जमाना लौटने वाला नहीं है।
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