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नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने नोटबंदी से जुड़ी जानकारी के लिए सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत दिए गए आवेदन का जवाब देने में लापारवाही बरतने को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक की खिंचाई की है और उसके केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
आवेदन में निदेशक मंडल की उस बैठक का ब्योरा मांगा गया था जिसमें नोटबंदी के मुद्दे पर विचार किया गया। सूचना अधिकार कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की उन सभी बैठकों का दस्तावेज के साथ रिकॉर्ड मांगा था, जिसके तहत नोटबंदी के निर्णय पर पहुंचा गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को इसकी घोषणा की।
आरबीआई ने गोपनीय उपबंध का हवाला देते हुए सूचना देने से मना कर दिया। उसके बाद नायक ने आयोग से संपर्क किया। आयोग आरटीआई कानून के तहत संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए शीर्ष निकाय है। याचिकाकर्ता ने सूचना आयुक्त सुरेश चंद्रा से कहा कि मांगी गई सूचना आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (ए) के तहत छूट प्राप्त नहीं है, जैसा कि केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने दावा किया है।
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आरटीआई कानून की यह धारा देश की संप्रभुता, सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों को नुकसान तथा अन्य देश से संबंधों को नुकसान पहुंचाने वाली सूचना के खुलासे पर रोक लगाती है। सुनवाई के दौरान आरबीआई के प्रतिनिधि ने यह स्वीकार किया कि प्रथम दृष्ट्या सूचना देने से गलत तरीके से मना किया गया। यह सुनवाई आरटीआई आवेदन देने के 15 महीने बाद हुई।
चंद्रा ने कहा कि आयोग आरटीआई आवेदन को लेकर लापरवाही दिखाने तथा सीपीआईओ की अनुपस्थिति को गंभीरता से लेता है। उन्होंने अगली सुनवाई की तारीख को उपस्थित रहने और यह स्पष्टीकरण देने को कहा कि आखिर उन पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीपीआईओ सुनवाई की अगली तारीख को लिखित में अपनी बातें रखे।
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