डाकू मलखान सिंह का ऐलान, सरकार अनुमति दे तो हम पाकिस्तान को धूल चटा देंगेबीहड़ में आतंक का पर्याय रहे डकैत मलखान सिंह भले ही अपनी बंदूक छोड़ चुके हों लेकिन पुलवामा घटना को लेकर उनका दावा है कि मध्य प्रदेश में 700 बागी अभी भी बचे हैं। यदि शासन चाहे तो बिना किसी शर्त, बिना वेतन के यह सभी सीमा पर अपने देश के लिए मरने को तैयार हैं। पुलिस के लिए सिरदर्द रहे डकैत मलखान सिंह का कहना है कि देश के लिए हम पीछे नहीं हटेंगे। पुलवामा घटना में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए बुधवार को पूर्व दस्यु सरगना मलखान सिंह कानपुर पहुंचे। यहां पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि पुलवामा में सैनिकों के शहीद होने से हमारा खून खौल रहा है।
सरकार अगर हमको इजाजत दे तो हमारे साथ 700 बागी हैं। अपनी जान पर खेलकर आतंकवादियों से लड़ने को तैयार हैं। इसके लिए हमें कोई वेतन नहीं चाहिए, यह हमसे लिखकर ले सकते हैं। पूर्व दस्यु मलखान सिंह से जब पूछा गया कि कितनों को मारोगो तो उन्होंने जवाब दिया कि हम अनाड़ी नहीं है। हमने 15 साल तक चम्बल घाटी में कोई कथा नहीं बांची है। जो होगा देखा जाएगा लेकिन मलखान सिंह पीछे नहीं हटेगा।
न्होंने कहा कि हम पेट भरने के लिए नहीं बल्कि अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए राजनीति करेंगे। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि बीहड़ में मेरा इतिहास साफ सुथरा रहा है। ऐसे महात्मा जो अपने आप को बड़े सच्चे बताते हैं, उनका इतिहास नहीं रहा जो बागियों का रहा। तमाम साधु तो घेरे में आ चुके हैं। कुछ तो जेल में पड़े हुए हैं लेकिन कोई बागी ऐसा नहीं है। मलखान सिंह ने साफ कहा कि तमाम लोग मेरे बारे में कहते हैं कि तमाम कत्ल किये, कई डकैती डाली, लेकिन वह सब झूठे हैं। मेरे साथ जो अन्याय हुआ, उसको लेकर हमने एक से लड़ाई लड़ी, दुनिया से नहीं। हम बागी हैं लेकिन देश के बागी नहीं हैं।
आतंकवाद के खिलाफ सभी दल आए एक साथ राजनीति के सवाल पर पूर्व दस्यु का जवाब था कि जो पार्टी वादा करके उनको पूरा नहीं करती, वह हार जाती है। जैसे भाजपा राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश में चुनाव हार गई। यदि कोई सरकार फिर वायदे करेगी और उनको पूरा नहीं करेगी तो फिर हारेगी, क्योंकि लोकसभा चुनाव आने वाला है। पूर्व दस्यु ने कहा कि चुनाव तो होते ही रहेंगे, लेकिन पहले सरकार को कश्मीर का बदला लेना चाहिए। पुलवामा में हुए आतंकी हमले पर पूर्व दस्यु मलखान सिंह ने कहा कि इसके लिए सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को संसद के बाहर धरने पर बैठना चाहिए और वह तब धरने से हटे जब यह फैसला हो जाए कि पकिस्तान में घुसकर आतंकियों को मारा जाए।
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