हाइलाइट्स
शेल्टर होम कांड की जांच के दायरे में आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
पॉक्सो कोर्ट ने सीबीआई को नीतीश के खिलाफ जांच का आदेश दिया
मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह में बच्चियों के साथ यौन शोषण का आरोप
पटना . बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी जांच के घेरे में आ गए हैं। मामले को देख रही विशेष पॉक्सो कोर्ट ने सीबीआई को मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में नीतीश कुमार के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ जांच के आदेश के चलते मामले में नया मोड़ आ गया है।
मामले के गिरफ्तार आरोपी डॉ. अश्विनी ने अपने वकील के जरिए शेल्टर होम के संचालन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका की जांच के लिए अर्जी दाखिल की थी। बता दें कि अश्विनी को पिछले साल नवंबर महीने में गिरफ्तार किया गया था। अश्विनी पर नाबालिग लड़कियों को ड्रग्स का इंजेक्शन देने का आरोप है।
अश्विनी ने अपनी अर्जी में आरोप लगाया कि सीबीआई तथ्यों को दबाने की कोशिश कर रही थी जिसमें मुजफ्फरपुर के पूर्व डीएम धर्मेंद्र सिंह, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अतुल कुमार सिंह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका पर जांच होनी थी। पॉक्सो जज मनोज कुमार ने सीबीआई को इन तीनों के खिलाफ जांच के खिलाफ के आदेश दिए। 7 फरवरी को मामला मुजफ्फरपुर कोर्ट से दिल्ली विशेष पॉक्सो कोर्ट में ट्रांसफर हुआ था और अगले हफ्ते से मामले की सुनवाई शुरू होने की संभावना है।
मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा किए गए सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर स्थित उक्त बालिका गृह में बच्चियों के यौन शोषण का मामला जून 2018 में सामने आया था। मामला सामने आने के बाद राजनीतिक दबाव लगातार बढ़ने लगा, जिसके बाद 26 जुलाई, 2018 को राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी।
ब्रजेश से अपने पति चंद्रशेखर वर्मा की निकटता को लेकर बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को अगस्त 2018 में इस्तीफा देना पड़ा था। आर्म्स ऐक्ट के एक मामले में चंद्रशेखर और मंजू ने 29 अक्टूबर और 20 नवबंर, 2018 को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। तभी से दोनों न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं।
केस मुजफ्फरपुर कोर्ट से दिल्ली हुआ था ट्रांसफर
अश्विनी ने अपनी अर्जी में आरोप लगाया कि सीबीआई तथ्यों को दबाने की कोशिश कर रही थी जिसमें मुजफ्फरपुर के पूर्व डीएम धर्मेंद्र सिंह, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अतुल कुमार सिंह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका पर जांच होनी थी। पॉक्सो जज मनोज कुमार ने सीबीआई को इन तीनों के खिलाफ जांच के खिलाफ के आदेश दिए। 7 फरवरी को मामला मुजफ्फरपुर कोर्ट से दिल्ली विशेष पॉक्सो कोर्ट में ट्रांसफर हुआ था और अगले हफ्ते से मामले की सुनवाई शुरू होने की संभावना है।
मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा किए गए सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर स्थित उक्त बालिका गृह में बच्चियों के यौन शोषण का मामला जून 2018 में सामने आया था। मामला सामने आने के बाद राजनीतिक दबाव लगातार बढ़ने लगा, जिसके बाद 26 जुलाई, 2018 को राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी।
ब्रजेश से अपने पति चंद्रशेखर वर्मा की निकटता को लेकर बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को अगस्त 2018 में इस्तीफा देना पड़ा था। आर्म्स ऐक्ट के एक मामले में चंद्रशेखर और मंजू ने 29 अक्टूबर और 20 नवबंर, 2018 को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। तभी से दोनों न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं।
केस मुजफ्फरपुर कोर्ट से दिल्ली हुआ था ट्रांसफर
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने शेल्टर होम केस मुजफ्फरपुर कोर्ट से दिल्ली कोर्ट ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। अदालत ने इस मामले की सुनवाई छह महीने के अंदर पूरी करने को भी कहा था। नाराज सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी के साथ ही केस को बिहार से दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। जस्टिस गोगोई ने कहा था कि अब इस केस की सुनवाई दिल्ली के साकेत कोर्ट स्थित स्पेशल पॉक्सो कोर्ट में होगी। उन्होंने मामले की सुनवाई रोजाना करने को कहा था। इसके अलावा केस की सुनवाई छह महीने में पूरी कर लेने का आदेश भी दिया गया था।
क्या है मामला
क्या है मामला
बता दें कि पिछले साल मुजफ्फरपुर शेल्टर होम का मामला उजागर होने पर पूरे देश का ध्यान इस ओर गया था। वह मामला भी टीआईएसएस की रिपोर्ट आने पर उजागर हुआ था, जिसमें एक एनजीओ द्वारा संचालित शेल्टर होम में लड़कियों का यौन-उत्पीड़न किए जाने की बात सामने आई। शेल्टर होम का संचालन ब्रजेश ठाकुर द्वारा किया जा रहा था। मामले में ठाकुर समेत 11 लोगों के खिलाफ 31 मई को मामला दर्ज किया गया। बाद में मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई।
No comments:
Post a Comment