साहित्यकारो की संकट में भूमिका सराहनीय है - डाॅ. चौधरी |
ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा : 8305895567
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने किया कोरोना पर कवि सम्मेलन।
नागदा - वैश्विक महामारी के संकट में कोरोना योद्धाओं ने जो कार्य किया है वह प्रशंसनीय है। संचेतना शीघ्र ही एक कार्यक्रम में कोरोना योद्धाओं का सम्मान करेगी। संकट की इस घड़ी में साहित्यकारों ने जो भूमिका निभाई है वह स्तुत्य है। यह बात राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. प्रभु चैधरी ने कोरोना महामारी को लेकर आयोजित आॅनलाईन कवि सम्मेलन में कही।
कवि सम्मेलन में ख्यात कवियों ने अपनी रचनाओं से समां बांध दिया। कवि सम्मेलन के प्रारंभ में इन्दौर की कवियित्री और संचेतना प्रवक्ता रागिनी स्वर्णकार शर्मा ने माँ सरस्वती की मधुर वंदना प्रस्तुत करते हुए एक गीत पढ़ा-
न छूना किसी को, ये सब तो लग जाएगी।
थोड़ी सी सावधानी ही, सबको बचाएगी।।
थोड़ी सी सावधानी ही, सबको बचाएगी।।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इन्दौर के संयुक्त संचालक शिक्षा श्री मनीष जी वर्मा ने इन पंक्तियों पर खूब दाद बटोरी-
लाकडाउन के पालन से, कोरोना को भगाना है।
वायरस के संक्रमण से, मानव जाति को बचाना है।।
वायरस के संक्रमण से, मानव जाति को बचाना है।।
वरिष्ठ साहित्यकार हरेराम वाजपेयी की रचना पर खूब तालियाँ बजी-
है प्रार्थना जनमानस से, घर-घर रहकर कार्य करें।
तन-मन-धन श्रद्धा से देे, देश हित बलिदान करें।।
तन-मन-धन श्रद्धा से देे, देश हित बलिदान करें।।
कवि सम्मेलन का काव्यात्मक संचालन करते हुए कवि सुन्दरलाल जोशी ‘सूरज‘ ने जब यह गीत पढ़ा तो कोई भी अपनी ताली रोक नहीं सका-
दूर दूर बैठ लो, हाथ मल के धोईये,
ढक कर मुँह को सभी, कोरोना भगाइये।।
ढक कर मुँह को सभी, कोरोना भगाइये।।
शिक्षाविद् अनिल ओझा ने अध्यक्षता करते हुए मधुर गीत पढ़ा-
मंदिर मस्जिद बंद पड़े है, बंद चर्च गुरूद्वारे।
अपना अपना छोड़ के आलय, कहाँ गए भगवान सारे।।
मंदिर मस्जिद बंद पड़े है, बंद चर्च गुरूद्वारे।
अपना अपना छोड़ के आलय, कहाँ गए भगवान सारे।।
श्रीराम शर्मा ‘परिंदा‘ धार ने अपनी बात इस प्रकार रखी-
घर पर बैठकर लड़ना है लड़ाई, युद्ध के नियम थोड़े कड़े है।
आदर करना उन योद्धाओं का, जो जान हथेली पर ले खड़े है।।
घर पर बैठकर लड़ना है लड़ाई, युद्ध के नियम थोड़े कड़े है।
आदर करना उन योद्धाओं का, जो जान हथेली पर ले खड़े है।।
संचेतना की महासचिव अमृता अवस्थी ने कुछ इस अंदाज में अपनी बात रखी-
अंधेरी रात के बाद फिर सुंदर सहर आएगी।
विरानी गलियों की खामाशियाँ, फिर से रौनक में बदल जाएगी।।
अंधेरी रात के बाद फिर सुंदर सहर आएगी।
विरानी गलियों की खामाशियाँ, फिर से रौनक में बदल जाएगी।।
संचेतना के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश परमार ने इन पंक्तियों पर खूब वाहवाही लूटी-
कैसी है यह महामारी, सारी दुनिया हारी।
कैसे बचे अर्थव्यवस्था, परेशान सब व्यापारी।।
कैसी है यह महामारी, सारी दुनिया हारी।
कैसे बचे अर्थव्यवस्था, परेशान सब व्यापारी।।
सचिव विनोद सोनगिर ने जनता का आह्वान किया-
लक्ष्मण रेखा खींचकर, खुद पर करो उपकार।
घर के अंदर बने रहो, नहीं होंगे कोरोना बीमार।।
लक्ष्मण रेखा खींचकर, खुद पर करो उपकार।
घर के अंदर बने रहो, नहीं होंगे कोरोना बीमार।।
हरिशंकर पाटीदार की ये पंक्तियां भी खूब रंग लाई-
हम भारत के निवासी, दुनिया को दिखाएंगे।
कोरोना को मिटाने की, एक दिन दवा बनाएंगे।।
हम भारत के निवासी, दुनिया को दिखाएंगे।
कोरोना को मिटाने की, एक दिन दवा बनाएंगे।।
इस अवसर पर डाॅ. ज्योति सिंह इन्दौर, गोपाल कौशल धार ने भी काव्य पाठ किया। अंत में कवियित्री पायल परदेशी ने सबका आभार माना।
उक्त जानकारी सुन्दरलाल जोशी सूरज, नागदा ने दी ।
No comments:
Post a Comment