दो महासागरों में मिलता है एक ही वट वृक्ष पर गिरा बारिश का पानी |
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ब्यूरो चीफ मुलताई, जिला बैतूल
मुलताई। पवित्र नगरी में वन विभाग विश्राम गृह परिसर में एक एैसा बड़ का पेड़ है जिस पर गिरा बारिश का पानी ताप्ती एवं वर्धा नदी से होता हुआ दो महासागर क्रमश: अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलता है। सुनने में यह जरूर आश्चर्यजनक लगे लेकिन यह ऐतिहासिक पेड़ आज भी वन विभाग परिसर में अपनी धार्मिक पौराणिक एवं ऐतिहासिक मान्यता के साथ खड़ा हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मुलताई के वन विभाग विश्राम गृह के पास बड़ का पेड़ स्थित है।
वट वृक्ष की विशेषता के बारे में मां ताप्ती के विषय में जानकारी रखने वाले साधू, संतो, महंतों आदि के द्वारा इसकी जानकारी सभी को दी गई है। बताया जाता है कि बारिश के दौरान पेड़ पर जो बारिश का पानी गिरता है वह पेड़ की भौगोलिक स्थिति के कारण दो दिशाओं में विभाजित हो जाता है। एक तरफ का पानी स्टेशन की ओर से नाले के माध्यम से ताप्ती सरोवर में समाहित होता है जो ताप्ती नदी के माध्यम से सूरत गुजरात में अरब सागर में मिलता है। वहीं दूसरी ओर का पानी वर्धा नदी में जाकर समाहित होता है,
आगे वर्धा नदी जाकर गोदावरी में मिल जाती है तथा उसका पानी गोदावरी नदी के माध्यम से बंगाल की खाड़ी में मिलता है। इस दृष्टि से इस वट वृक्ष का अंत्यत महत्व है लेकिन आमजन को अभी भी इसकी जानकारी नही होने से इतनी महत्ता रखने वाला पेड़ नगर सहित आसपास के क्षेत्र के लोगों के लिए अभी भी अंजान है। इस संबन्ध में मां ताप्ती सेवा समिति के ताप्ती भक्त गुड्डु पंवार तथा गोलू खंडेलवाल ने बताया कि उनके गुरू महाराज के द्वारा उन्हें यह जानकारी प्राप्त हुई है तथा इसके प्रमाण भी हैं कि पेड़ पर गिरने वाला बारिश का पानी दो महासागरों में जाकर मिलता है।
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