तहसील प्रमुख// राजीव ऋ षि कुमार जैन
(गाडरवारा // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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गाडरवारा. शराब एक ऐसी बुराई है जिसकी लत अगर किसी को लग जाये तो वह शराबी के साथ साथ उसके पूरे परिवार में कलह, क्लेश और बरबादी की दास्तान लिखने में जरा भी देर नहीं करती है ऊपर से अगर वही शराब लोगों को गांव में ही घर बैठे उपलब्ध होने लगे तो वह गांव व घर के वातावरण में कितना जहर घोल सकती है इसका सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है, कुछ इसी तरह का नजारा इन दिनों पलोहा थानांतर्गत अनेकों ग्रामों में देखने को मिल रहा है जहां शराब माफिया की सक्रियता तथा संबंधित पुलिस थाने की मिलीभगत के चलते इन दिनों इस इलाके के अनेकों ग्रामों में बेधडक़ होकर अवैध शराब की बिक्री की जा रही है, कई ग्रामों का आलम तो यह है कि वहां किराने का सामान तो खरीदने के लिये ढूढऩा पड़ता है परन्तु अवैध शराब घर बैठे ही उपलब्ध हो जाती है कई ग्रामों में तो इस अवैध शराब की खपत इतनी ज्यादा है कि वहां 10-10 पेटी शराब की बिक्री प्रतिदिन हो रही है।
ग्रामों में बनी रहती है तनावपूर्ण स्थिति-
गांव-गांव में सहजता से उपलब्ध होने के कारण शराबियों की संख्या में भी भारी इजाफा हुआ है तथा घर के आसपास ही दिनरात शराब मिलने के कारण इनका पीने की मात्रा भी काफी बढ़ गई है तथा शराब पीने के उपरांत आये दिन इन शराबियों का ग्रामों में आतंक मचा रहता है तथा गली-मोहगों में इनके द्वारा गाली-गलौज करना आम बात हो गई है जिसके चलते इन ग्रामों का माहौल तनावपूर्ण बना रहता है, रात के समय तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है तथा अंधेरे का फायदा उठाकर अपराधी किस्म के लोग मदहोशी की हालत में कुछ भी कर गुजरने को तत्पर रहते हैं जिसके चलते रात के समय सभ्य लोग व महिलाऐं, बच्चें घरों से निकलने में भी हिचकिचाते हैं। ग्रामों में इस तरह की स्थिति बनना आम लोगों के लिये चिंता का सबब बन गया है तथा मदहोशी के आलम में कभी कोई बड़ी घटना स्थानांतर्गत घटित हो जाये तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।
घरों में बढ़ रही कलह-
देखने में आ रहा है कि शराब की लत से बड़े बूढ़े ही नहीं युवा वर्ग व किशोर अवस्था के बच्चें भी अछूते नहीं हैं तथा शराब पीने के बाद जब ये लोग अपने घरों को जाते हैं तो घरों में इन्तजार करने वाली मॉ, बहन, बहु बेटी का भी लिहाज भूल जाते हैं जिसके चलते आये दिन परिवारों में कलह देखी जा रही है जिसका असर छोटे-छोटे बच्चों पर भी पड़ रहा है तथा वे भी शराब पीने के लिये उत्सुक दिखाई देेते हैं कहा भी जाता है कि घर-मोहल्ले के माहौल का असर बच्चों पर भी पड़ता है। इस शराब की लत के कारण सबसे ज्यादा कलह उन घरों में होती है जो रोज खाने रोज कमाने वाले होते हैं तथा दिनभर मेहनत मजदूरी करके जो पैसा प्राप्त होता है उस पैसे को ये शराबी शराब में उड़ा देते हैं जिसके कारण उनके घरों के चूल्हे भी नहीं जल पाते हैं।
पुलिस प्रशासन है मौन- एक ओर जहां राज्य सरकार नशा मुक्ति अभियान पर लाखों-करोड़ों रूपये व्यय कर लोगों का नशा छुड़वाने में लगी हुई है वहीं जिन कंधों पर अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाने का दारोमदार है वे ही चैन की नींद सो रहे हैं और ग्रामों में अवैध शराब धड़गे से बेची जा रही है, बड़े ही हैरत की बात है कि ग्रामों में बच्चों, महिलाओं तक को इस शराब की अवैध बिक्री होने की जानकारी है तो क्या पुलिस प्रशासन को इस अवैध कृत्य की जानकारी नहीं होगी यह संभव प्रतीत नहीं होता है परन्तु पुलिस द्वारा इस मामले पर कोई कार्यवाही ना करना पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाता है, कुछ ग्रामवासियों ने जिनमें महिलाऐं भी शामिल थीं अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि ग्राम में शराब बेचने वाले काफी सक्रिय हैं तथा इसकी बिक्री होने के कारण गांव में गुंडागर्दी भी बढ़ गई है हम लोग घरों से निकलने में भी कई बार सोचते हैं, महिलाओं के साथ इन शराबियों द्वारा छेड़छाड़ की घटनाऐं भी आम बात हो गई है पुलिस को बेचने वालों की पूरी जानकारी है परन्तु उनके द्वारा कोई कार्यवाही ना किया जाना उनकी शराब बेचने वालों से मिलीभगत की ओर इशारा करती है।
इनका कहना है-
ग्रामों में बनी रहती है तनावपूर्ण स्थिति-
गांव-गांव में सहजता से उपलब्ध होने के कारण शराबियों की संख्या में भी भारी इजाफा हुआ है तथा घर के आसपास ही दिनरात शराब मिलने के कारण इनका पीने की मात्रा भी काफी बढ़ गई है तथा शराब पीने के उपरांत आये दिन इन शराबियों का ग्रामों में आतंक मचा रहता है तथा गली-मोहगों में इनके द्वारा गाली-गलौज करना आम बात हो गई है जिसके चलते इन ग्रामों का माहौल तनावपूर्ण बना रहता है, रात के समय तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है तथा अंधेरे का फायदा उठाकर अपराधी किस्म के लोग मदहोशी की हालत में कुछ भी कर गुजरने को तत्पर रहते हैं जिसके चलते रात के समय सभ्य लोग व महिलाऐं, बच्चें घरों से निकलने में भी हिचकिचाते हैं। ग्रामों में इस तरह की स्थिति बनना आम लोगों के लिये चिंता का सबब बन गया है तथा मदहोशी के आलम में कभी कोई बड़ी घटना स्थानांतर्गत घटित हो जाये तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।
घरों में बढ़ रही कलह-
देखने में आ रहा है कि शराब की लत से बड़े बूढ़े ही नहीं युवा वर्ग व किशोर अवस्था के बच्चें भी अछूते नहीं हैं तथा शराब पीने के बाद जब ये लोग अपने घरों को जाते हैं तो घरों में इन्तजार करने वाली मॉ, बहन, बहु बेटी का भी लिहाज भूल जाते हैं जिसके चलते आये दिन परिवारों में कलह देखी जा रही है जिसका असर छोटे-छोटे बच्चों पर भी पड़ रहा है तथा वे भी शराब पीने के लिये उत्सुक दिखाई देेते हैं कहा भी जाता है कि घर-मोहल्ले के माहौल का असर बच्चों पर भी पड़ता है। इस शराब की लत के कारण सबसे ज्यादा कलह उन घरों में होती है जो रोज खाने रोज कमाने वाले होते हैं तथा दिनभर मेहनत मजदूरी करके जो पैसा प्राप्त होता है उस पैसे को ये शराबी शराब में उड़ा देते हैं जिसके कारण उनके घरों के चूल्हे भी नहीं जल पाते हैं।
पुलिस प्रशासन है मौन- एक ओर जहां राज्य सरकार नशा मुक्ति अभियान पर लाखों-करोड़ों रूपये व्यय कर लोगों का नशा छुड़वाने में लगी हुई है वहीं जिन कंधों पर अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाने का दारोमदार है वे ही चैन की नींद सो रहे हैं और ग्रामों में अवैध शराब धड़गे से बेची जा रही है, बड़े ही हैरत की बात है कि ग्रामों में बच्चों, महिलाओं तक को इस शराब की अवैध बिक्री होने की जानकारी है तो क्या पुलिस प्रशासन को इस अवैध कृत्य की जानकारी नहीं होगी यह संभव प्रतीत नहीं होता है परन्तु पुलिस द्वारा इस मामले पर कोई कार्यवाही ना करना पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाता है, कुछ ग्रामवासियों ने जिनमें महिलाऐं भी शामिल थीं अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि ग्राम में शराब बेचने वाले काफी सक्रिय हैं तथा इसकी बिक्री होने के कारण गांव में गुंडागर्दी भी बढ़ गई है हम लोग घरों से निकलने में भी कई बार सोचते हैं, महिलाओं के साथ इन शराबियों द्वारा छेड़छाड़ की घटनाऐं भी आम बात हो गई है पुलिस को बेचने वालों की पूरी जानकारी है परन्तु उनके द्वारा कोई कार्यवाही ना किया जाना उनकी शराब बेचने वालों से मिलीभगत की ओर इशारा करती है।
इनका कहना है-
मुझे इस मामले की जानकारी आपके द्वारा दी गई है मैं इसकी तहकीकात करवाता हॅू तथा सत्यता पाये जाने पर दोषियों पर कार्यवाही की जायेगी। केके गुप्ता, एसडीओपी गाडरवारा
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