ब्यूरो प्रमुख // संतोष प्रजापति (बैतूल// टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैतूल. बहुचर्चित चौथिया पारधी कांड के चलते जेल की चौखट के करीब पहुंचे टीम अन्ना के सदस्य एवं सपा के पूर्व विधायक डॉ सुनीलम को पारधी समुदाय के नेता अलस्या पारधी ने चेतावनी दी है कि वह पारधियों के खिलाफ ज़हर ऊगलना बंद करे।
अलस्या ने अपने पत्र के माध्यम से डॉ सुनील मिश्रा उर्फ सुनीलम् से कहा कि आपने जो पारधियों पर आरोप लगाये है वह निराधार और एकदम झूठे है। जैसा कि आपने अपने पत्र में लिखा है कि मुलताई के सांडिया ग्राम में गावंडे परिवार की महिला के साथ सामूहिक बलात्कार करने एवं उसकी हत्या करने की बात लिखी है। हम इस विषय में सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि उक्त घटना में चौथिया में रह रहे पारधियों में से एक भी शामिल नही था। उक्त घटना में महाराष्ट्र के पारधी शामिल थे, जिन्हे मैने स्वंय पुलिस के साथ मिलकर गिरफ्तारी दिलवाई थी। जिन दो लोगो जिरलेया पारधी, कमल पारधी को हमारें गांव से पुलिस ने गिरफ्तार किया था, वह भी हाईकोर्ट के आदेश पर बाहर है। मै आपको यह भी बताना चाहता हूँ कि इस केस के फैसले के पहले कई बार विधायक सुखदेव पांसे जज से मिलने कोर्ट रूम और घर गये थे।
मै आपको यह भी बता दू कि गांव वालो ने इस घटना के बाद ना ही पट्टे निरस्त करने की मांग की और ना ही पारधियों को जिला बदर करने के लिए महा पंचायत आयोजित की थी। आप पुलिस से हमारा आपराधिक रिकार्ड निकलवा ले जैसा कि आपने लिखा है कि हम पारधियों पर हत्या, बलात्कार, लूट जैसे प्रकरणों का उल्लेख किया है जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। हम आपको यह भी बता दे कि हमें कोई प्रशासन नही पाल रहा है। प्रशासन द्वारा शुरूआती दौर में जरूर कुछ महिने जब हम बरेठा मे थे तो दाल, चावल और आटा दिया जाता था। दाल, चावल आटे से पेट नही भरता, सब्जी-भाजी, तेल, नमक, मिर्च जैसा आप खाते है वैसे हमें भी लगता है। हम जिन हालातो में रह रहे है उसके बारे में भी आप को बताना जरूरी समझता हूँ। सभी पारधी पररिवार भीख मांगकर अपना गुजर बसर कर रहे है। पारधियों को आप लोगो ने बदनाम किया उसकी वजह से भीख में मिली सूखी रोटियों को पानी में भिगोकर बच्चो को खिलाकर जिंदा रहने को मजबूर है।
बीते वर्षो में जो विस्थापितों की तरह रहने की वजह से वर्ष 2007 से अपै्रल 2012 तक पारधी परिवारों के 7 बच्चों समेत 17 महिला एवं पुरूषों की भूख से मौत हो चुकी है। चूँकि अब आपका क्षेत्र बदल गया है आप ज्यादा समय टीम अन्ना के साथ दिल्ली में रहते है हम टी. व्ही. पर देखते है। यही वजह है कि अब आपका पारधियों के प्रति आपका नजरिया बदल गया है। इस सब के बावजूद भी हम बैतूल के उत्कृष्ट खेल मैदान में रहते हुए कोई अपराध हमारे खिलाफ नही है और न ही हम कोई अशांति फैलाने का काम कर रहे है। सुनीलम जी किसानो की राजनीति आप करते है हम गरीबो के पास ना खेत है ना खलिहान, हम किसान आंदोलन में क्यो शामिल होते।
आपके अनुसार काँग्रेस के इशारे पर गोली चालन हुआ था, तो हुआ होगा। पारधियों का इस पूरी घटना से कोई लेना देना नही है। यदि काँग्रेस का हमकों संरक्षण होता तो इस तरह काँग्रेस की अगुआई में ही हमारे घरों को जलाया, लूटपाट की और हमें बेघर करके दर-बदर ठोंकरे खाने भीख मांगने को नही छोड़ा जाता। आपने अपने पत्र में लिखा है कि हमने पुलिस वालों को पीटा, तो उसकी वजह भी आपको बता दूँ, नशे में धुत पुलिस वाले वारंट तामील कराने रात में हमारी बस्ती पहुंचे और औरतो और बच्चों के साथ मारपीट करने लगे इसलिए हमने भी प्रतिकार किया और हाथापाई में टी.आई. को चोट पहुंची। घाट अमरावती कांड भी नेताओं की सोची समझी चाल थी, वोट बैंक के लिए हम जैसी छोटी जाति और अल्प संख्यकों को ही बली का बकरा बना दिया। वो तो घाट अमरावती वालो को पारधियों का धन्यवाद अदा करना चाहिए कि उन्होने अपनी गवाही बदल दी नही तो सभी आरोपी आज भी जेल में होते। अब दोबारा पारधी उस गलती को नही दोहरायेंगे इस बार के सभी गुनहगारों को सजा दिलवा कर रहेंगे।
पारधी कांड को लेकर जिन 82 लोगो के खिलाफ हाईकोर्ट जबलपुर ने सीबीआई को वारंट जारी किया है उन्हे डॉ सनीलम् का नाम प्रमुख आरोपियों में शामिल है। एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट जबलपुर ने पूरे मामले में प्रस्तुत याचिका में आरोपित 12 जनप्रतिनिधियों 12 प्रशासनिक अधिकारियों सहित दो हजार अज्ञात लोगो के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत अपराधिक प्रकरण दर्ज कर जांच के निर्देश जारी किए थे। सीबीआई ने बीते माह ही पूरे मामले की जांच की अंतिम क्लोजर रिर्पोट प्रस्तुत की है जिसके तहत अभी तक 9 लोगो को पकड़ा जा सका है जो वर्तमान में जेल में बंद है। डॉ सुनीलम् को इस मामले में हाईकोर्ट ने अग्रीम जमानत देने से साफ मना करके ट्रायल कोर्ट के समक्ष जमानत प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
अलस्या ने अपने पत्र के माध्यम से डॉ सुनील मिश्रा उर्फ सुनीलम् से कहा कि आपने जो पारधियों पर आरोप लगाये है वह निराधार और एकदम झूठे है। जैसा कि आपने अपने पत्र में लिखा है कि मुलताई के सांडिया ग्राम में गावंडे परिवार की महिला के साथ सामूहिक बलात्कार करने एवं उसकी हत्या करने की बात लिखी है। हम इस विषय में सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि उक्त घटना में चौथिया में रह रहे पारधियों में से एक भी शामिल नही था। उक्त घटना में महाराष्ट्र के पारधी शामिल थे, जिन्हे मैने स्वंय पुलिस के साथ मिलकर गिरफ्तारी दिलवाई थी। जिन दो लोगो जिरलेया पारधी, कमल पारधी को हमारें गांव से पुलिस ने गिरफ्तार किया था, वह भी हाईकोर्ट के आदेश पर बाहर है। मै आपको यह भी बताना चाहता हूँ कि इस केस के फैसले के पहले कई बार विधायक सुखदेव पांसे जज से मिलने कोर्ट रूम और घर गये थे।
मै आपको यह भी बता दू कि गांव वालो ने इस घटना के बाद ना ही पट्टे निरस्त करने की मांग की और ना ही पारधियों को जिला बदर करने के लिए महा पंचायत आयोजित की थी। आप पुलिस से हमारा आपराधिक रिकार्ड निकलवा ले जैसा कि आपने लिखा है कि हम पारधियों पर हत्या, बलात्कार, लूट जैसे प्रकरणों का उल्लेख किया है जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। हम आपको यह भी बता दे कि हमें कोई प्रशासन नही पाल रहा है। प्रशासन द्वारा शुरूआती दौर में जरूर कुछ महिने जब हम बरेठा मे थे तो दाल, चावल और आटा दिया जाता था। दाल, चावल आटे से पेट नही भरता, सब्जी-भाजी, तेल, नमक, मिर्च जैसा आप खाते है वैसे हमें भी लगता है। हम जिन हालातो में रह रहे है उसके बारे में भी आप को बताना जरूरी समझता हूँ। सभी पारधी पररिवार भीख मांगकर अपना गुजर बसर कर रहे है। पारधियों को आप लोगो ने बदनाम किया उसकी वजह से भीख में मिली सूखी रोटियों को पानी में भिगोकर बच्चो को खिलाकर जिंदा रहने को मजबूर है।
बीते वर्षो में जो विस्थापितों की तरह रहने की वजह से वर्ष 2007 से अपै्रल 2012 तक पारधी परिवारों के 7 बच्चों समेत 17 महिला एवं पुरूषों की भूख से मौत हो चुकी है। चूँकि अब आपका क्षेत्र बदल गया है आप ज्यादा समय टीम अन्ना के साथ दिल्ली में रहते है हम टी. व्ही. पर देखते है। यही वजह है कि अब आपका पारधियों के प्रति आपका नजरिया बदल गया है। इस सब के बावजूद भी हम बैतूल के उत्कृष्ट खेल मैदान में रहते हुए कोई अपराध हमारे खिलाफ नही है और न ही हम कोई अशांति फैलाने का काम कर रहे है। सुनीलम जी किसानो की राजनीति आप करते है हम गरीबो के पास ना खेत है ना खलिहान, हम किसान आंदोलन में क्यो शामिल होते।
आपके अनुसार काँग्रेस के इशारे पर गोली चालन हुआ था, तो हुआ होगा। पारधियों का इस पूरी घटना से कोई लेना देना नही है। यदि काँग्रेस का हमकों संरक्षण होता तो इस तरह काँग्रेस की अगुआई में ही हमारे घरों को जलाया, लूटपाट की और हमें बेघर करके दर-बदर ठोंकरे खाने भीख मांगने को नही छोड़ा जाता। आपने अपने पत्र में लिखा है कि हमने पुलिस वालों को पीटा, तो उसकी वजह भी आपको बता दूँ, नशे में धुत पुलिस वाले वारंट तामील कराने रात में हमारी बस्ती पहुंचे और औरतो और बच्चों के साथ मारपीट करने लगे इसलिए हमने भी प्रतिकार किया और हाथापाई में टी.आई. को चोट पहुंची। घाट अमरावती कांड भी नेताओं की सोची समझी चाल थी, वोट बैंक के लिए हम जैसी छोटी जाति और अल्प संख्यकों को ही बली का बकरा बना दिया। वो तो घाट अमरावती वालो को पारधियों का धन्यवाद अदा करना चाहिए कि उन्होने अपनी गवाही बदल दी नही तो सभी आरोपी आज भी जेल में होते। अब दोबारा पारधी उस गलती को नही दोहरायेंगे इस बार के सभी गुनहगारों को सजा दिलवा कर रहेंगे।
पारधी कांड को लेकर जिन 82 लोगो के खिलाफ हाईकोर्ट जबलपुर ने सीबीआई को वारंट जारी किया है उन्हे डॉ सनीलम् का नाम प्रमुख आरोपियों में शामिल है। एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट जबलपुर ने पूरे मामले में प्रस्तुत याचिका में आरोपित 12 जनप्रतिनिधियों 12 प्रशासनिक अधिकारियों सहित दो हजार अज्ञात लोगो के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत अपराधिक प्रकरण दर्ज कर जांच के निर्देश जारी किए थे। सीबीआई ने बीते माह ही पूरे मामले की जांच की अंतिम क्लोजर रिर्पोट प्रस्तुत की है जिसके तहत अभी तक 9 लोगो को पकड़ा जा सका है जो वर्तमान में जेल में बंद है। डॉ सुनीलम् को इस मामले में हाईकोर्ट ने अग्रीम जमानत देने से साफ मना करके ट्रायल कोर्ट के समक्ष जमानत प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
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