तहसील प्रमुख // सत्य प्रकाश शर्मा (खुरई// टाइम्स ऑफ क्राइम)
तहसील प्रमुख से संपर्क:-98268 55356toc news internet channal
खुरई. स्व. श्री गोपीलाल जी पठा एवं उनकी बहिन स्व. श्यामबाई के नाम से 6534 वर्ग फुट का प्लाट शास्त्री वार्ड खुरई में दर्शाकर जिसमें ब्राम्हण से कायस्थ दर्शा दिया और वर्ष 1978 से डायवर्सन वसूली की फ र्जी कार्यवाही की जा रही है तथा फर्जी दस्तावेज तैयार किऐ गऐ पिता व मेरी बुआ की मृत्यु के उपरांत मुझे नारायण प्रसाद पठा (पाठक) के नाम से डायवर्सन वसूली हेतु 5042 रूपये का नोटिस जारी किया है, मौके पर प्लाट है ही नहीं न ही पूर्व में था,
इसलिए नारायण प्रसाद पठा ने जब उक्त संबंध में सूचना के अधिकार कानून के तहत जानकारी संबंधित कार्यालय से चाही तो ऐसी फर्जी वसूली की कार्यवाही के संबंधी दस्तावेज प्लाट के नक्शा एवं षडय़ंत्रकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के नाम सूची आदि की जानकारी बावत आवेदन प्रस्तुत किया एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय भेजा, खुरई का नक्शा जीर्ण शीर्ण होना का उल्लेख करते हुऐ, किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी जा रही है, नारायण प्रसाद पठा एक पेंश्नर है और विगत् 10 वर्ष के अधिक समय से न्यायालयों, अधिकारियों, कर्मचारियों के चक्कर इस अवैध वसूली की जानकारी वावत् लगाए जा रहे है, जब कि नारायण प्रसाद जी पठा (पाठक) तैयार है कि मुझे 6534 वर्ग फुट का प्लाट उपलब्ध करा दिया जावें में डायवर्सन की जो भी राशि होगी भरने को तैयार हूॅ । सूचना के अधिकार का अधिकारियों, कर्मचारियों ने पालन न करते हुये आज तक कोई जानकारी नहीं दी जा रही है न ही संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों की सूची दी जा रही है,
इस प्रकार की फर्जी कूट रचित दस्तावेज तेैयार कर अवैध वसूली करने वालों पर यदि कोई अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध नहीं होता तो स्वयं नारायण प्रसाद पठा प्रकरण पंजीबद्ध कराने को मजबूर होगे, ऐसी फर्जी कार्यवाहियों से शासन को भी भारी आर्थिक क्षति संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा पहुचाई गई है इस संबंध में राज्य आर्थिक अपराध अनिवेषण ब्यूरो म.प्र. शासन भोपाल को भी मय दस्तावेजों सहित आवेदन कार्यवाही की अपेक्षा हेतु प्रस्तुत किया है।
ऐसी फर्जी कार्यवाही से प्रताडि़त श्री नारायण प्रसाद जी पठा ने बताया कि मैं व मेरा पूरा परिवार इस अवैध वसूली की कार्यवाही से आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक कष्टों से गुजर रहा है कई आवेदन दिये लेकिन शासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगता । अत: मैं न्याय दिलाने हेतु मीडिया की शरण में हूॅ, मैं अपने प्रकरण संबंधी सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने तत्पर रहूंगा । अत: सूचना के अधिकार कानून को मजाक बनाने वाले एवं फर्जी कार्यवाही करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ जांच कर अपराध पंजीबद्ध किया जाकर जनहित में दण्डित किया जाना अतिआवश्यक है, जांच में अन्य फर्जी कार्यवाहियां भी सामने आयेगी जिसमें शासन का भारी नुकसान हुआ है।
इसलिए नारायण प्रसाद पठा ने जब उक्त संबंध में सूचना के अधिकार कानून के तहत जानकारी संबंधित कार्यालय से चाही तो ऐसी फर्जी वसूली की कार्यवाही के संबंधी दस्तावेज प्लाट के नक्शा एवं षडय़ंत्रकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के नाम सूची आदि की जानकारी बावत आवेदन प्रस्तुत किया एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय भेजा, खुरई का नक्शा जीर्ण शीर्ण होना का उल्लेख करते हुऐ, किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी जा रही है, नारायण प्रसाद पठा एक पेंश्नर है और विगत् 10 वर्ष के अधिक समय से न्यायालयों, अधिकारियों, कर्मचारियों के चक्कर इस अवैध वसूली की जानकारी वावत् लगाए जा रहे है, जब कि नारायण प्रसाद जी पठा (पाठक) तैयार है कि मुझे 6534 वर्ग फुट का प्लाट उपलब्ध करा दिया जावें में डायवर्सन की जो भी राशि होगी भरने को तैयार हूॅ । सूचना के अधिकार का अधिकारियों, कर्मचारियों ने पालन न करते हुये आज तक कोई जानकारी नहीं दी जा रही है न ही संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों की सूची दी जा रही है,
इस प्रकार की फर्जी कूट रचित दस्तावेज तेैयार कर अवैध वसूली करने वालों पर यदि कोई अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध नहीं होता तो स्वयं नारायण प्रसाद पठा प्रकरण पंजीबद्ध कराने को मजबूर होगे, ऐसी फर्जी कार्यवाहियों से शासन को भी भारी आर्थिक क्षति संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा पहुचाई गई है इस संबंध में राज्य आर्थिक अपराध अनिवेषण ब्यूरो म.प्र. शासन भोपाल को भी मय दस्तावेजों सहित आवेदन कार्यवाही की अपेक्षा हेतु प्रस्तुत किया है।
ऐसी फर्जी कार्यवाही से प्रताडि़त श्री नारायण प्रसाद जी पठा ने बताया कि मैं व मेरा पूरा परिवार इस अवैध वसूली की कार्यवाही से आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक कष्टों से गुजर रहा है कई आवेदन दिये लेकिन शासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगता । अत: मैं न्याय दिलाने हेतु मीडिया की शरण में हूॅ, मैं अपने प्रकरण संबंधी सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने तत्पर रहूंगा । अत: सूचना के अधिकार कानून को मजाक बनाने वाले एवं फर्जी कार्यवाही करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ जांच कर अपराध पंजीबद्ध किया जाकर जनहित में दण्डित किया जाना अतिआवश्यक है, जांच में अन्य फर्जी कार्यवाहियां भी सामने आयेगी जिसमें शासन का भारी नुकसान हुआ है।
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