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कभी मायावती मुख्यमंत्री रहते हुए एक पुलिस अधिकारी से अपनी जूती साफ कराती हैं तो कभी पुलिस का एक अफसर किसी नेता के सिर व गले पर अपना बूट रखकर उसे कुचलता है. कभी कोई सीओ किसी लाश को अपने जूते के नोट से ठोंक कर पलट देता है तो कभी कोई एसपी ट्रैफिक अपने अधीनस्थ पुलिसकर्मी से अपने जूते का फीता बंधवाता है.
ये घटनाएं क्या बताती हैं? ये कि हम लोग अभी डेमोक्रेटिक व रेशनल कतई नहीं हुए हैं. दिमाग के स्तर पर उसी सामंत काल में जी रहे हैं, जिससे विकसित देशों ने पीछा जाने कबका छुड़ा लिया है. पर हम इक्कीसवीं सदी में आने के बाद भी पद, वर्दी, कुर्सी मिलते ही खुद को नवाब साहब मान लेते हैं और अपने से नीचे वालों को कीड़े मकोड़े. देखिए इस तस्वीर को. एसपी ट्रैफिक साहब का नाम है बीएन तिवारी. आगरा से एक साथी ने यह फोटो को मेल किया है जिसके लिए उन्हें धन्यवाद.
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