इस साल होगा सत्रह दिन का श्राद्ध पक्ष: मध्यप्रदेश मां सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति द्वारा गायत्री परिवार की मदद से पुण्य सलिला में आन लाइन तर्पण के लिए पंजीयन सुविधा शुरू
बैतूल // रामकिशोर पंवार
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बैतूल. ताप्तीचंल में इस बार 29 सितम्बर से शुरू हो रहे पितृ पक्ष में पितरों के तर्पण के लिए गायत्री परिवार की मदद से आन लाइन पंजीयन शुरू कर दिया है।
मध्यप्रदेश मां सूर्यपुत्री तप्ती जागृति समिति के वेब पोर्टल 222.द्वड्डड्डह्यह्वह्म्4ड्डश्चह्वह्लह्म्द्बह्लड्डश्चड्डह्लद्ब.ष्शद्व पर आन लाइन पंजीयन की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। गायत्री परिवार बैतूल , मुलताई सहित अन्य स्थानो पर स्थानीय पंडितो से विधिवत तर्पण का कार्य करवाया जाएगा। इस बार एक दिन ज्यादा तर्पण किया जाएगा। मां सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति एवं मां सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति मंच की सांझा पहल पर आन लाइन तर्पण की जानकारी देते हुए मंच के प्रदेश सहसचिव बज्रकिशोर पंवार ‘‘डब्बू भैया’’ ने बताया कि पुण्य सलिला मां सूर्यपुत्री ताप्ती में मुलताई से लेकर बैतूल जिले की 250 किलोमीटर के प्रभाव एवं बहाव सीमा उक्त तर्पण कार्य होगा जिसमें सवा सौ से अधिक ऐसे जानकारों की मदद ली जा रही है जो इस पुणित कार्य को नि:शुल्क सम्पन्न करेगें। इस कार्य में प्रमुख रूप से बैतूल जिला गायत्री परिवार से जुड़े श्री डा.सीएच वर्मा , दुर्गादास उइके शिक्षक , डॉ सुश्री शैला मूले , रविशंकर पारखे, अजय पंवार ,तथा मुलताई गुलाब राव चिल्हाटे शिक्षक तथा गायत्री परिवार के सभी पदाधिकारी के अलावा गणेश मंदिर के पुजारी पंडित गणेश प्रसाद त्रिवेदी की मदद से होगा।
मां सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति के जिलाध्यक्ष पंडित संजय शुक्ला पप्पी भैया के अनुसार इस बार पितृ पक्ष 16 दिन की जगह 17 दिन का होने जा रहा है। वैसे ज्योतिषों में अलग-अलग पंचाग के आधार पर तिथियों को लेकर मतभेद है। लेकिन समिति पूरे समय तक तर्पण कार्य को संपादित करवाएगी। श्री शुक्ला के अनुसार श्राद्ध पक्ष की शुरूआत 29 सितंबर से होगी और 15 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या तक होगी। वैसे बच्चों के निमित पंचमी को, सौभाग्यवती स्त्रियों के नवमीं को, सन्यासी पूर्वजों को एकादशी, अकाल मृत्यु वालों को चतुर्थदशी और मृत्यु की अज्ञात तिथि वालों को अमावस्य को श्राद्ध महत्वपूर्ण माना जाता है। प्राय: भाद्र पद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा की दोपहर से शुरू होने वाला श्राद्ध पक्ष 16 दिन का होता है इस बार भाद्र पद शुक्ल चतुर्दशी 29 सितंबर की सुबह 8 बजे तक ही है ऐसे में पूर्णिमा का होने वाला श्राद्ध उसी दिन दोपहर में होगा।
अगले दिन पूर्णिमा 8.50 बजे तक ही है। ऐसे में उस दिन का श्राद्ध प्रतिपदा में होगा। प्रतिपदा का श्राद्ध भी अगले दिन द्वितीया तिथि में होगा। अगले दिन द्वितीया को दोपहर तक रहने की वजह से शेष श्राद्ध तिथियों के अनुसार ही होंगे। अलग-अलग जगह से प्रकाशित होने वाले पंचागों में श्राद्ध तिथियों को लेकर कुछ मतभेद सामने आ रहे हैं जहां कुछ पंचाग 16 दिन का श्राद्ध पक्ष बता रहे हैं वहीं कुछ इसे 17 दिन का मान रहे हैं। यह स्थिति तिथियों की पारंपरिक स्थिति लेकर आई है। पंडित शुक्ला के अनुसार देवों की पूजा के लिए प्रात: और सांध्य का समय सही रहता है। दोपहर में पितृों के पूजन का विधान है ऐसे में इस समय जो तिथि है उसे मान्यता दी जाती है। मां सूर्यपुत्री जागृति समिति की प्रदेश पदाधिकारी श्रीमति अनिता कैलाश कोड़ले एवं श्रीमति रूक्मिणी रामकिशोर पंवार के अनुसार गायत्री परिवार से जुड़ी महिलाए विधिनुसार पुरूषो के साथ पुण्य सलिला मां ताप्ती में अपनी - अपनी टीम के साथ श्राद्ध पखवाड़ा में पितरो का तर्पण कार्य करवाएगी।
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