आखिर थाने में ही बदलते है बयान?
पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर उठे सवाल
ब्यूरो प्रमुख// गंगाधर देशमुख (मुलताई // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से संपर्क:- 9753243865
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मुलताई। रोती बिलखती महिलाएं सामाजिक सीमाओं को लांघकर जब मुलताई पुलिस के पास इस अपेक्षा से पहुंचती हैकि उसे इंसाफ मिलेंगा लेकिन चुप्पी तोडऩे की सजा उसे पुलिस के सामने बयान बदलकर भोगनी पड़ती है। महिला प्रताडऩा, महिला घरेलू हिंसा से पीडि़त महिला जब अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ घर तथा समाज के खिलाफ चुप्पी तोड़ती है तो उसे इंसाफ की बजाय मिलती है पुलिस की फटकार तथा शिकायत वापिस लेने की धमकी जिससे शासन के वे सभी दावे खोखले नजर आते हैं जो महिलाओं की सुरक्षा के लिये कानून के रूप में बनाये गये हैं। यह कोई एक मामला नही ऐसे अनेको मामले हैं जहॉ शिकायत के बाद पीडि़त महिला को पुलिस के दबाव में अपना बयान बदलने को मजबूर होना पड़ा और पुलिस अबला महिला के बयान बदलवाकर उच्चाधिकारियों के सामने अपने हाथों से अपनी पीठ थपथपाती रही। जब पीडि़ता को इंसाफ की जगह पुलिस प्रताडऩा का भी सामना करना पड़ता है तो उसके मनोबल और इंसाफ पाने की अपेक्षाएं कही पिछे छुट जाती है और इसके साथ ही पिछे छुट जाते है मध्यप्रदेश शासन के वह दावे जो अपने आप को महिला प्रताडऩा के मामले में संवेदनशील बताते है। शासन प्रशासन के खोखले दावे एवं मुलताई पुलिस की संवेदनहीनता के प्रमाण है वे घटनाएं तो हाल ही में घटित हुई है। ग्राम कोंढर तथा मासोद की घटनाएॅ इसका प्रमाण है जहॉ अमानवीयता तथा ज्यादती की शिकार महिलाओं को न्याय तो दूर अंतत: बयान बदलने के लिये मजबूर होना पड़ा।
महिला प्रताडऩा दृष्य- 1
निराश हताश और प्रताडऩा की प्रतिमा दिखाई देने वाली एक महिला रोती बिलखती अपने ग्राम कोढर से मुलताई थाना पहुंचती है अपने पति पर यह आरोप लगाती है कि उसे उसका पति मानवीयता की सभी सीमाएं लांघकर उसे प्रताडि़त करता है अनेक प्रकार की लिखी न जाने वाली प्रताडऩाओं के साथ ही वह उसे भोजन में मुत्र मिलाकर खाने को मजबूर करता है इतना ही नहीं महिला द्वारा सौपे गए अपने शिकायत पत्र में अनेक गंभीर आरोप भी लगाएं गए है। प्रताडि़त महिला की स्थिति देखकर किसी भी संवेदनशील व्यक्ति का दिल दहल सकता था किंतु अपने आप को संवेदनशील बताने वाली पुलिस ने इस गंभीर घटना को पुलिस हस्तक्षेप योग्य भी नहीं माना और रोती बिलखती निराश हताश महिला को अपना प्रकरण न्याय की गुहार लिए परिवार परामर्श केंद्र में लाना पड़ा। उक्त मामले की जानकारी जब सक्रिय मिडिया कर्मियों को लगी तो मामले की गंभीरता को समझते हुए एक महिला को इंसाफ दिलाने की गरज से समाचार प्रकाशित किए गए समाचार के प्रकाशन के उपरांत अचानक नींद से जागी पुलिस ने प्रताडऩा की सभी सीमाएं लांघकर महिला को यातना पहुंचाने वाले पति सुरेश पर मात्र दहेज प्रताडऩा का मामला दर्ज कर मामले को नई दिशा देने का प्रयास किया गया जबकि विधिक जानकारों का मानना है घटना की गंभीरता को देखते हुए इस प्रकरण में महिला प्रताडऩा एवं घरेलु हिंसा का भी मामला दर्ज किया जाना था।
मामले में ट्विस्ट
मुलताई से लगभग 25 किमी दूर ग्रामीण अंचल जो कि समाचार पत्रों की पहुंच से दूर एक ग्राम चिचखेड़ा निवासरत प्रताडि़त महिला को समाचार प्रकाशन के दूसरे दिन यह ज्ञात होता हंै कि प्रदेश तथा देश के कुछ प्रमुख अखबारों में उससे संबंधित समाचारों का प्रकाशन हुआ और तब ही उसे यह भी ज्ञात होता है कि उसे प्रताडि़त करने वाले पति पर इन्हीं अखबारों में समाचार के बाद मामला दर्ज कर लिया गया है बावजूद इसके उक्त महिला पुलिस को अपने पूर्व में दिए बयानों से हटकर यह बयान देती है कि अखबारों में छपी खबरे बढ़ा चढ़ाकर छापी गई है जो की भ्रामक है इस संपूर्ण मामले में गंभीर बात यह हैकि समाचार प्रकाशन के उपरांत पुलिस को महिला से अपने पक्ष में बयान कराने की आवश्यकता क्यो पड़ी ? महिला के बदले गए बयानों की बनाई गई विडिय़ों रिकार्डिंग का आशय क्या था ? यह प्रश्न ऐसे है जो बार-बार मुलताई पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगा रहे है। वहीं कर्तव्य निष्ठ और पुलिस की छवि को सुधारने का प्रयास करने वाले जिले के पुलिस कप्तान के लिए भी विचारनीय तथ्य है।
सामाज सेवी पहुंचे पिडि़ता के द्वार
निष्ठूर व्यक्ति की अमानवीय यातनाओं का दंश झेल रही महिला की करुण गाथा जब समाजसेवियों के पास पहुंची तो उन्होने महिला से मिलकर उसकी पीड़ा को बांटने का प्रयास किया। किंतु महिला से मिलने पहुंचा समाजसेवियों का दल जब ग्राम पहुंचा तो वहां का मंजर अलग था जो कि एक अलग की कहानी बयान कर रहा था। ग्राम में पुलिस की आवाजाही और ग्रामीणों की दहशत को भॉपकर समाजसेवियों ने पिडि़त महिला से चर्चा प्रारंभ की तो महिला की पहली प्रतिक्रिया थी कि पुलिस ने किसी से भी चर्चा करने के लिए मना किया हैं इसलिए वह कोई बयान नहीं देना चाहती। महिला के चेहरे के भाव यह बता रहे थे कि उसे डराया धमकाया गया है। एक घंटे की मशक्कत के बाद जब समाजसेवियों ने अपनी निष्पक्षता सिद्ध की तब महिला ने अपना वह शिकायत पत्र दिखाया जो उसने पूर्व में पुलिस को कार्रवाही हेतू दिया था और बहुत सहमी हुई स्थिति में अपनी करुण गाथा समाजसेवियों को सुनाई।
महिला प्रताडऩा दृष्य-2
कोंढर की घटना के कुछ दिनों पूर्व ही मासोद निवासी एक विधवा महिला को भी मुलताई पुलिस की संवेदनहीन कार्यप्रणाली से रूबरू होना पड़ा जब उसे मासोद के ही भाजपा नेता के भाई द्वारा कथित रूप से प्रलोभन देने के बाद उसकी अस्मत लूट ली गयी। पीडि़ता जब शिकायत करने थाने पहुॅचती है तो उसे पुलिस द्वारा शिकायत नही करने के लिये डराया तथा धमकाया जाता है तथा इतना भयभीत कर दिया जाता है कि पुलिस दबाव के सामने महिला को अपनी इच्छा से यौन संबन्ध बनाने की बात लिखनी पड़ती है तथा पुलिस द्वारा आरोपी को वाहन से ससम्मान घर पहुॅचाया जाता है। और अपना सब कुछ गंवा बैठी पीडि़ता न्याय मिलना तो दूर सभी के सामने जिल्लत का सामना करना पड़ता है। पुलिस महिला के हाथों बयान लिखवाकर एक बार फिर अपनी पीठ थपथपाती है और भाजपा नेता को उपकृत करने के चक्कर में यह भूल जाती है कि पीडि़ता को इससे कितनी तकलीफ हुई होगी।
मामले में ट्विस्ट
अबला महिला को धमकाकर सहमति से यौन संबन्ध बनाने का लिखवाने वाली मुलताई पुलिस को करारा झटका तब लगता है जब पीडि़त महिला बैतूल पुलिस अधिक्षक से मुलताई पुलिस की कारगुजारियों की शिकायत करती है और मुलताई पुलिस को पुलिस अधिक्षक की फटकार पर भाजपा नेता के आरोपी के भाई के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करना पड़ता है। तब एक बार फिर सक्रिय मिडियाकर्मियों को मुलताई पुलिस का कोपभाजन करना पड़ता है। पूरे मामले में यह विचारणीय प्रश्र यह है कि पुलिस द्वारा बलात्कार की घटना को सहमति से यौन संबन्ध के रूप में परिवर्तित करने की क्या आवश्यक्ता आवश्यक्ता थी तथा फिर वही बयान लिखवाना एवं विडियों बनाने का क्या आशय था..।
दोनों ही मामलों में कहीं ना कहीं हलाकान परेशान तथा पीडि़त महिलाओं को अपना बयान बदलने पर मजबूर होना पड़ा। एक महिला जो पहले सहीं शिकायत करना चाहती थी उसे मजबूरन पुलिस के आगे बयान बदलना पड़ा जिसका प्रमाण है कि बाद में उसने पुलिस अधिक्षक को मुलताई पुलिस कारगुजारियों का भंडाफोड़ करते हुए यह बताया कि मुलताई पुलिस कैसे दबाव बनाकर महिलाओं को इंसाफ दिलाने के बजाय बयान बदलने पर मजबूर करती है वहीं दूसरे मामले में जब पीडि़ता की शिकायत के बाद भी पुलिस ने मामला दर्ज नही किया और मिडिया की सक्रियता के चलते जब पुलिस को मामला दर्ज करना पड़ा तो मिडिया को ही पुलिस द्वारा पीडि़ता का दुश्मन बताते हुए महिला को बयान बदलने को मजबूर किया गया। कुल मिलाकर मुलताई पुलिस प्रमुख द्वारा कवि के रूप में जहॉ राष्ट्रिय मंचों से भारत माता की आबरू से लेकर नारी अस्मिता की बात बड़े ही दमखम से कही जाती है वहीं मुलताई थाने में महिलाओं पर हो रहे अन्याय देखकर यही कहा जा सकता है कि मंच से कहे गये एक एक शब्द कितने थोथे और खोखले है जो क्षण भर की वाहवाही लूटने के लिये तथा मात्र तालियॉ बजवाने के लिये ही कहे जाते हैं जबकि मुलताई पुलिस की असलियत पूरे जिले में जनता के सामने है।
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