Saturday, December 1, 2012

मध्य प्रदेश जनसंपर्क (न्‍यूज..16) इस हंगामे का सबब क्या है?

इस हंगामे का सबब क्या है?


तेजभान पाल

राष्ट्रीय अध्यक्ष , प्रेस पत्रकार कर्मचारी कल्याण संघ
toc news internet channal


यह दुर्भाग्यपूर्ण, किंतु सौ फीसदी सच बात है कि जनसंपर्क संचालनालय हमेशा से इस बात के लिए पत्रकारों के आरोपों का शिकार रहा है कि यहां पदस्थ अधिकारी विज्ञापन देने में मनमाना भेदभाव बरतते हैं। खुलकर कहा जाता है कि जनसंपर्क संचालनालय में सिर्फ उन्हें ही विज्ञापन मिलते हैं जो अधिकारियों को खुश करने की कूबत रखते हैं और जिनके पास ऊंची पहुंच नहीं है और मस्का लगाना नहीं जानते हैं, वे ऐड़ी-चोटी का जोर लगाने के बावजूद धेले भर का विज्ञापन हासिल नहीं कर सकते हैं।

इस बात में कोई दो मत नहीं हैं कि जनसंपर्क संचालनालय द्वारा विज्ञापन देने को लेकर जरूरी पारदर्शिता नहीं बरती जाती है जिसका लाभ उठाकर ऊंची पहुंच वाले, अधिकारियों को प्रसन्न रखने में समर्थ और उनसे भी ऊंची पहुंच, यानि मंत्रियों से सिफारिश करवाने में समर्थ पत्रकार मनमानी राशि के विज्ञापन पाते रहते हैं , भले ही उनके अखबार या पत्रिकाएं नियमित रूप से नहीं छप रही हों, वहीं जो पत्रकार ईमानदारी से, मेहनत के पसीने से सींच-सींचकर अखबार और पत्रिकाएं छाप रहे हैं, उन्हें तमाम कोशिशों के बावजूद जनसंपर्क संचालनालय से विज्ञापन हाासिल नहीं हो पाते हैं। यह आरोप भी खुलकर लगाए जाते हैं कि जनसंपर्क संचालनालय में विज्ञापनों की आड़ में कमीशन के बाजार सजे रहते हैं और जो ज्यादा से ज्यादा कमीशन खिला सकता है, उसे बराबर विज्ञापन मिलते रहते हैं। यह संयोग नहीं है कि इसी तरह के आरोपों से जुड़े संचालनालय के कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ मध्यप्रदेश राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) में जांच चल रही है वहीं संचालनालय में आला पद पर काबिज एक अधिकारी लोकायुक्त जांच का सामना कर रहे हैं। इनके अलावा और भी कई नाम हैं जिन्हें लेकर सरेआम कहा जाता है कि फलां पच्चीस या पचास फीसदी खिलाने पर विज्ञापन दे रहा है।

गंभीर बात तो यह है कि जनसंपर्क मंत्री के बंगले में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी भी इस आरोप से बच नहीं पाते कि वे विज्ञापनों के गोरखधंधे में जमकर उगाही कर रहे हैं। स्थिति इतनी विकट है कि जनसंपर्क संचालनालय को खुलकर दलाल मंडी कहा जाने लगा है और सरेआम यह आरोप लगाए जाते हैं कि जिन पत्रकारों में अधिकारियों के तलवे चाटने जितनी बेशर्मी है या जो गिरेहबान पकडऩे में माहिर हैं, वही विज्ञापन हासिल कर सकते हैं, शराफत से विज्ञापन मांगने वालों की यहां कोई वखत नहीं है।

सच्चाई क्या है, यह जानने के लिए न किसी जांच की जरूरत है, न ही ऐसे तथ्य जुटाने की, जो मालूमात के बक्से के बाहर छितरे पड़े हों। सारी सच्चाई जनसंपर्क संचालनालय के कोने-कोने में बिखरी पड़ी है और किसी की मजाल नहीं, जो इस सच को नकार सके कि विज्ञापनों के नाम पर यहां गोरखधंधा नहीं चल रहा है। सच्चाई यही है कि संचालनालय द्वारा विज्ञापन देने के लिए न किसी तरह के नियम-कानूनों का पालन किया जा रहा है, और न ही ऐसे कोई मानदंड हैं जिनके आधार पर यह तय किया जा सके कि फलां पत्रकार को विज्ञापन दिया जाना या नहीं दिया जाना उचित अथवा अनुचित है। जाहिरा तौर पर भले ही अधिकारी नियम-कानूनों की बात करें, पर्दे के पीछे जो कहानी चल रही है, उसका लब्बोलुआब सिर्फ इतना है कि जनसंपर्क संचालनालय विज्ञापन देने को लेकर स्वच्छ और पारदर्शी कार्यप्रणाली प्रदर्शित नहीं कर पा रहा है, जिसके चलते आम जनता की मेहनत की कमाई से वसूले जाने सरकारी पैसे का करोड़ों-करोड़ रुपए के आंकड़ों में दुरुपयोग हो रहा है और इसकी एवज में भ्रष्टाचारी खूब फल-फूल रहे हैं।

इसका मतलब यह भी नहीं कि जो जनसंपर्क संचालनालय में व्याप्त भ्रष्टाचार का मुखर विरोध करते हैं वे पत्रकार दूध के धुले हैं। वे चाहे खुद को कितना भी लाचार बताएं और दूसरों को विज्ञापन के लिए कितना भी नालायक साबित करें, सच्चाई यही है कि जनसंपर्क संचालनालय से जिसे विज्ञापन मिलते रहते हैं, वह इसके अधिकारियों के गुणगान करता रहता है और जिसे तमाम कोशिशों के बावजूद विज्ञापन नहीं मिलते हैं वह आक्रामक आरोपों की बौछार करने लगता है। हद तो यह है कि जो पत्रकार अपने अखबारों या पत्रिकाओं में जनसंपर्क संचालनालय की लानत-मलानत करने के लिए किसी भी हद तक जाने से नहीं चूकते हैं, वे खुद जब जनसंपर्क संचालनालय में आते हैं तो उनकी मुद्रा साष्टांग दंडवत करने जैसी होती है। बहुत कम पत्रकार हैं जो जनसंपर्क संचालनालय की खिलाफ नीतिगत कारणों से करते हैं, वर्ना ज्यादातर का विरोध केवल इसलिए होता है कि उसे दिया तो हमें क्यों नहीं दिया, फलाने की कमीज क्या हमसे ज्यादा उजली थी?
इन तमाम बातों के सच होते हुए भी जनसंपर्क संचालनालय इस कलंक से बच नही सकता कि इसके अधिकारियों ने कार्यालय को विज्ञापनों की सौदेबाजी का नापाक अड्डा बना दिया है।

यदि ऐसा नहीं होता तो यह चमत्कार नहीं होते कि जिन लोगों को पत्रकारिता का कखग भी नहीं आता है उन्हें लाखों-लाख रुपए के विज्ञापनों से नवाजा जा रहा हो और जिन्होंने पत्रकारिता करते हुए अपने सारे बाल सफेद कर लिए हों, उन्हें पांच-दस हजार के विज्ञापनों के लिए भी यहां-वहां हाथ पसारने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जनसंपर्क संचालनालय को लेकर यह सच्चाई इतनी प्रमाणित है कि अगर दस पत्रकारों से पूछें तो नौ यही कहेंगे कि जनसंपर्क संचालनालय भ्रष्ट अधिकारियों के कब्जे में है जो जमकर मनमानी कर रहे हैं और इससे प्रदेश सरकार की छवि दिनों-दिन विद्रूप होती चली जा रही है।

यह बात किसी से छिपी नहीं है कि खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान संचालनालय की इस स्थिति से अप्रसन्न हैं और पिछले दिनों आयोजित एक समीक्षा बैठक में अपनी नाराजगी का खुलकर इजहार कर चुके हैं। बावजूद इसके, अगर जनसंपर्क संचालनालय में पदस्थ आला अधिकारी अपना रवैया बदलने के लिए तैयार नहीं हैं तो इसका सीधा मतलब यह निकाला जाएगा कि ये अधिकारी इतने निरंकुश और शक्तिशाली हो गए हैं कि उन्हें प्रदेश के मुखिया की नाराजगी का भय भी नहीं रह गया है। जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को सोचना चाहिए कि आखिर ऐसी स्थिति क्यों और कैसे आई है। वे विभाग के मंत्री हैं और इस नाते बदहाली की तमाम जिम्मेदारी भी उन्हीं की है और सुधार लाने का दायित्व भी उन्हीं को निभाना है।

उन्हें देखना होगा कि स्थितियां किस प्रकार बदली जा सकती हैं और इसके लिए क्या जरूरी कदम उठाना चाहिए। जनसंपर्क संचालनालय में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का खात्मा किसी भी कीमत पर होना चाहिए, चाहे इसके लिए अधिकारी बदले जाएं या व्यवस्थाएं, क्योंकि इसी में पत्रकारों का हित है और ऐसा करके ही प्रदेश सरकार अपनी स्वच्छ छवि स्थापित कर सकती है, वरना बदनामी का ठीकरा सरकार के सिर पर फूटता रहेगा और घोटालेबाज अधिकारी-कर्मचारी तथा उनके कृपापात्र पत्रकारों के ऐश चलते रहेंगे। समय है कि जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा अपने अधिकारों का उपयोग करें और जनसंपर्क संचालनालय की कार्यप्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन के लिए उचित कदम उठाएं। उन्हें ऐसी पारदर्शी और भेदभावरहित नीतियों की शुरुआत करनी होगी, जिस पर चलते हुए जनसंपर्क संचालनालय किसी के पक्ष अथवा विपक्ष में झुका नजर नहीं आए, बल्कि अपने-पराए का भेद मिटाते हुए सभी पत्रकारों के लिए समान व्यवहार करता महसूस हो।

जनसंपर्क संचालनालय में अंधों को रेवडिय़ां बंटती हैं, इस आरोप को झूठा साबित करने की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ जनसंपर्क मंत्री की है और वे ऐसा कर सकते हैं, बशर्ते अटूट इच्छाशक्ति का परिचय दें, अन्यथा आगे चलकर इन आरोपों को भी सही माना जाने लगेगा कि जनसंपर्क संचालनालय में जो भी  फर्जीवाड़ा चल रहा है उसमें खुद जनसंपर्क मंत्री का हाथ है और वे इससे आर्थिक रूप से लाभान्वित हो रहे हैं। जाहिर सी बात यह है कि जनसंपर्क संचालनालय में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर अगर अफसरों-कर्मचारियों पर निशाने साधे जा रहे हों, आरोपों में घेरा जा रहा हो तो विभाग के मंत्री आखिर इन सबसे कैसे बच सकते हैं?

No comments:

Post a Comment

CCH ADD

CCH ADD
CCH ADD

Popular Posts

dhamaal Posts

जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

ANI NEWS INDIA

‘‘ANI NEWS INDIA’’ सर्वश्रेष्ठ, निर्भीक, निष्पक्ष व खोजपूर्ण ‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया ऑनलाइन नेटवर्क’’ हेतु को स्थानीय स्तर पर कर्मठ, ईमानदार एवं जुझारू कर्मचारियों की सम्पूर्ण मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले एवं तहसीलों में जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / पंचायत स्तर पर क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों / संवाददाताओं की आवश्यकता है।

कार्य क्षेत्र :- जो अपने कार्य क्षेत्र में समाचार / विज्ञापन सम्बन्धी नेटवर्क का संचालन कर सके । आवेदक के आवासीय क्षेत्र के समीपस्थ स्थानीय नियुक्ति।
आवेदन आमन्त्रित :- सम्पूर्ण विवरण बायोडाटा, योग्यता प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आकार के स्मार्ट नवीनतम 2 फोटोग्राफ सहित अधिकतम अन्तिम तिथि 30 मई 2019 शाम 5 बजे तक स्वंय / डाक / कोरियर द्वारा आवेदन करें।
नियुक्ति :- सामान्य कार्य परीक्षण, सीधे प्रवेश ( प्रथम आये प्रथम पाये )

पारिश्रमिक :- पारिश्रमिक क्षेत्रिय स्तरीय योग्यतानुसार। ( पांच अंकों मे + )

कार्य :- उम्मीदवार को समाचार तैयार करना आना चाहिए प्रतिदिन न्यूज़ कवरेज अनिवार्य / विज्ञापन (व्यापार) मे रूचि होना अनिवार्य है.
आवश्यक सामग्री :- संसथान तय नियमों के अनुसार आवश्यक सामग्री देगा, परिचय पत्र, पीआरओ लेटर, व्यूज हेतु माइक एवं माइक आईडी दी जाएगी।
प्रशिक्षण :- चयनित उम्मीदवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण भोपाल स्थानीय कार्यालय मे दिया जायेगा, प्रशिक्षण के उपरांत ही तय कार्यक्षेत्र की जबाबदारी दी जावेगी।
पता :- ‘‘ANI NEWS INDIA’’
‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया नेटवर्क’’
23/टी-7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, प्रेस काम्पलेक्स,
नीयर दैनिक भास्कर प्रेस, जोन-1, एम. पी. नगर, भोपाल (म.प्र.)
मोबाइल : 098932 21036


क्र. पद का नाम योग्यता
1. जिला ब्यूरो प्रमुख स्नातक
2. तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / हायर सेकेंडरी (12 वीं )
3. क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
4. क्राइम रिपोर्टरों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
5. ग्रामीण संवाददाता हाई स्कूल (10 वीं )

SUPER HIT POSTS

TIOC

''टाइम्स ऑफ क्राइम''

''टाइम्स ऑफ क्राइम''


23/टी -7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, जोन-1,

प्रेस कॉम्पलेक्स, एम.पी. नगर, भोपाल (म.प्र.) 462011

Mobile No

98932 21036, 8989655519

किसी भी प्रकार की सूचना, जानकारी अपराधिक घटना एवं विज्ञापन, समाचार, एजेंसी और समाचार-पत्र प्राप्ति के लिए हमारे क्षेत्रिय संवाददाताओं से सम्पर्क करें।

http://tocnewsindia.blogspot.com




यदि आपको किसी विभाग में हुए भ्रष्टाचार या फिर मीडिया जगत में खबरों को लेकर हुई सौदेबाजी की खबर है तो हमें जानकारी मेल करें. हम उसे वेबसाइट पर प्रमुखता से स्थान देंगे. किसी भी तरह की जानकारी देने वाले का नाम गोपनीय रखा जायेगा.
हमारा mob no 09893221036, 8989655519 & हमारा मेल है E-mail: timesofcrime@gmail.com, toc_news@yahoo.co.in, toc_news@rediffmail.com

''टाइम्स ऑफ क्राइम''

23/टी -7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, जोन-1, प्रेस कॉम्पलेक्स, एम.पी. नगर, भोपाल (म.प्र.) 462011
फोन नं. - 98932 21036, 8989655519

किसी भी प्रकार की सूचना, जानकारी अपराधिक घटना एवं विज्ञापन, समाचार, एजेंसी और समाचार-पत्र प्राप्ति के लिए हमारे क्षेत्रिय संवाददाताओं से सम्पर्क करें।





Followers

toc news