दिल्ली गैंगरेप मामले में गिरफ्तार किये गये बलात्कारी भले ही अपने द्वारा किये गये काम का अंजाम समझ रहे हों और फांसी की सजा मांग रहे हों या फिर पूरी संसद एक स्वर से इनकी घोर निंदा करते हुए कठोर से कठोर सजा देने की मांग कर रही हो लेकिन एक व्यक्ति ऐसा है जो बलात्कार की इस घटना को बहुत महत्व नहीं देता और कहता है कि बलात्कार पर इतना बवाल मचाने की बजाय जमाने में गम और भी हैं। उनका नाम है सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू।
सिर्फ बलात्कार की इस घटना को काटजू कमतर करके आंक रहे हैं बल्कि काटजू की भावना है कि बलात्कारियों को फांसी की सजा नहीं देनी चाहिए। अपने ब्लाग पर लिखी प्रतिक्रिया में काटजू ने कहा है कि ''ऐसी (बलात्कार) जैसी घटनाओं के लिए धारा 376 के तहत उम्र कैद तक के प्रावधान हैं। फिर समझ में नहीं आ रहा है लोग फांसी देने की बात क्यों कर रहे हैं? मुझे समझ में नहीं आ रहा ऐसे मामलों में फांसी की सजा क्यों दी जानी चाहिए?"
मार्कण्डेय काटजू ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि इस मुद्दे पर इतना हंगामा करने की जरूरत नहीं है, देश और दुनिया में और भी बहुत सारे मुद्दे हैं जिन पर बात करना जरूरी है। अपने ब्लाग में मार्कण्डेय काटजू लिखते हैं कि "मैं इस घटना कि निंदा करता हूं और अदालत द्वारा जो निर्धारित हो वह सजा इन लोगों की दी जाए लेकिन साथ ही मेरा यह मानना है कि क्या संसद और मीडिया द्वारा इसी तरह का हंगामा तब खड़ा किया जाता जब ऐसी कोई घटना देश के दूसरे हिस्से में होती? मुझे मालूम है ऐसा नहीं होता।"
काटजू यहीं तक नहीं रुके हैं बल्कि अपने बयानों के जरिए चर्चा में बने रहने की कला में माहिर जस्टिस काटजू बलात्कार की ऐसी दर्दनाक घटना के बीच गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी का रोना भी रो रहे हैं। उनके हिसाब से ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर ज्यादा ध्यान दिये जाने की जरूरत है न कि दिल्ली में घटित हुए किसी एक बलात्कार की घटना पर इतना हंगामा करने की जरूरत है।
sabhar - visfot
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