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कैंडी।। श्रीलंका में एक बौद्ध भिक्षु ने गौ हत्या का विरोध करते हुए खुद को आग लगा ली। भिक्षु को गंभीर हालत में हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। यह घटना कैंडी के सेंट्रल टाउन में जाने-माने बौद्ध मंदिर के पास हुई, जहां भगवान बुद्ध के दांतों के अवशेष रखे गए हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए इस जगह का खास महत्व है।
इंग्लिश अखबार डेली मेल के मुताबिक पुलिस का कहना है कि आत्मदाह करने वाले भिक्षु ने बाकी भिक्षुओं को पहले ही बता दिया था कि वह खुद को आग लगाने जा रहा है। उसने बताया था कि वह ऐसा गाय को मीट के लिए मारने के विरोध में कर रहा है। गंभीर रूप से जख्मी इस भिक्षु का कोलंबो नैशनल हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है।
गौरतलब है कि बौद्ध धर्म श्रीलंका का राज धर्म है और यहां की करीब 75 फीसदी आबादी बौद्ध है। बौद्ध धर्म में जीवों की हत्या तो दूर, किसी भी तरह की हिंसा वर्जित है। श्रीलंका में बहुत से बौद्ध मीट खाते हैं, लेकिन उनमें से भी ज्यादातर बीफ खाने से बचते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वे गाय को पवित्र मानते हैं।
कैंडी।। श्रीलंका में एक बौद्ध भिक्षु ने गौ हत्या का विरोध करते हुए खुद को आग लगा ली। भिक्षु को गंभीर हालत में हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। यह घटना कैंडी के सेंट्रल टाउन में जाने-माने बौद्ध मंदिर के पास हुई, जहां भगवान बुद्ध के दांतों के अवशेष रखे गए हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए इस जगह का खास महत्व है।
इंग्लिश अखबार डेली मेल के मुताबिक पुलिस का कहना है कि आत्मदाह करने वाले भिक्षु ने बाकी भिक्षुओं को पहले ही बता दिया था कि वह खुद को आग लगाने जा रहा है। उसने बताया था कि वह ऐसा गाय को मीट के लिए मारने के विरोध में कर रहा है। गंभीर रूप से जख्मी इस भिक्षु का कोलंबो नैशनल हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है।
गौरतलब है कि बौद्ध धर्म श्रीलंका का राज धर्म है और यहां की करीब 75 फीसदी आबादी बौद्ध है। बौद्ध धर्म में जीवों की हत्या तो दूर, किसी भी तरह की हिंसा वर्जित है। श्रीलंका में बहुत से बौद्ध मीट खाते हैं, लेकिन उनमें से भी ज्यादातर बीफ खाने से बचते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वे गाय को पवित्र मानते हैं।
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