नई दिल्ली. दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि रेप कानून का महिलाएं गलत इस्तेमाल कर रहीं हैं. वहीं रेप मामले में एक व्यक्ति को जमानत देते हुए जस्टिस कैलाश गंभीर ने शनिवार को कहा कि बदला लेने के लिए रेप कानून का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. साथ ही इस कानून का डर दिखा कर महिलाएं लड़कों से जबरन शादी भी कर रही हैं. एक हफ्ते में यह तीसरी बार है जब कोर्ट ने ऎसी टिप्पणी की है.
हाई कोर्ट ने कहा कि महिलाएं पहले सहमति से यौन संबंध बनाती हैं और जब पुरूष मित्र से संबंध खराब हो जाते हैं तो उनके खिलाफ रेप का मामला दर्ज करवा देती हैं,ताकि जबरन उनसे शादी कर सकें. इससे न सिर्फ शादी जैसे पवित्र रिश्ते का मजाक बनता है,बल्कि रेप के मामलों में भी वृद्धि होती है.
पत्नी की ओर से दायर रेप मामले में व्यक्ति को जमानत देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि ऎसे मामले उन महिलाओं द्वारा दायर किए जाते हैं जो पहले सहमति से शारीरिक संबंध बना लेती हैं और जब रिश्ते में किसी कारणवश खटास आ जाती है तो बदला लेने के लिए महिलाएं अपने पुरूष मित्रों के खिलाफ रेप का मामला दर्ज करवा देती हैं.
यही नहीं,इस कानून का डर दिखा कर महिलाएं अपने मित्रो से जबरन शादी कर लेती हैं और कई बार पैसे भी वसूल करती हैं. अपने फैसले में जस्टिस गंभीर ने अन्य जजों को सलाह देते हुए कहा कि अगर उनके सामने कोई रेप का मामला आता है,तो वे इस बात को अच्छे से परख लें की रेप मामला सही है भी या नहीं.
जस्टिस गंभीर ने व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा कि दो साल तक लड़के से शारीरिक संबंध बनाते हुए उक्त महिला को कोई दिक्कत नहीं हुई,लेकिन जब उसने शादी करने से मना कर दिया तो उसने पुलिस की मदद लेकर लड़के से जबरन शादी कर ली,जबकि एफआईआर के मुताबिक शादी कभी पूर्णता तक नहीं पहुंची थी.
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