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लखनऊ निवासी सामजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने सुब्रत राय एवं सहारा इंडिया परिवार के उत्तरदायी अधिकारियों एवं कार्मिकों द्वारा राष्ट्रध्वज का अपमान करने के आरोप का इस्तगासा जुडिशयल मजिस्ट्रेट द्वितीय की अदालत में दायर किया है।
अदालत में दायर इस्तगासे में उर्वशी शर्मा ने उल्लेख किया है कि लखनऊ के रमाबाई मैदान में बीते 6 मई को सहारा इंडिया परिवार द्वारा आयोजित भारत भावना दिवस में राष्ट्रध्वज का घनघोर अपमान किया गया l सहारा इंडिया परिवार द्वारा लखनऊ के रमाबाई मैदान में आयोजित भारत भावना दिवस के राष्ट्रगान समारोह में उपस्थित लोगों द्वारा एक साथ राष्ट्रगान गाने का विश्व रिकार्ड तो बना दिया गया लेकिन राष्ट्रगान गाने के कार्यक्रम के बाद राष्ट्रध्वज तिरंगे को पैरों तले रौंदा गया, जिसके चित्र समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुए l तिरंगे के इस सार्वजनिक अपमान के चित्र देखकर व्यथित उर्वशी ने दिनांक 09-05-13 को इस संबंध में सुब्रत राय
एवं सहारा इंडिया परिवार के उत्तरदायी अधिकारियों एवं कार्मिकों के विरुद्ध राष्ट्रीय गौरव अपमान अधिनियम 1971 की धारा-2 के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर कानूनी कार्यवाही के लिए एक प्रार्थनापत्र थाना तालकटोरा लखनऊ को दिया और प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और लखनऊ के डीआईजी और एसएसपी को ई-मेल के माध्यम से इस संबंध में सूचित कर दिया कि वे राष्ट्रध्वज के अपमान के इस प्रकरण का स्वत: संज्ञान लेकर दोषियों को दंडित कराना सुनिश्चित करेंगे l
थानाध्यक्ष तालकटोरा ने प्रकरण पर टालमटोल करते हुए थानाध्यक्ष आशियाना से संपर्क कर उनको प्रार्थना पत्र देने को कहा l थानाध्यक्ष तालकटोरा ने प्रकरण पर टालमटोल करते हुए थानाध्यक्ष आशियाना से संपर्क कर उनको प्रार्थना पत्र देने को कहा l थानाध्यक्ष आशियाना द्वारा प्रकरण में कोई प्रभावी कार्यवाही न किये जाने पर प्रकरण की सूचना लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी दी गयी किन्तु कतिपय कारणों से बड़े बड़े दावे करने बाले वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी l उर्वशी का कहना है कि इसकी शिकायत अधिकारियों से की गई, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि राष्ट्रीय प्रतीक के सार्वजनिक अपमान के इस प्रकरण में प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक ,लखनऊ के डीआईजी , एसएसपी, थानाध्यक्ष थाना तालकटोरा और थानाध्यक्ष थाना आशियाना ने कोई ध्यान नहीं दिया और न ही प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति ही उपलब्ध करवाई। तब विवश होकर उन्होंने न्यायलय की शरण ली है l
उर्वशी के अनुसार क्योंकि सहारा का ये कार्यक्रम सार्वजनिक रूप से हुआ है, इसलिए राष्ट्रीय ध्वज के इस अपमान के लिए कार्यक्रम के आयोजक भी उत्तरदायी हैंl उर्वशी के मुताबिक भारत के प्रत्येक नागरिक को राष्ट्र गौरव का प्रतीक मानते हुए अपने राष्ट्रीय ध्वज का पूरा सम्मान करना चाहिए। राष्ट्रीय गौरव अपमान अधिनियम 1971 , राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण(संशोधन) अधिनियम 2005 की की धारा-2 के तहत यह एक दंडनीय अपराध है, जिसके लिए 3 वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है l
उर्वशी का कहना है कि राष्ट्रीय प्रतीक का सार्वजनिक अपमान सुब्रत राय और सहारा इंडिया परिवार द्वारा किया गया जघन्यतम अपराध है और इनको इनके किये की सजा मिलनी ही चाहिए l उर्वशी का कहना है कि यदि कार्यक्रम की सफलता का श्रेय लेते हुए सुब्रत राय गिनीज बुक का प्रमाणपत्र स्वयं लेते हैं तो उसी कार्यक्रम में राष्ट्र ध्वज के अपमान के कुकृत्य की जिम्मेवारी भी उनको ही लेनी होगी l
उर्वशी के अधिवक्ता त्रिभुवन कुमार गुप्ता ने बताया कि इस मामले में परिवाद रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद मजिस्ट्रेट ने मामले की जांच के लिए परिवाद को आशियाना थाने भेजने के आदेश के साथ एक सप्ताह में आख्या तलब की है l
लखनऊ निवासी सामजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने सुब्रत राय एवं सहारा इंडिया परिवार के उत्तरदायी अधिकारियों एवं कार्मिकों द्वारा राष्ट्रध्वज का अपमान करने के आरोप का इस्तगासा जुडिशयल मजिस्ट्रेट द्वितीय की अदालत में दायर किया है।
अदालत में दायर इस्तगासे में उर्वशी शर्मा ने उल्लेख किया है कि लखनऊ के रमाबाई मैदान में बीते 6 मई को सहारा इंडिया परिवार द्वारा आयोजित भारत भावना दिवस में राष्ट्रध्वज का घनघोर अपमान किया गया l सहारा इंडिया परिवार द्वारा लखनऊ के रमाबाई मैदान में आयोजित भारत भावना दिवस के राष्ट्रगान समारोह में उपस्थित लोगों द्वारा एक साथ राष्ट्रगान गाने का विश्व रिकार्ड तो बना दिया गया लेकिन राष्ट्रगान गाने के कार्यक्रम के बाद राष्ट्रध्वज तिरंगे को पैरों तले रौंदा गया, जिसके चित्र समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुए l तिरंगे के इस सार्वजनिक अपमान के चित्र देखकर व्यथित उर्वशी ने दिनांक 09-05-13 को इस संबंध में सुब्रत राय
एवं सहारा इंडिया परिवार के उत्तरदायी अधिकारियों एवं कार्मिकों के विरुद्ध राष्ट्रीय गौरव अपमान अधिनियम 1971 की धारा-2 के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर कानूनी कार्यवाही के लिए एक प्रार्थनापत्र थाना तालकटोरा लखनऊ को दिया और प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और लखनऊ के डीआईजी और एसएसपी को ई-मेल के माध्यम से इस संबंध में सूचित कर दिया कि वे राष्ट्रध्वज के अपमान के इस प्रकरण का स्वत: संज्ञान लेकर दोषियों को दंडित कराना सुनिश्चित करेंगे l
थानाध्यक्ष तालकटोरा ने प्रकरण पर टालमटोल करते हुए थानाध्यक्ष आशियाना से संपर्क कर उनको प्रार्थना पत्र देने को कहा l थानाध्यक्ष तालकटोरा ने प्रकरण पर टालमटोल करते हुए थानाध्यक्ष आशियाना से संपर्क कर उनको प्रार्थना पत्र देने को कहा l थानाध्यक्ष आशियाना द्वारा प्रकरण में कोई प्रभावी कार्यवाही न किये जाने पर प्रकरण की सूचना लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी दी गयी किन्तु कतिपय कारणों से बड़े बड़े दावे करने बाले वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी l उर्वशी का कहना है कि इसकी शिकायत अधिकारियों से की गई, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि राष्ट्रीय प्रतीक के सार्वजनिक अपमान के इस प्रकरण में प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक ,लखनऊ के डीआईजी , एसएसपी, थानाध्यक्ष थाना तालकटोरा और थानाध्यक्ष थाना आशियाना ने कोई ध्यान नहीं दिया और न ही प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति ही उपलब्ध करवाई। तब विवश होकर उन्होंने न्यायलय की शरण ली है l
उर्वशी के अनुसार क्योंकि सहारा का ये कार्यक्रम सार्वजनिक रूप से हुआ है, इसलिए राष्ट्रीय ध्वज के इस अपमान के लिए कार्यक्रम के आयोजक भी उत्तरदायी हैंl उर्वशी के मुताबिक भारत के प्रत्येक नागरिक को राष्ट्र गौरव का प्रतीक मानते हुए अपने राष्ट्रीय ध्वज का पूरा सम्मान करना चाहिए। राष्ट्रीय गौरव अपमान अधिनियम 1971 , राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण(संशोधन) अधिनियम 2005 की की धारा-2 के तहत यह एक दंडनीय अपराध है, जिसके लिए 3 वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है l
उर्वशी का कहना है कि राष्ट्रीय प्रतीक का सार्वजनिक अपमान सुब्रत राय और सहारा इंडिया परिवार द्वारा किया गया जघन्यतम अपराध है और इनको इनके किये की सजा मिलनी ही चाहिए l उर्वशी का कहना है कि यदि कार्यक्रम की सफलता का श्रेय लेते हुए सुब्रत राय गिनीज बुक का प्रमाणपत्र स्वयं लेते हैं तो उसी कार्यक्रम में राष्ट्र ध्वज के अपमान के कुकृत्य की जिम्मेवारी भी उनको ही लेनी होगी l
उर्वशी के अधिवक्ता त्रिभुवन कुमार गुप्ता ने बताया कि इस मामले में परिवाद रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद मजिस्ट्रेट ने मामले की जांच के लिए परिवाद को आशियाना थाने भेजने के आदेश के साथ एक सप्ताह में आख्या तलब की है l
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