Tuesday, May 21, 2013

मैच फिक्सिंग के तार मध्य प्रदेश से !



खंडवा [ शेख शकील ] स्पाट फिक्सिंग ने देश को हिलाकर रख दिया है अब क्रिकेट का मैच मनोरंजन का साधन नहीं अंडरवर्ल्ड और सटोरियों के लिए नोट कमाने का माध्यम बन गया है। तीन भारतीय खिलाडिय़ों के स्पाट फिक्सिंग में शामिल होने के बाद से ही देश का खुफिया तंत्र इसकी पड़ताल में लगा हुआ है इसे शहर की विडंबना ही कहा जाए कि देश के किसी भी राज्य में गंभीर और संगीन अपराध होता है तो उसके तार खंडवा से किसी न किसी तरह से जुड़ जाते हैं? फिक्सिंग का जीन्न दुबई, मुंबई, दिल्ली, इंदौर के बाद खंडवा में भी हलचल मचा सकता है।

आईपीएल स्पाट फिक्सिंग की जांच में रोजाना नये-नये खुलासे हो रहे हैं। सट्टेबाज और क्रिकेट खिलाडिय़ों की जुगलबंदी से चल रहे इस खेल में अंडरवल्र्ड की दखल अंदाजी भी आहिस्ता-आहिस्ता साफ होती नजर आ रही है। देश में हलचल मचाने वाले स्पाट फिक्सिंग के इस खेल से खंडवा भी अछूता नहीं हो सकता है। इंदौर और खंडवा के बुकियों ने अपनी गहरी पेठ बना रखी है और यह खेल पिछले कुछ सालों से चल रहा है। इस खेल से जुड़े कुछ बदनाम नाम कुछ ही दिनों में अरबपति बन चुके हैं और कल तक मुंबई कल्याण सट्टा चलाने वाले करोड़पति बन चुके हैं। सवाल यह है कि इनके गिरेबान तक पुलिस के हाथ क्यों नहीं पहुंच पा रहे हैं। हो सकता है कि पुलिस का मुखबिर तंत्र कमजोर हो चला है या फिर सट्टेबाजों की ऊंची पहुंच के आगे अदने अफसर कोई रिस्क लेना नहीं चाहतें।

"सनावद और ओंकारेश्वर बने सेंटर " 


क्रिकेट सट्टे से जुड़े सूत्रों का कहना है कि खंडवा जिले में क्रिकेट के सट्टे के लिए सुरक्षित स्थान सनावद और ओंकारेश्वर है। क्योंकि खंडवा और खरगोन जिले की सीमा होने से बुकियों को इसका फायदा मिल जाता है। सडक़ पर दौड़ती वेन और खंडवा से पैसे लेकर निकलती एक कार की चर्चा आसानी से चौराहों पर सुनी जा सकती है। बुकी यहां पर पुलिस को गच्चा दे जाते हैं |अगर खंडवा पुलिस की टीम रेड करे तो वेन खरगोन जिले में होती है और खरगोन पुलिस सतर्क हो तो खंडवा सीमा में। कुल मिलाकर जब तक इंदौर के गुप्त टीम रेड ना करे बुकिंयों को पकडऩा मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। चर्चा तो यहां तक है कि पुलिस के अदने अधिकारी अपने लेवल पर रेड भी कर लेते है और रेट भी तय कर लेते हैं।

"शहर के बदनाम चौराहे " 


शहर में ऐसे कई बदनाम चौराहे है जहां क्रिकेट के सट्टे से जुड़े बुकी और खिलाड़ी आसानी से मिल जाते हैं। मोबाईल ने यह काम और आसान कर दिया है। अब मोबाईल पर ही सारी फिक्सिंग हो जाती है। नामचीन बुकियों के अलावा छोटे-छोटे बुकी गली-मोहल्लों में भी पैदा हो गए हैं जो अक्सर कांस्टेबल लेबल के पुलिस वालों का शिकार तो बनते हैं लेकिन क्रिकेट का सट्टा नहीं रूक पाता। खंडवा, बुरहानपुर जिले में तुला राशि के बुकियों का बोलबाला है। अब तक पुलिस कई मर्तबा कार्यवाही कर चुकी है लेकिन इस काले कारोबार से जुड़े बड़े नाम अक्सर पुलिस की पकड़ में ना आ सके।

" बुरहानपुर में भी खंडवा के बुकी " 


कुछ समय पूर्व बुरहानपुर पुलिस ने मोबाईल पर क्रिकेट का सट्टा लेने वाले बुकियों को पकड़ा था उसमें मुख्य सरगना खंडवा का था। मतलब खंडवा में पुलिस सख्ती करती है तो यह शहर छोडक़र दूसरी जगह अपना अड्डा बना लेते है।

"सटोरियों का खेल "


टिचरों में भी सट्टे की तड़प दिख रही है वह अपने वर्क से फ्री होकर अपना टाईम सट्टा खेलकर पूरा करते है यह एक ही ग्रुप में फोन पर अपने खिलाडिय़ों को चुनते है और कौन कितनी बॉल खेलता है उस पर पैसा लगाया जाता है। और इसी तरह दो सटोरियों को देखकर और दो जुडऩे की कोशिश करते है इसी तरह सट्टे का कारोबार बढ़ता जा रहा है। यह मैच शुरू होने से पहले ही तय हो जाता है।और जो खिलाड़ी अच्छा खेलता है तो उस पर और ज्यादा पैसे लगायें जाते है।

" मोना शर्मा की मौत से हुआ था खुलासा "


बीते वर्ष बड़वाह में हुई मोना शर्मा की संदिग्ध मौत के मामले में भी मोना के परिजनों ने निमाड़ में क्रिकेट सट्टे का साम्राज्य जमा चुके तुला राशि के बुकी पर शंका जाहिर की थी। दरअसल मोना शर्मा की संदिग्ध मौत पर परिजनों ने आरोप लगाया था कि मोना को क्रिकेट के सट्टे से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां हाथ लग गई थी जो बुकियों और उसके पति के लिए खतरा बन सकती थी इसलिए उसे रास्ते से हटा दिया गया। इस संदिग्ध मौत को पुलिस ने आत्महत्या का मामला दर्ज किया था। सवाल यह है कि अगर इसी समय सख्ती से पूछताछ हो जाती तो निमाड़ में चल रहे क्रिकेट के सट्टे के पीछे छुपे सफेदपोश चेहरे बेनकाब हो जाते। अब तक समुद्र की छोटी मछली ही फसती रही जाल में क्रिकेट के सट्टे के लिए कुख्यात हो चुके कथित बादशाहों के सियासत में भी दखल है। यह बुकी धार्मिक और राजनैतिक आयोजनों के नाम पर सहयोग स्वरूप बढ़ चढक़र हिस्सा लेते हैं। यही वजह है कि समाज में चमकते चेहरे के पीछे की काली करतूत नजर नहीं आती और पुलिस को गुमराह करने में यह कारगर साबित होती है।

"सटोरियों पर सतत नजर "


खंडवा पुलिस पूरी तरह से संदिग्ध बुकियों पर नजर रखे हुए हैं, इंदौर पुलिस के संपर्क में हैं। मिल रही सूचनाओं पर तुरंत एक्शन लिया जा रहा है फिलहाल स्पाट फिक्सिंग से खंडवा कोई कनेक्शन नजर नहीं आया है। इस तरह की अफवाहों पर भी पुलिस ने मुस्तैदी जांच की है। आमजनों से भी अपील है कि किसी भी तरह की कोई संदिग्ध गतिविधि नजर आती है तो पुलिस को तुरंत सूचित करें।
मनोज शर्मा, पुलिस अधीक्षक खंडवा।

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