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जनसंदेश टाइम्स, भदोही के पत्रकार सुरेश गांधी के खिलाफ जिलाधिकारी द्वारा गुंडा एक्ट के तहत की गयी जिलाबदर की कारवाई पर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्तिगण सुरेन्द्र सिंह व मुशाफे अहमद की खंडपीठ ने अधिवक्ता केके राय व शम्स विकास के दलीलों को सुनने के बाद दी। अधिवक्ता ने बताया कि याची के निर्भीक व निष्पक्ष लेखन से कुपित होकर जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी ने जिस आरोप को आधार बनाकर जिलाबदर का आदेश पारित किया वह तर्क संगत नहीं था।
आरोप है कि डीएम के दबाव में ही भदोही कोतवाल व एसपी ने व्यक्तिगत व अपनी नाकामियों को छिपाने के साथ ही एक साजिश के तहत द्वेषपूर्ण तरीके से गुंडाएक्ट की रिपोर्ट प्रेषित की थी। डीएम की नोटिस पर विद्वान अधिवक्ता तेजबहादुर यादव याची की तरफ से शपथ पत्र के साथ 4 अप्रैल को जवाब दाखिल की और दलीलें भी दी, लेकिन सुनवाई न करते हुए व साक्ष्य प्रस्तुत करने का पर्याप्त अवसर न देते हुए डीएम ने 9 अप्रैल 2013 को छह माह तक के लिए न सिर्फ जिले की सीमा में प्रवेश न करने के आदेश दे दिया बल्कि याची की छवि खराब व बेइज्जत करने के लिए डुगडुगी बजवाकर अपमानित भी किया।
इस बाबत याची ने आयुक्त विंध्याचल मंडल के न्यायालय में अपील की, लेकिन लंबी तारीख देकर मामले को लटकाने का प्रयास भी किया गया। याची की पत्नी का आरोप है कि इस बीच पुलिस मकान मालिक से मिलकर बेदखल करने के लिए पहले झूठी रपट दर्ज की, बाद में मकान मालिक विनोद गुप्ता व उसके बेटे सुमित गुप्ता को पुलिस ने सह देकर मकान का ताला तोड़वाकर नगदी समेत विवाह के दौरान मिले जेवरात आदि लुटवा दी। इस मामले में याची की पत्नी रश्मि गांधी द्वारा कोतवाल व एसपी से मिलकर तहरीर भी दी गई, फिर भी रपट नहीं लिखी गयी।
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