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इंटरनेट और सोशल साइट्स का इस्तेमाल करने के लिए अपने बारे में गलत सूचना देना दंडनीय अपराध है। बच्चों के नाम पर फर्ज़ी सूचना देने वाले अभिभावक भी सज़ा के दायरे में आते हैं। भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (IT) क़ानून और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर दो साल की और धोखेबाज़ी का उद्देश्य सिद्ध होने पर अधिकतम रात साल के कारावास की सज़ा का प्रावधान है।
तेज़ी से विस्तार ले रही इंटरनेट की दुनिया में कहीं आप नियमों का उलंघन तो नहीं कर रहे हैं..?
इंटरनेट पर अपने बारे में झूठी जानकारी देना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है, जिसके लिए भारतीय क़ानून के तहत जेल जाना पद सकता है। सोशल साइट्स पर अपने नाम, पता और उम्र जैसी बातों की गलत जानकारी देना दंडनीय अपराध माना गया है। विधि विशेषज्ञों के अनुसार गलत सूचना देकर सोशल साईट्स पर अकाउंट बनाना सीधे तौर पर आईटी एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत दंडनीय है। यदि बच्चे फर्ज़ी अकाउंट हैं तो वे तो न्यायिक प्रक्रिया के दायरे में आते ही हैं। यदि अभिभावक बच्चों के बारे में गलत सूचना देते हैं तो, वे भी आईपीसी की धाराओं के तहत सज़ा के दायरे में आते हैं...!
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