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मेधा ने कहा, ‘आगामी लोकसभा चुनावों में प्रदेश में तीसरी शक्ति के रूप में आप के उदय की पूरी संभावनाएं हैं। वैसे फिलहाल यह आंकना मुश्किल है कि यह नवोदित पार्टी चुनावी परिदृश्य में कितनी जगह बना पायेगी। लेकिन शराब, पैसे और जाति, धर्म के आधार पर राजनीति करने वाले दलों से अब लोग किनारा करना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘प्रदेश के मतदाताओं में भाजपा और कांग्रेस को लेकर काफी निराशा है। लेकिन जब उन्हें कोई विकल्प दिखायी नहीं देता, तो उनका चुनावी रुझान इन्हीं दो दलों की ओर उमड़ता दिखायी देता है। हमारा मानना है कि आप मतदाताओं को बेहतर विकल्प दे सकती है।’
जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) की नेता ने बताया कि इस समूह ने आप को ‘सक्रिय समर्थन’ देने का फैसला किया है। एनएपीएम से जुड़े कुछ नेता मध्य प्रदेश और देश के दूसरे राज्यों में आगामी लोकसभा चुनाव भी लड़ सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘देश की जनता राजनीतिक खोखलेपन को लेकर उद्विग्न है। आप ने आम लोगों को इस उद्विगनता को व्यक्त करने का जरिया मुहैया कराया है।’
नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख ने एक सवाल पर स्पष्ट किया कि उन्होंने हालांकि अभी औपचारिक तौर पर आप की सदस्यता नहीं ली है। लेकिन आगामी लोकसभा चुनावों में आप के टिकट पर उम्मीदवारी का विकल्प खुला रखा है। उन्होंने नामों का खुलासा किये बगैर बताया कि इंदौर, खंडवा, खरगोन, बड़वानी, छिंदवाड़ा, बैतूल और हरदा समेत सूबे के कम से कम 10 जिलों में जन आंदोलनों के नये-पुराने नेता आप के टिकट पर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं। बहरहाल, प्रदेश में आप का संगठन फिलहाल दूसरे दलों की तुलना में मजबूत दिखायी नहीं देता। इस बारे में पूछे जाने पर मेधा ने कहा, ‘आप एक ऐसी पार्टी है, जो अभी आकार ले ही रही है। जो पार्टियां जन आंदोलनों के कारण जन्म लेती हैं, उन्हें शुरूआत में चुनौतीपूर्ण दौर से गुजरना ही पड़ता है।’ हालांकि, 59 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, ‘आगामी लोकसभा चुनावों के लिये आम आदमी पार्टी को अपने प्रत्याशियों का चयन अनुशासित पद्धति से करना चाहिये। टिकट वितरण की इस प्रक्रिया में कोई दुराग्रह या हस्तक्षेप नहीं होना चाहिये। वरना दूसरे दलों और आप में भला क्या फर्क रह जायेगा।’
इस बीच, नर्मदा बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ नेता आलोक अग्रवाल ने पुष्टि की कि उन्होंने मध्य प्रदेश के खंडवा लोकसभा क्षेत्र से आप के टिकट की औपचारिक दावेदारी पेश कर दी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव इस क्षेत्र की लोकसभा में नुमाइंदगी करते हैं। अग्रवाल ने कहा, ‘पुराने राजनीतिक दलों को आप की वजह से ही जनता के बुनियादी मुद्दों की ओर ध्यान देने पर मजबूर होना पड़ा है। हमारे लिये यह बात चुनावी हार, जीत से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।’
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