विदेशी मशीनों के दम पर ही खड़ा हुआ स्वदेशी आंदोलन: आचार्य बालकृष्ण
पतंजलि आयुर्वेद लि. के सीईओ आचार्य बालकृष्ण।
हरिद्वार. हरिद्वार का पतंजलि योगपीठ। रात के 7 बजे हैं। बड़े-से कमरे में सामने जो शख्स बैठा है, उसका नाम फोर्ब्स की 100 भारतीय धनकुबेरों की लिस्ट में शुमार है, यकीन नहीं होता। वजह, उनका पहनावा। उन्होंने साधारण-सा कुर्ता और लुंगी पहनी हुई है। चेहरे पर भी सरलता और सहजता। बर्ताव में आत्मीयता। अपने बाल सखा बाबा रामदेव से अलग उनका धीर-गंभीर और संकोची व्यक्तित्व है। पेड़-पौधों, जड़ी-बूटियों को लेकर उनमें जूनून है। वह 'पतंजलि आयुर्वेद लि.' के सीईओ हैं। इसके 97% शेयरों के मालिक हैं। इनकी कंपनी ने आयुर्वेद और स्वदेशी के नारे के दम पर रोजमर्रा की चीजों के बाजार में धूम मचा दी है। एकअनुमान के मुताबिक, वह 25,000 करोड़ रुपये की जायदाद के मालिक हैं। इन्हीं आचार्य बालकृष्ण से हाल में राजेश मित्तल और अमित मिश्रा ने बात की। पेश हैं खास अंश...
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देश के सबसे अमीर लोगों में शुमार होकर कैसा महसूस कर रहे हैं?
बालकृष्ण: (अपनी धूल भरी चप्पलों को दिखाते हुए) इन्हें देख कर बताइए कि कैसा महसूस कर रहा होऊंगा। किसी लिस्ट में शामिल कर लेने से मुझमें कोई बदलाव नहीं आ सकता। मैं पहले जैसा था, अब भी वैसा हूं। रहता भी पहले की तरह हूं और कपड़े भी पहले ही तरह ही पहनता हूं। आपको एक और बात बताऊं? मैंने जो कपड़े पहन रखे हैं, वे भी मेरा कोई परिचित ही सिला कर दे देता है।
तो फिर आपको धनकुबेरों की लिस्ट में शामिल कैसे कर लिया गया?
बालकृष्ण: यह तो मेरी भी समझ से बाहर है। मेरी जानकारी के मुताबिक ऐसी लिस्ट में किसी भी अनलिस्टेड कंपनी को शामिल नहीं किया जाता। अगर इसके सकारात्मक पहलू की बात करें तो यह गौरव का विषय है कि एक अनलिस्टेड कंपनी को इतना ताकतवर समझा गया कि उसे इस लिस्ट का हिस्सा बनाया गया। इसके पीछे की सबसे बड़ी ताकत वे आम लोग हैं जो इस कंपनी के प्रॉडक्ट्स पर, उनकी शुद्धता पर भरोसा करते हैं।
साभार - नव भारत टाइम्स
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