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डकैत फक्कड़ के साथ बीहड़ में दहशत कायम करने वाली कुसुमा नाइन आज पूरी तरह से बदल चुकी है। कुसुमा के बारे में कहा जाता है कि वह जिंदा आदमी की आंखें निकाल लेती थी। लेकिन अब उसने जुर्म का रास्त छोड़ दिया है। फिलहाल, वह कानपु जेल में बंद है और अपने जुर्म की सजा काट रही है। कानून ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कुसुमा पर कानपुर शहर और कानपुर देहात कोर्ट में 11 मुकदमे थे। इनमें से ज्यादातर छूट चुके हैं।
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कानपुर जेल में वह पूरे समय पूजा-पाठ में लगी रहती है। जेल में ही थोड़ा-बहुत पढ़ना-लिखना सीखा है। वह रजिस्टर पर राम-राम लिखती है। कुसुमा नाइन हमेशा साथी बंदियों को समझाती रहती है कि भगवान ने प्रायश्चित का मौका दिया है इसे जाया न करें। जेल प्रशासन के मुताबिक कुसुमा को एक मुकदमे में उम्रकैद की सजा हुई है, जिसकी अपील उसने हाईकोर्ट में कर रखी है।
जिला जेल में एंजेल्स क्लब और ऑल इंडिया वूमेन डेवलपमेंट एंड ट्रेनिंग सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में महिला दिवस पर डकैत कुसुमा नाइन को साथी बंदियों से सौहार्दपूर्ण व्यवहार और अच्छे चालन के लिए शांति अवार्ड दिया गया। अन्य महिला बंदियों को भी सम्मानित किया गया। संस्थाओं ने महिला बैरक को एक एलईडी टीवी भी दिया।
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