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घोटालेबाज इनसे खौफ खाते हैं। इनके 10 रुपये से सरकार को बड़े से बड़ा फैसला बदलना पड़ गया। कई घोटालेबाज अधिकारियों को जेल तक भेजना पड़ा गया। ये खौफ है आरटीआइ का।...
10 रुपये और जागरुकता की अहमियत क्या है, पढ़ो!आपका 10 रुपये का नोट बड़े काम का है। बड़े से बड़ा घोटाला हो या फिर कोई बड़ा घोटालेबाज अफसर, कर्मचारी। हर कोई खौफ खाएगा। बस आपको करना होगा ये। फिर देखिए 10 रुपये से लगाई गई आरटीआइ से किस तरह का बदलाव आता है।
इन आरटीआई कार्यकर्ता का नाम है एचसी अरोड़ा। उम्र 66 वर्ष 5 महीने। ये किसी सरकारी कार्यालय में पहुंच जाते हैं तो इनके नाम से ही घोटालेबाज सहम जाते हैं। दरअसल, इन्होंने आरटीआइ को ऐसा हथियार बनाया कि हरियाणा ही नहीं, चंडीगढ़ और पंजाब के भी बड़े घोटाले पकड़े गए। आरटीआइ से मिले सुबूतों पर जब राज्यों सरकारों ने कार्रवाई नहीं की तो अंबाला के एडवोकेट एचसी अरोड़ा हाईकोर्ट पहुंच गए। जनहित याचिका के बाद आखिरकार सरकारों को फैसले बदलने पड़े। इनकी ही याचिका की वजह से हरियाणा और पंजाब सरकार को छह सौ अधिकारियों-कर्मचारियों को बर्खास्त करना पड़ा।
#हरिचंद_अरोड़ा ने आरटीआइ के माध्यम से हरियाणा और पंजाब विजिलेंस से ब्योरा एकत्र किया। पूछा कि इन राज्यों में कितने कर्मी या अधिकारियों को भ्रष्टाचार के मुकदमे में सजा हो रखी है। मौजूदा स्टेट्स क्या है। चौंकाने वाले तथ्य सामने आए कि पंजाब पुलिस में 6 हत्या के दोषी थे। इसके बावजूद उनकी नौकरी बरकरार चल रही थी।
अपील को ढाल बनाकर बचा रखी थी भ्रष्टाचारियों ने नौकरी।
हरियाणा में भी पुलिस अधिकारी, कुछ डॉक्टर, हेड मास्टर्स, एसडीओ, अधीक्षण अभियंता और भ्रष्ट तहसीलदार कुर्सी संभाले हुए थे। इनमें छह डीएसपी रैंक के अधिकारी भी शामिल थे। कानून यह था कि भ्रष्टाचार के मुकदमे में सजा होने के बाद नौकरी में नहीं रहेंगे। इन भ्रष्टाचारियों ने हाई कोर्ट में अपील को ढाल बनाकर नौकरी बचा रखी थी।
जनहित याचिका दायर की छह सौ अधिकारी बर्खास्त।
अरोड़ा ने आरटीआइ में मिली जानकारी पर हाई कोर्ट में पब्लिक इंटरस्ट लिटिगेशन (#PIL) दायर की तो करीब छह सौ कर्मी व अधिकारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। इसके अलावा एसिड अटैक पीडि़तों का मुफ्त इलाज और मुआवजे की आवाज उठाई तो कानून बन गए। अब अटैक पीडि़तों का मुफ्त इलाज और मुआवजे का प्रावधान है। यहां तक की आठ हजार रुपये पेंशन के रूप में दिए जा रहे हैं।
एक #आरटीआई से चार महीने में थानों में शौचालय बने
इसके अलावा पुलिस थानों में महिला पुलिस अफसरों एवं मुलाजिमों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था न होने का तथ्य आरटीआइ में उजागर होने के बाद अरोड़ा की जनहित याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने गृह विभाग और पुलिस महानिदेशक को चार महीने में सभी थानों में अलग से महिला शौचालय बनाने का निर्देश जारी कर दिया।
तीन महीने तक चाइनीज डोरे में लग गई थी रोक
करंट आने व काटने की क्षमता रखने वाली चाइनीज डोर का मामला भी हाई कोर्ट पहुंचाने वाले #एचसी_अरोड़ा ही थे। इसके बाद हरियाणा ने सभी पुलिस कमिश्नरों, आयुक्तों व जिला मजिस्ट्रेटों को धारा-144 की शक्तियों का इस्तेमाल कर तीन महीने की अवधि के लिए चाइनीज डोर पर रोक लगाने के लिए कहा गया था।
अफसरशाही को किया चैलेंज
नीली-लाल बत्ती के उल्लंघन का मामला भी अरोड़ा ने हाई कोर्ट तक पहुंचाया। हाई कोर्ट ने #अफसरशाही को तलब कर दोनों राज्यों को निर्देश जारी किए। लालबत्ती लगाने वाले एक डीआरएम को माफी तक मांगनी पड़ी थी। इनकी #पीआईएल के बाद ही राजकीय स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय, कमजोर स्कूलों को गिराने के निर्देश जारी हुए। पंजाब में जमीन अधिग्रहण के मामले में जालंधर के एक आइएएस अफसर ने अपने हिसाब से जमीन के रेट तय करते हुए किसानों और नेशनल हाईवे अथॉरिटी को राशि जमा कराने के निर्देश दिए। किसानों ने करीब तीन करोड़ रुपये जमा करा दिए, जबकि नेशनल हाईवे अथॉरिटी इसके अलावा लड़ाई लड़ता रहा। रुपये जमा नहीं कराए। अरोड़ा ने हाई कोर्ट में कहा कि अफसर इस तरह रुपये जमा नहीं हो सकते। तब कोर्ट ने रिकवरी कराई।
यह जंग अभी जारी है।
1- भ्रष्टाचार व अन्य मामलों में दोषी विधायकों और पूर्व मंत्रियों को दी जा रही पेंशन को रोकने के लिए जनहित याचिका दायर कर रखी है। पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला, पूर्व सांसद अजय चौटाला, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सतबीर सिंह कादियान और अन्य दोषी ठहराए गए हैं।
2- पंजाब के सरकारी स्कूलों के बच्चों को वर्दी के लिए अनुदान जारी करने के लिए जनहित याचिका को हाई कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है।
3- संविधान जातिवाद मुक्त फिर एफआइआर में आरोपित की जाति क्यों दर्ज।
4- सीएम सहित अन्य मंत्री, पूर्व मंत्री, आइएएस और आइपीएस क्यों ले रहे सब्सिडी का लाभ। सब्सिडी की जरूरत गरीब किसानों को है, जबकि वर्तमान में मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्री, पूर्व मंत्री, आईएएस और आईपीएस भी सब्सिडी का लाभ ले रहे हैं। हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को जमकर फटकार लगाई थी। इस मामले में कानूनी लड़ाई जारी है।
एचसी अरोड़ा ने सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान चलाकर सरकारों को जगाया। करीब सवा चार सौ जनहित याचिकाएं दायर की।
उन्हे कई बार केस वापस लेने की भी धमकियां मिली, उन्होंने कोर्ट को सूचित कर दिया। अदालत ने चंडीगढ़ पुलिस को आदेश दिया कि जब भी वह पंजाब जाएंगे, उन्हें सुरक्षा मुहैया करानी होगी। कभी घबराए नही। जिन्होंने गलत किया है, उन्हें डरना चाहिए। वह कभी पीछे हटते। चाहे कितने ही प्रलोभन क्यों न दिए जाएं। यही वजह है कि डीएसपी स्तर के अफसर को नौकरी से हाथ धोना पड़ा और पंजाब के आइएएस से रिकवरी हो सकी।
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