भोपाल । मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज सम्पन्न मंत्रि - परिषद की बैठक में गैर शासकीय संस्थाओं को विभिन्न प्रयोजनों के लिये भूमि आवंटित करने की सुस्पष्ट नीति को मंजूरी दी गई।
भारत सरकार एवं राज्य सरकार के विभिन्न विभागों , उपक्रमों , मंडी बोर्ड , मंडी समितियों , मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल , प्राधिकरण , भारत सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालय , शासकीय शैक्षणिक संस्थाओं एवं अन्य शासकीय संस्थाओं तथा स्थानीय निकायों आदि को भूमि उपलब्ध करवाने के मामलों में प्रक्रिया में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
औद्योगिक विकास केन्द्रों की स्थापना के लिये जिला कलेक्टर अपने स्तर से ही उद्योग विभाग को भूमि हस्तांतरित करेंगे।
औद्योगिक विकास केन्द्रों के बाहर भूमि आवंटन के मामलों में औद्योगिक संस्था द्वारा उद्योग विभाग में भूमि आवंटन के लिये आवेदन किया जायेगा। उद्योग विभाग आवेदन का परीक्षण और न्यूनतम आवश्यक भूमि का आकलन कर भूमि हस्तांतरण करने के लिये जिला कलेक्टर को मांग प्रस्तुत करेगा। कलेक्टर प्रकरण तैयार कर आयुक्त के माध्यम से प्रस्ताव राजस्व विभाग को भेजेंगे। राजस्व विभाग द्वारा उद्योग विभाग को भूमि हस्तांतरण की अनुमति दी जायेगी। भूमि हस्तांतरण के बाद उद्योग विभाग अपनी प्रचलित नीति के अनुसार आवेदक संस्था को भूमि लीज पर आवंटित करेगा।
ऊर्जा उत्पादन के लिये पावर प्लांट की स्थापना के लिये भी शासकीय भूमि का आवंटन किया जायेगा। ऐसे प्रकरणों में उद्यमी द्वारा ऊर्जा विभाग में भूमि आवंटन के लिये आवेदन प्रस्तुत किया जायेगा। ऊर्जा विभाग भूमि हस्तांतरण एवं आवंटन की शेष प्रक्रिया उपरोक्तानुसार करेगा।
राज्य के आर्थिक विकास के लिये निजी निवेश को आकर्षित करने के लिये लागू अन्य नीतियों यथा - उद्यानिकी नीति , पर्यटन नीति , गैर पारम्परिक ऊर्जा नीति आदि के अंतर्गत निजी परियोजनाओं के लिये भूमि आवंटन हेतु उद्यमी संबंधित विभाग को आवेदन करेगा। आवेदन का परीक्षण एवं भूमि हस्तांतरण तथा आवंटन की प्रक्रिया यथास्थिति उपरोक्तानुसार की जायेगी।
हस्तांतरित भूमि के प्रीमियम एवं भू - भाटक का निर्धारण तथा शर्त भंग एवं उद्योग स्थापित नहीं होने की दशा में भूमि की वापसी अथवा अन्य उपयोग के संबंध में संबंधित विभाग की नीति में विद्यमान प्रावधान अनुसार कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी।
कॉलोनाइजरों के लिये तीन विकल्प
मंत्रि - परिषद ने निर्णय लिया कि कॉलोनाइजरों को वर्तमान विधिक प्रावधानों के तहत अपनी आवासीय परियोजना में ईडब्ल्यूएस तथा एलआईजी के भूखंड / आवास उपलब्ध करवाने की अनिवार्यता से छूट नहीं दी जाये। अपरिहार्य स्थितियों में इसके बदले शहरों के नियोजित विकास के लिये प्रचलित विधिक प्रावधानों में संशोधन कर कॉलोनाइजरों को तीन विकल्प देने का निर्णय लिया गया। पहला विकल्प यह है कि वह निर्माणाधीन आवासीय परियोजना ( कॉलोनी / अपार्टमेंट / ग्रुप हाउसिंग ) में ही निर्धारित आकार एवं संख्या के ईडब्ल्यूएस तथा एलआईजी के भूखंड / आवास उपलब्ध करवायें। दूसरा विकल्प यह है कि उस नियोजन क्षेत्र , जिसमें कि प्रश्नाधीन आवासीय योजना प्रस्तावित है , में ईडब्ल्यूएस तथा एलआईजी के निर्धारित आकार एवं संख्या के आवास / भूखंड उपलब्ध करवायें। तीसरा विकल्प यह है कि जहाँ मास्टर प्लान के तहत छोटे प्लाट उपलब्ध करवाने की अनुमति नहीं , जहाँ छोटे प्लाट उपलब्ध नहीं है और जहाँ कालोनियाँ बहुत छोटी हैं , ऐसी स्थिति में कॉलोनाइजरों को ईडब्ल्यूएस तथा एलआईजी भवन / भूखंड की एवज में निर्धारित दर पर शैल्टर टैक्स का भुगतान करने का विकल्प दिया जा सकेगा।
कॉलोनाइजर को किन परिस्थिति में तथा किसी रीति के अनुसार उपरोक्त विकल्प उपलब्ध होंगे , इसका विस्तृत प्रावधान नियमों में किया जायेगा। मंत्रि - मंडलीय उप - समिति यह निश्चित करेगी कि किस आवासीय परियोजना में कितने ईडब्ल्यूएस / एलआईजी भूखंड / आवास रहेंगे , कहाँ कैसा विकल्प दिया जायेगा और इससे संबंधित अन्य निर्णय भी इस मंत्रि - मंडलीय उप - समिति द्वारा लिये जायेंगे।
इस मंत्रि - मंडलीय उप - समिति में नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री बाबूलाल गौर , आवास मंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा , पर्यावरण मंत्री श्री जयंत मलैया और वित्त मंत्री श्री राघवजी शामिल हैं।
अन्य निर्णय
मंत्रि - परिषद ने खांडसारी उद्योग के अनुरोध पर विचार कर यह निर्णय लिया कि चूँकि वर्ष 2007 तक कर निर्धारण प्रकरणों में कार्रवाई पूर्ण हो चुकी है , अत : 1 अक्टूबर 2003 से 31 मार्च 2006 तक खांडसारी पर देय वाणिज्यिक कर यथावत रहेगा। लेकिन इस अवधि में जिन व्यवसाइयों द्वारा कर जमा नहीं किया गया , उन पर ब्याज एवं शास्ति अधिरोपित नहीं की जायेगी। यह सुविधा 31 दिसंबर 2011 तक देय कर की राशि जमा करने पर ही उपलब्ध रहेगी।
मंत्रि - परिषद ने रीजनल वोकेशनल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट फॉर वूमेन , इंदौर के पक्ष में एम्पलाइज स्टेट इंश्योरेंस कारपोरशन द्वारा निष्पादित किये जाने वाले दान स्वरूप दी गई भूमि के दान - पत्र पर स्टाम्प शुल्क एवं पंजीयन फीस से छूट देने का निर्णय लिया। इसके फलस्वरूप राज्य शासन को एक करोड़ 51 लाख 55 हजार रूपय से ज्यादा की राजस्व हानि संभावित है , लेकिन इस संस्थान की स्थापना से प्रदेश के श्रमिकों को लाभ मिलेगा।
मंत्रि - परिषद ने जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री ( सिविल ) से अधीक्षण यंत्री ( सिविल ) के पद पर पदोन्नोति के लिये अर्हकारी सेवा में तीन वर्ष की शिथिलता देने का भी निर्णय लिया।
मंत्रि - परिषद ने मछली पालन विभाग के अधीनस्थ जिला कार्यालयों में 117 विभिन्न संवर्गों के रिक्त पदों को सीधी भर्ती से भरने की प्रक्रिया सामान्य प्रशासन / वित्त विभाग की सहमति प्राप्त कर पूरी करने का निर्णय लिया। विभाग में 336 पद स्वीकृत हैं। इनमें से बेकलॉग के मत्स्य निरीक्षक के 18 पद छोड़कर विभिन्न संवर्गों के सहायक मत्स्य अधिकारी , मत्स्य निरीक्षक , अनुसंधाता तथा सांख्यिकी लिपिक के 117 पद सीधी भर्ती से भरे जा सकेंगे। इससे शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा तथा मत्स्य - पालन से संबंधित योजनाओं का विकास होगा।
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