इंदौर समेत देश के 14 राज्यों के 125 से ज्यादा स्थानों पर फैले डीजी केबल नेटवर्क में करोड़ों रुपये की हेराफेरी का खुलासा हुआ है. घपले का मामला सामने आने के बाद कंपनी प्रबंधन ने शिकायत दर्ज कराई है, जिसके बाद मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम इस मामले की जांच शुरू कर दी है. मुंबई से तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है. इंदौर को अपने कब्जे में लेने के बाद प्रबंधन ने पूरे एमपी में 140 लोगों की छुट्टी कर दी है.
काफी दिनों से डीजी केबल प्रबंधन को इंदौर समेत मध्य प्रदेश के कई स्थानों से आर्थिक हेराफेरी की शिकायतें मिल रही थीं, जिसके बाद प्रबंधन ने इसकी प्रारंभिक जांच कराई. पुष्टि होने के बाद कंपनी के एमडी-सीईओ जगजीत सिंह कोहली ने मुंबई क्राइम ब्रांच में गड़बड़ी की शिकायत दर्ज कराई. तहकीकात के बाद क्राइम ब्रांच ने मुंबई से राजेश सोनी, तरेंद्र सिंह और सचिन धूपड़ को हिरासत में लिया, जबकि अन्य कई संदिग्ध अपनी गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए फरार हो गए. क्राइम टीम ने डीजी केबल इंदौर के सर्वेसर्वा महिपाल सिंह रात को मुंबई एयरपोर्ट पर पकड़ा तो वो लैपटॉप-सामान छोड़ कर भाग निकले.
इधर, कंपनी की एक टीम जब इंदौर पहुंची तो केबल के कुछ लोगों ने कलेक्टर तथा एसएसपी से इसकी शिकायत की, जिसके बाद तत्काल पुलिस मौके पर पहुंची. जब पुलिस को असलियत का पता चला तो वह बैरंग वापस लौट गई. इसके बाद टीम ने दस वरिष्ठों समेत 140 लोगों को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. अभी इस मामले की जांच जारी है. बताया जा रहा है कि यह घपला लगभग 28 करोड़ रुपये का है. इस पूरे घपले का सूत्रधार महिपाल सिंह रावत को बताया जा रहा है.
बताया जा रहा है कि ऑफ एडजस्टमेंट के नाम पर निकाली गई एक बड़ी धनराशि कभी कर्मचारियों को नहीं दी गई। केबल ऑपरेटरों की तनख्वाह दी गई. दूसरों के नाम पर खुद का केबल नेटवर्क खड़ा किया गया. हरीश चंद फतेहदानी द्वारा किए गए लेन देन की भी जांच की जा रही है. उल्लेखनीय है कि जीडी ग्रुप की कंपनी सेंट्रल इंडिया केबल प्राइवेट लिमिटेड ने इंदौर में 2007 में अपना काम शुरू किया. उसी समय से कर्मचारियों के पीएफ और ईएसआई के नाम पर 20 प्रतिशत रकम काट रही है, परन्तु कंपनी ने अपना नाम फाइनल नहीं किया था लिहाजा यह रकम अपने पास ही रख रही थी.
साभार - भड़ास4मीडिया
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