लिमटी खरे (अखिलेश दुबे/अय्यूब कुरैशी)
Present by : toc news internet channel
सिवनी। सीना ठोंककर सिवनी पुलिस के साथ मिलकर जिले भर में मोबाईल डाउनलोड करने वाले छोटे व्यापारियों के गले में फंदा डालने वाले स्टार कॉपीराईट प्रोटेक्शन की असलियत सामने आती जा रही है। स्टार कॉपीराईट के बारे में बताया जाता है कि इसके संचालकों की तलाश, राजस्थान पुलिस को शिद्दत से है।
राजस्थान की राजधानी जयपुर से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो, शैलेंद्र ने बताया कि जयपुर में रॉयल स्टार कॉपीराईट कंपनी के नाम से इसी तरह की धरपकड़ करने वाले गौरव सेंगर तथा सुरेंद्र कुमावत को राजस्थान पुलिस ढूंढ रही है। ये दोनों ही युवक अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर, मध्य प्रदेश पुलिस की आंख में धूल झोंककर मध्य प्रदेश के छोटे मंझौले व्यापारियों को लूटने का काम कर रहे हैं, वह भी ‘देशभक्ति जनसेवा‘ का नारा बुलंद करने वाली पुलिस को भरोसे में लेकर!
पुलिस बनी ठगों की सहयोगी!
मध्य प्रदेश के अनेक जिलों से मिली शिकायतों के अनुसार प्रदेश के कमोबेश हर जिले में जाकर स्टार कॉपी राईट्स प्रोटेक्शन के कथित जांच अधिकारी गौरव सेंगर, हेमराज पटेल, राम कृष्ण आदि द्वारा जिला पुलिस अधीक्षक को एक आवेदन देकर पायरेसी रोकने में पुलिस के सहयोग की दरकार रखी जाती रही है। पता नहीं प्रदेश तो क्या छत्तीसगढ़ के अनेक जिलों के जिला पुलिस अधीक्षकों के द्वारा बिना तहकीकात, पतासाजी,वेरीफिकेशन के कैसे इन भगोड़ों की बातों में आकर अपनी तैनाती वाले जिलों में पुलिस के अधिकारियों को इन फर्जी लोगों का साथ देने के आदेश अपने लेटरहेड और सील सिक्कों को लगाकर जारी कर दिए गए। इस तरह के अनेक पत्रों की छाया प्रति स्टार कॉपी राईट्स प्रोटेक्शन के अधिकारियों द्वारा गत माह सिवनी प्रवास के दौरान समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के कार्यालय में आकर दी गई थीं।
साल भर से फैला है जाल!
भोपाल के नारियल खेड़ा में तक्षशिला कॉलेज के पास दुकान नंबर 2 के प्रधान कार्यालय वाले स्टार कॉपीराईट प्रोटेक्शन के कारिंदों द्वारा अपने आप को अनेक म्यूजिक कंपनीज के साथ अनुबंध करने वाला बताया जाकर जिलों की पुलिस के साथ मिलकर न जानें कितने ही मोबाईल डाउनलोड करने वाले प्रतिष्ठानों पर छापा मारा जाकर, कुछ को छः से आठ हजार रूपए में एक साल के लिए डाउनलोड की अनुमति दी गई और कुछ के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध करवाए गए हैं।
दी जाती थी चेतावनी
इस संस्था द्वारा बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र के डाउनलोड की कार्यवाही करने पर संविधान 1957 कॉपीराईट एक्ट की धारा 51, 51 क, 63 और 63 क के तहत कार्यवाही का भय बताया जाकर 6 माह से तीन साल तक की सजा अथवा 50 हजार से तीन लाख रूपए तक के जुर्माने की बात अपने पंपलेट में कही जाती थी। वहीं दूसरी ओर अगर इस संस्था को छः से आठ हजार रूपए की राशि दिए जाने पर दुकानदारों को कानूनी अड़चनों से दूर रहकर अपना काम निर्विध्न करने की बात भी कही जाती रही है।
फर्म का था पंजीयन
स्टार कॉपी राईट प्रोटेक्शन के नाम पर फर्मों के रिजस्टार के पास 30 मई 2012 को पंजीयन नंबर 01/01/01/00073/12 से रजिस्टर्ड भी है। इतना ही नहीं इसके द्वारा मुहैया करवाए गए कागजात में सेंट्रल एक्साईज का प्रमाण पत्र भी संलग्न किया गया है।
ठगी का चल रहा गोरखधंधा
बताया जाता है कि कालर ट्यून्स को मोबाईल पर डाउनलोड करने वाले मोबाईल दुकानदारों को मध्य प्रदेश में एक गिरोह द्वारा कॉपीराईट एक्ट के तहत सुनियोजित षणयंत्र के तहत ठगा जा रहा है। आश्चर्य तो इस बात पर हो रहा है कि इस ठगी में एक साल से अधिक समय से मध्य प्रदेश की पुलिस भी इनका कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रही है।
कौन हैं सरगना?
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के जयपुर ब्यूरो ने बताया कि स्टारकॉपी राईट कंपनी के गौरव सेंगर और सुरेंद्र कुमावत जयपुर स्थित मुकेश मिश्रा की रॉयल स्टार कॉपी राईट्स कंपनी में कार्य करते थे। इसी दौरान इन दोनों ही कारिंदों पर अमानत में खयानत का आरोप लगा कि इन्होंने मुकेश मिश्रा से दो लाख रूपए हड़प लिए हैं। इस संबंध में जयपुर के महेश नगर थाना में शिकायत दर्ज है। इसके बाद जयपुर के बंग्रू थाना में कमलजीत नामक व्यक्ति द्वारा इन दोनों ही युवकों के विरूद्ध नकली सीडी के कारोबार की शिकायत दर्ज की गई। जैसे ही राजस्थान पुलिस का शिकंजा कसा, वैसे ही गौरव सेंगर और सुरेंद्र कुमावत का राजस्थान में रहना मुहाल होने लगा।
एमपी में फैलाया जाल
साई न्यूज के भोपाल ब्यूरो ने सूत्रों के हवाले से बताया कि राजस्थान से पलायन कर ये दोनों ही युवक भोपाल पहुंचे और वहां सर्वेयर की भर्ती आरंभ कर दी। इसके बाद प्रदेश के समस्त शहरों में जाकर दुकानों का सर्वे करवाया गया और सर्वेयर्स के माध्यम से ही इनके द्वारा उनके ही मोबाईल में रिंगटोन डाउनलोड करवाई गई। इसके बाद इन शातिर लोगों के द्वारा अपने आपको तीन सैकड़ा से अधिक संगीत कंपनियों के साथ टाईअप होने की बात कहकर दुकानदारों से छः से आठ हजार रूपए की राशि बतौर लाईसेंस मांगी गई।
इंदौर में खुला मामला
इसी बीच इंदौर में कालर टोन्स और रिंग टोन्स का एक विवाद सामने आया। इस विवाद में पता चला कि हंगामा नामक म्यूजिक कंपनी के साथ अपना टाईअप बता रही थी स्टार कॉपी राईट, जबकि हंगामा के असली टाईअप के बारे में दुकानदार को पता था। विवाद बढ़ा और मामला पुलिस तक पहुंच गया। पुलिस में इसकी प्राथमिकी दर्ज की गई है।
सिवनी में दी थी आमद
स्टार कॉपी राईट प्रोटेक्शन नाम की कंपनी द्वारा सिवनी में भी आकर छापामारी की गई थी। महीनों पहले की गई इस कार्यवाही से दुकानदार इसलिए डरे सहमे थे क्योंकि स्टार के कारिंदों के साथ पुलिस की वर्दी भी छापेमारी में जाती थी। दरअसल, स्टार वाले संबंधित थाने से सहयोग लेकर ही कार्यवाही करते थे। सिवनी में भी अनेक बार इनकी छापेमारी मंे विवाद हुए हैं। केवलारी में तो थाने के अंदर से ही स्टार द्वारा जप्त कंप्यूटर को ही उठा ले जाने की खबरें भी मिली थीं।
पुलिस की कार्यप्रणाली पर लगा प्रश्नचिन्ह
इस समूचे मामले में मध्य प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लग गए हैं। सिवनी में भी पुलिस के सहयोग से स्टार कॉपी राईट द्वारा छापेमारी की जाकर अनेक दुकानदारों से हजारों रूपए वसूले गए थे। प्रदेश भर में इस कंपनी का कारोबार करोड़ों रूपयों का बताया जा रहा है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के पास, इस कंपनी के कारिंदों के आवेदन पर अनेक जिलों के पुलिस अधीक्षकों के द्वारा अपने अधीनस्थों को इनके सहयोग के लिए लिखे गए पत्रों की छाया प्रति पत्र मौजूद हैं। ये पत्र असली हैं या जाली, यह बात तो पुलिस जाने पर गत दिनों संपन्न हुई पत्रकार वार्ता में इन पत्रों को मीडिया के सामने भी स्टार कॉपी राईट प्रोटेक्शन के कारिंदों द्वारा दिखाया गया था। इन छाया प्रतियों में अनेक प्राथमिकी की छाया प्रति भी संलग्न हैं, जिसमें पुलिस द्वारा अपनी प्राथमिकी में स्टार कॉपी राईट के कारिंदों के नाम के उल्लेख के साथ दुकानदारों के उपर प्राथमिकी दर्ज करने की बात कही गई है।
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