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K K MISHRA |
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भोपाल। कांग्रेस ने राज्यमंत्री हर्ष सिंह के बेटे पर पद का दुरुपयोग करके अपनी मां को 27 लाख रुपए का लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है। सोमवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में प्रदेश प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि राज्य मंत्री हर्षसिंह पुत्र विक्रमसिंह ने रामपुर बघेलान के वार्ड क्रमांक 8 में अपनी मां माधवी सिंह की भूमि नं. 834/1 अवैध रूप से क्रय कर स्थानीय संस्थान की निधि का दुरुपयोग कर वास्तविक कीमत से अधिक 27 लाख रुए का अनुचित भुगतान कराया है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रवक्ता केके मिश्रा ने आज सोमवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया है राज्य मंत्री हर्षसिंह पुत्र विक्रमसिंह ने रामपुर बघेलान के वार्ड क्रमांक 8 में अपनी ही ‘मां माधवी सिंह की भूमि नं. 834/1 अवैध रूप से क्रय कर स्थानीय संस्थान की निधि का दुरुपयोग कर वास्तविक कीमत से अधिक 27 लाख रूपयों का अनुचित भुगतान कराया है।
केके मिश्रा का आरोप है कि सतना जिले के उक्त ग्राम पंचायत रामपुर बघेलान में सतना-रीवा रोड पर बस स्टैण्ड स्थापित है। बस स्टैंड के मुख्य मार्ग से लगी 0.80 डेसीमल भूमि आराजी क्र. 826, रकबा 1.70 एकड़, 0.80 ए तत्कालीन जिला कलेक्टर द्वारा आदेश, दिनांक 1 मार्च 1969 को आवंटित की गई थी। इसमें यात्री प्रतिक्षालय व दुकानें दक्षिणी किनारे पर 5 फिट छोड़कर बनाई गईं थी। तथा उत्तर की ओर रोड को छोड़कर बस स्टैण्ड कायम था।
केके मिश्रा का आरोप है कि इस बस स्टैण्ड के विस्तार के लिए नगर परिषद अध्यक्ष विक्रम सिंह ने 22 मार्च 2016 को एक संकल्प पारित किया। इसके तहत कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार भूमि क्रय किया जाना उल्लेखित था। इस आवंटित भूमि के दक्षिण छोर से लगी माधवी सिंह के भू-स्वामित्व की जमीन खेत के रूप में थी। भूमि के अंश भाग उत्तर-दक्षिण 15 फिट, पूर्व-पश्चिम 182 फिट, दिनांक 20 जुलाई, 16 को नगर पंचायत ने ई-पंजीयन एमपी 348642016 ए 1436225 से रूपये 27 लाख 90 हजार 892 रूपये में क्रय कर ली। जबकि नगर परिषद को भूमि करने का अधिकार ही नहीं है।
केके मिश्रा का आरोप है कि यदि बस स्टैण्ड के विस्तार के लिए भूमि की आवश्यकता थी, तो अधिनियमानुसार भू-अर्जन की प्रक्रिया निर्धारित है। इसमें नगर परिषद की कोई भूमिका नहीं होती है। भू-अर्जन का अधिकार जिला कलेक्टर को ही होता है।
केके मिश्रा ने कहा कि यहां यह उल्लेख किया जाना प्रासांगिक है कि गाइड लाइन के अनुसार रोड से लगी भू-अर्जित भूमि की दर 11 हजार रूपये प्रति वर्गमीटर है। इसी दर से माधवी सिंह को उक्त बड़ी राशि का भुगतान नगर परिषद से चैक के माध्यम से किया गया है। जबकि क्रय की गई भूमि जहां पर स्थित है, गाइड लाइन के अनुसार उसकी कीमत 2600 रूपये प्रति वर्गमीटर है। यही नहीं बस स्टैण्ड में भूमि क्रय करने के बाद पुराने प्रतीक्षालय व दुकानों को हटाकर उसी भूमि पर दुकानों का निर्माण किया जा रहा है, जो तत्कालीन जिला कलेक्टर सतना द्वारा 1969 में आवंटित की गई थीं।
इस प्रकार माधवी सिंह से क्रय की गई भूमि की कोई भी उपयोगिता नहीं है। इसी प्रकार नगर परिषद के पक्ष में किए गए किसी भी अंतरण पर अधिनियम की धारा 102 के अंतर्गत स्टाम्प शुल्क में छूट नियत है, पर इस प्रकरण में 25,954/- रू. का स्टाम्प व्यय भी किया गया है, जो शासकीय निधि के दुरूपयोग की श्रेणी में आकर आरोपितों से वसूली योग्य है।
केके मिश्रा का कहना है कि इस मामले में दूसरी सबसे बड़ी विसंगति यह है कि जिन माधवी सिंह की भूमि क्रय की गई है, उसके संबंध में नगर परिषद के सदस्यों व आम जनता को गुमराह किया गया है। रोड से लगी जमीन जिसे बताया गया है उसके बाबत् पारित संकल्प, विभिन्न पत्राचारों, चेक दिये जाने की तिथि तक भूमि स्वामी का नाम, खसरा, रकबा नंबर कहीं भी नहीं दर्शाया गया है और ना ही कोई पटवारी नक्शा अथवा नजरी नक्शा लगाया गया, इसके पीछे कौन सी (ई)-मानदार पूर्ण मंशा जुड़ी हुई है, वह सार्वजनिक होना चाहिए।
केके मिश्रा का कहना है कि कांग्रेस पार्टी की मांग है कि राज्यमंत्री हर्ष सिंह के पुत्र विक्रम सिंह द्वारा अपनी ही मां माधवी सिंह को पद के दुरूपयोग के साथ किए गए आर्थिक भ्रष्टाचार को अमल में लाते हुए पहुंचाये गए अनुचित लाभ की शासन उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए। साथ ही दोषियों के विरुद्ध भी आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया जाए।