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नई दिल्ली.फाइनेंस मिनिस्ट्री ने भी नोटबंदी से जुड़े सवालों का जवाब नहीं दिया। एक आरटीआई में पूछा गया था कि क्या 8 नवंबर को नोटबंदी से पहले अरुण जेटली से सलाह ली गई थी? इस पर मिनिस्ट्री ने आरटीआई एक्ट में मिली छूट का हवाला देकर जानकारी पब्लिक करने से इनकार कर दिया। बता दें कि मोदी सरकार के 500/1000 के नोट बैन करने के फैसले से सीधे तौर पर जुड़े रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और पीएमओ ने भी जानकारी नहीं दी थी। क्या है मामला..
- न्यूज एजेंसी पीटीआई की ओर से आरटीआई के दाखिल की गई थी। जिसके जवाब में मिनिस्ट्री ने कहा, ''मांगी गई जानकारी अहम है। इससे जुड़ी जानकारी मौजूद है, लेकिन आरटीआई एक्ट के तहत इसका खुलासा नहीं किया जा सकता है।''
- मिनिस्ट्री ने इसके लिए सेक्शन 8(1)(A) के तहत मिली छूट का हवाला दिया है। इस सेक्शन में सरकार उन मुद्दों पर जानकारी से इनकार कर सकती है। जिनके पब्लिक होने से देश की एकता, अखंडता, सिक्युरिटी, कूटनीति, इकोनॉमिक मामलों और दूसरे देशों से रिश्तों पर असर पड़ता है।
- बता दें कि सूचना के अधिकार के जरिए देश का हर नागरिक पब्लिक अथॉरिटी से जुड़ी कोई भी जानकारी मांग सकता है।
क्या कहते हैं पूर्व सीआईसी?
- पूर्व सीआईसी शैलेष गांधी ने बताया, ''यह पब्लिक इंटरेस्ट का मामला लगता है। नियम है कि जब भी कोई अथॉरिटी जानकारी देने से इनकार करें तो उसे बताना पड़ता है कि क्यों इसे छूट के दायरे में रखा गया है।''
- वहीं, आरटीआई पर मिले पीएमओ और आरबीआई के जवाब पर पूर्व सीआईसी एएन तिवारी ने कहा, ''चूंकि इसके रिकॉर्ड मौजूद हैं। इसलिए यह आरटीआई एक्ट में आता है। आवेदक को जानकारी दी जा सकती है।''
- नियम के मुताबिक, पहली अपील में जानकारी नहीं मिलने पर आरटीआई के मामलों की टॉप बॉडी सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन में पिटीशन फाइल की जा सकती है।
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