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इंदौर. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य के. के. मिश्रा ने पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के दौरान नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना के नाम पर पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा जनता के साथ कि गई धार्मिक धोखाधड़ी की उच्चस्तरीय जांच और इस योजना के आड़ में हुए करोड़ों रु. के प्रामाणिक भ्रष्टाचार को लेकर श्री शिवराजसिंह सहित अन्य दोषियों के खिलाफ़ आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाने की मांग की है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि गत दिनों शनिश्चरी अमावस्या पर धर्मालुओं को कराए गए कीचड़ स्नान की घटना ने इस आरोप को प्रामाणिक स्वरूप दे दिया है। मिश्रा ने कहा कि श्री शिवराजसिंह ने इस योजना की आड़ में धर्म के नाम पर राजनैतिक व्यापार कर लोगों को ठगा है।इसमें करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ है,अपनी व्यक्तिगत ब्रांडिग के लिए लाखों रु.के विज्ञापनों के माध्यम से भी भ्रम फैलाया गया।यदि यह आरोप गलत हैं तो वे बताएं कि इस योजना में कुल कितना खर्च हुआ, नर्मदा का कितने गैलन पानी शिप्रा में पहुंचा, शिप्रा तट आज भी सूखे क्यों रहे,शिप्रा ड्रेनेज के पानी से दूषित क्यों हुई?
मिश्रा ने मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ से यह भी आग्रह किया कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष श्री अरुण यादव द्वारा गत वर्षों उज्जैन में सम्पन्न सिंहस्थ महाकुंभ में हुए 5000 करोड़ के भ्रष्टाचार के बाद पूर्व प्रभारी नेता प्रतिपक्ष,मौजूदा गृहमंत्री श्री बाला बच्चन के नेतृत्व में एक जांच कमेटी गठित की थी जिसमें वरिष्ठ विधायक सर्वश्री रामनिवास रावत,जीतू पटवारी,जयवर्धनसिंह सहित मैं स्वयं था।मौके पर कई बार जाकर कमेटी ने पार्टी संगठन को सौंपी अपनी जांच रिपोर्ट में सिंहस्थ व इस लिंक योजना में हुए भ्रष्टाचार का विभिन्न प्रमाणों के साथ उल्लेख किया है। शिप्रा में ड्रेनेज के पानी मिलने के वीडीओ भी साक्ष्य के रूप में उपलब्ध कराए हैं, जिन्हें आधार बनाकर दोषियों के खिलाफ़ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए।
मिश्रा ने मकर संक्रांति पर्व पर मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ की बिना किसी विज्ञापनों, राजनैतिक ब्रांडिग के व्यक्तिगत रुचि के बाद सिर्फ एक सप्ताह के भीतर श्रद्धालुओं के स्नान हेतु मां नर्मदा के पवित्र जल को क्षिप्रा नदी तक पहुंचाने पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि धर्म व धर्मालुओं के यह वास्तविक श्रद्धा स्तुत्य है।मिश्रा ने इस विषयक मुख्य सचिव श्री एस.आर.मोहंती की सक्रियता को भी सराहनीय बताते हुए कहा कि उन्होंने पूर्व दबंग,सक्रिय मुख्य सचिव श्री विजयसिंह की यादों को ताजा कर अपने कार्यकाल के मात्र 14 दिनों में ही प्रदेश को यह विश्वास दिला दिया है कि मुख्य सचिव सिर्फ सचिवालय की ही शोभा नहीं है!
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