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बैंकों से करीब 9 हजार करोड़ रुपये का लोन लेकर विदेश भाग चुके शराब कारोबारी विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण को ब्रिटेन सरकार ने मंजूरी दे दी है. अब माल्या को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है.
हालांकि, इस फैसले के खिलाफ माल्या के पास अपील करने के लिए 14 दिन का वक्त है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट करके कहा, "सारदा घोटालेबाजों के समर्थन में विपक्ष की रैली के बीच मोदी सरकार विजय माल्या को भारत लाने में एक और कदम आगे बढ़ गई है."
कोर्ट ने कहा था कि यह अभियोग राजनीति से प्रेरित है, इसका कोई सबूत नहीं है. द वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत की एम्मा अर्बथनॉट ने कहा था, "माल्या की पैरवी पर मीडिया का ज्यादा ध्यान होने के कारण संभावित प्रभाव की आलोचना को यह अदालत स्वीकार नहीं करती और यह भी कि इससे मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी."
अदालत ने कहा, "इस अदालत के पास यह पता लगाने के अपर्याप्त सबूत हैं कि उनकी सुनवाई एक सक्षम व निष्पक्ष अदालत द्वारा नहीं होगी."
माल्या के खिलाफ क्या है केस?
विजय माल्या मनी लॉन्ड्रिंग और लोन की रकम दूसरे कामों में खर्च करने के अलावा 9,000 करोड़ रुपये का लोन वापस न करने के मामले का सामना कर रहा है. माल्या फिलहाल लंदन में रह रहा है. वो अपने खिलाफ सीबीआई के लुकआउट नोटिस को कमजोर किए जाने का फायदा उठाते हुए मार्च 2016 में ब्रिटेन भाग गया था.
बता दें कि अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील मामले में क्रिश्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण के बाद विजय माल्या ने तुरंत ट्वीट कर पैसा लौटाने की बात कही थी. उन्होंने भारतीय बैंको को कर्ज चुकाने का ऑफर पेश किया था. उन्होंने अपने इस ट्वीट में जनता का सारा पैसा चुकाने की बात कही थी.
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