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साल्वेंट आइल के बाद ग्राम पंचायतो के ब्लासटींग के मामले को लेकर अब ग्राम पंचायतो के दरवाते पर दस्तक दे सकती हैं
बैतूल, जब पूरा देश क्रिकेट के जोश में होश खो चुका था तब ऐसे में चुपके से बैतूल आ पहुंची सीबीआई दिल्ली की टीम ने बैतूल जिले में सप्लाई कथित विस्फोटक सामग्री जिसमें साल्वेंट आइल की खरीद - फरोख्त को लेकर विभिन्न कार्यालयों के कागजो को खगालने के बाद कुछ उद्योगपतियों से पुछताछ करने में जुट गई। सीबीआई के निशाने पर अमेरिकी नागरिक की पंखा स्थित बंद पड़ी टायर फैक्टरी रही जिसमें वर्ष 2001 से लेकर 2004 के बीच विदेशो से आयतीत बेहद ज्वलनशील साल्वेंट आइल नेफ्था , विनायक जो कि विस्फोटक की श्रेणी में आता हैं ,उसे बिना लायसेंस के कथित मंगवाया गया जो कि फैक्टरी तक पहुंचा ही नहीं..? और गायब हो गया।
साल्वेंट आइल नेफ्था , विनायक की प्रकृति को ध्यान में रख कर इसका आम कारोबार नहीं किया जा सकता हैं। इसके लिए बकायदा एक्सप्लूसिव लायसेंस और जिला कलैक्टर की अनुज्ञप्ति लगती हैं। लेकिन अमेरिकी नागरिक द्वारा किसी प्रकार की अनुमति नही प्राप्त करके अपने पैसो एवं राजनैतिक प्रभाव के चलते बेहद ज्वलनशील विस्फोटक साल्वेंट आइल नेफ्था , विनायक को कागजो में ही मंगवा कर उसकी खपत तक दिखा दी गई लेकिन जब कागज उपलब्ध करवाने की बाते कहीं गई तो उक्त बैतूल वेयर वेल टायर फैक्टरी पंखा के बंद होने की कहानी सुना कर सीबीआई को गुमराह करने का प्रयास किया गया। बैतूल जिला प्रशासन ने मामले में सीबाीआई और महाराष्ट्र सरकार की सीआईडी के बैतूल पांव रखते ही यह कह कर अपने हाथ खड़े कर दिये कि हमारे पास कोई रिकार्ड नहीं हैं कि बैतूल जिले में किसी व्यक्ति या कंपनी द्वारा बीते दो दशक में साल्वेंट आइल नेफ्था , विनायक मंगवाया गया हैं। जिला प्रशासन के सूर में सूर मिलाते हुए बैतूल के भारत सरकार के सेलटैक्स विभाग एवं राज्य सरकार के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति तथा उद्योग विभाग ने उक्त विस्फोटक सामग्री के बैतूल आने के बारे में किसी भी प्रकार की कागजी कार्रवाही या पत्राचार से साफ इंकार कर दिया हैं। महाराष्ट्र के कोकण स्थित सोलाकी केमिकल कंपनी रत्नागिरी से कथित खरीदा गया साल्वेंट आइल नेफ्था , विनायक आइल बैतूल जिले के दोनो अंतराज्यीय चैक पोस्ट बेरियरो के रजिस्ट्ररो के पन्नो में भी दर्ज नहीं हैं। साल्वेंट आइल नेफ्था , विनायक के परिवहन के संदर्भ में उक्त प्रदार्थ को लेकर आने वाले वाहनो का बैतूल जिले की सीमा में स्थित गुदगांव , प्रभात पटट्न , चिचंडा तथा मुलताई के भी चेक पोस्ट बेरियरो के रजिस्ट्ररो को भी जांच में शामिल किया गया था लेकिन वहां पर भी कुछ भी हाथ नहीं लगा। पूरे मामले की जांच में महाराष्ट्र सीआईडी एवं दिल्ली सीबीआई की संयुक्त जांच टीम में बैतूल में दिन भर सैकड़ो दस्तावेजी कागजो के पन्नो को पलटती रही। दिल्ली सीबीआई के एक डीएसपी श्री बीएस झा ने विस्फोटक साल्वेंट ऑइल की खरीद-फरोख्त मामले की जांच करते हुए बैतूल पहुंचे। जहां उन्होंने तीन विभागों सहित एक उद्योगपति के प्रतिनिधि से जानकारी ली और ब्यान दर्ज किए। जिला खाद्य अधिकारी आरएस ठाकुर ने बताया कि विदेशों से आयतित साल्वेंट ऑइल नेफ्था, विनायक जो कि विस्फोटक की श्रेणी में आता है उसके संबंध में जानकारी मांगी गई। उन्होंने बताया कि बैतूल टॉयर द्वारा वर्ष 2001 से 04 तक उक्त आइल की खरीदी के लिए नियमानुसार कोई लाइसेंस नहीं लिया गया था और ऑइल के संबंध में क्या जानकारियां भी नही दी गई थी। इसके संबंध में घंटो तक दर्जनो लोगो से पूछताछ की गई। नई दिल्ली के सीबीआई डीएसपी बीएस झा को जिला प्रशासन एवं अन्य माध्यमो से प्राप्त जानकारी अनुसार बैतूल जिले में साल्वेंट आइल नेफ्था , विनायक जैसे ज्वलनशील प्रदार्थ के लिए किसी भी प्रकार का लाइसेंस या अनुमति पत्रक नहीं प्राप्त किया गया था। सीबीआई डीएसपी श्री झा ने सेलटैक्स विभाग और उद्योग विभाग में भी इसी संबंध में पड़ताल की है। बैतूल टॉयर फैक्ट्री के कथित संचालक अमेरिकी नागरिक ने सीबीआई को बताया कि सोलाकी कैमिकल महाराष्ट्र से की गई खरीदा गया था लेकिन जिला प्रशासन से उनके द्वारा कोई अनुमति पत्रक या लायसेंस प्राप्त करने के संदर्भ में कोई दस्तावेज या प्रमाण उपलब्ध नहीं करवाये गए। पूरे मामले की बरीकी से जांच करने बैतूल पहुंची सीबीआई द्वारा जिले के अन्य उद्योगपतियों से जानकारी एकत्र की है। जिसमें उन्हें भी जानकारी के लिए बुलाया था। उनके प्रतिनिधि ने बतौर गवाह उपस्थित होकर सोलाकी कैमिकल से की गई खरीदी की जानकारी व दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं लेकिन सबसे मजेदार बता तो यह हैं कि जिन तारीखो में बैतूल महाराष्ट्र की सोलाकी केमिकल कंपनी द्वारा बैतूल को कथित तौर पर भेजे गए विस्फोटक सामग्री को परिवहन करने वाले वाहनो की अंतरराज्यीय सीमा चौकी के परिवहन आवक - जावक पंजीयन रजिस्ट्रर में कोई जिक्र तक नहीं हैं और जिला प्रशासन भी अनुमति एवं लायसेंस तक नहीं लिया गया। पूरे मामले का दिलचस्प पहलू यह रहा कि जिस साल्वेंट आइल नेफ्था , विनायक नामक अत्यंत ज्वलनशील प्रदार्थ का उपयोग विस्फोटक गतिविधियों में आतंकवादी और देश विरोधी ताकते करती रहती हैं। बैतूल जिले में वैसे भी 558 ग्राम पंचायतो में आई विस्फोटक सामग्री जिसका उपयोग कपिलधारा के कूप निमार्ण में ब्लास्टींग के कार्यो में किया गया हैं उसके भी दस्तावेज ग्राम पंचायतो के पास नहीं हैं। जिले की 558 ग्राम पंचायतो में करोड़ो रूपए की विस्फोटक सामग्री की भी अनुमति एवं लायसेंस के संदर्भ में जिला कलैक्टर द्वारा उपलब्ध करवाये गए दस्तावेजो से मेल नहीं खाते हैं। सीबीआई को बैतूल जिले की कपिलधारा के कूपो के निमार्ण में वर्ष 2006 से लेकर आज दिनांक तक की गई गई सप्लाई एवं सप्लायरो के पास आवक एवं खपत के मेल नहीं खाते दस्तावेजो को भी एक जागरूक पत्रकार एवं आरआईटी कार्यकत्र्ता द्वारा सौपे गए। सीबाीआई के नई दिल्ली स्थित पुलिस अधिक्षक ने इस संदर्भ में जानकारी दी कि बैतूल जिले में वर्ष 2001 से लेकर आज दिनांक तक कथित आपूर्ति की गई प्रत्येक विस्फोटक सामग्री को जांच के दायरे में लिया जाएगा। देश हित के साथ किसी भी प्रकार का सौदा और सौदेबाजो को बख्शा नहीं जाएगा। बैतूल जिले की विस्फोटक सामग्री के आतंकवादियो से कहीं तार तो नहीं जुड़ें हैं इस मामले को लेकर बैतूल आई सीबीआई अब ग्राम पंचायतो की दहलीज पर भी पांव रख सकती हैं। कभी भी ग्राम पंचायतो की दहलीज पर दस्तक देने वाली सीबीआई साल्वेंट आइल नेफ्था , विनायक जैसे विस्फोटक सामग्री के मामले में बेहद संवेदनशील हैं। अब बैतूल जिले के सरपंचो , सचिवो तथा विस्फोटक सामग्री के सप्लायरों की गर्दन सीबीआई के हाथो में हो जाएगी क्योकि वह पुछ पकड़ चुकी हैं। |
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