बैतूल, सरदार सुखदर्शन सिंह, : समाज मे पुलिस की व्यवस्था शायद इसलिए की गई है कि समाज में बढ़ रही अपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके और सभ्य नागरिक चैन से जी सके लेकिन इन दिनों दबंग पुलिस ने समाज में रहने वाले आम नागरिक का ही जीना मुहाल कर दिया है। आमला के स्थानीय नागरिकों ने पुलिस द्वारा हर वो काम जो अवैध है उसमें लिप्त होना बताया। आज आमला ब्लाक गुंडागर्दी, जुंआ, सट्टा, पेट्रोलियम पदार्थ की सरेआम कालाबाजारी, महुए की शराब, थाने में बलात्कार जैसे कामो में अब तक तो नंबर वन पर है किंतु आमला पुलिस की नंबर वन की श्रृंखला से भी उपर जाने की होड़ दिखाई देने लगी है। जिले में ब्लाक का नाम रोशन करने वाली आमला पुलिस अब मजलूम महिलाओं को डराने धमकाने व अपशब्द कहने से भी बाज नहीं आ रही है। अनावश्यक रूप से रसुकदार लोगों की चमचागिरी कर अपने धनदाता के कहने पर गरीब महिला की शिकायत को दरकिनार कर उल्टा उसी पर रौब जमाने वाले पुलिस अधिकारी का ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जब रक्षक ही भक्षक बन बैठे आम नागरिक किसकी शरण में खुद की सुरक्षा की गुहार लगाए ऐसी ही विकट समस्या से इन दिनों आमला नगर का एक परिवार जूझ रहा है। जो बहरहाल पुलिस और कुछ समाज के दबंगों के आंतक के बीच खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। आमला पुलिस के मुखिया की धमकियों से तंग परिवार ने एसपी से शिकायत कर सुरक्षा और दोषियों पर कार्यवाही की मांग की है। तीस साल से आमला गुरुद्वारे में ग्रंथी की ईमानदारी से नौकरी करने वाले गुरुचरण के लिए उसकी यही नौकरी जान की दुश्मन बन गई है। यह नौकरी ही उसके परिवार के भरण पोषण का एकमात्र सहारा भी है अब उसकी स्थिति यह हो गई है कि वह नौकरी छोड़ भी नहीं सकता और कर भी नहीं सकता। आमला गुरुद्वारे के पूर्व अध्यक्ष द्वारा उसके और उसके परिवार के साथ की जा रही ज्यादती से हलाकान गुरुचरण की मदद आमला पुलिस प्रशासन भी नहीं कर रहा उल्टे आमला टीआई द्वारा उसे ही धमकाया जा रहा है कि वह जल्दी से यह नौकरी छोड़ दे नहीं तो उसे थाने में बंद कर दिया जाएगा। परेशान एवं हृदय रोग से पीडि़त गुरुचरण सिंघ कौर की पत्नी सुरिन्दर कौर ने एसपी आरएल प्रजापति से आरोपियों की लिखित शिकायत कर अपने परिवार के लिए अभयदान मांगा है। सुरिन्दर कौर(45) ने एक लिखित शिकायत में बताया कि उसके पति गुरुचरण सिंघ कौर तीस वर्षों से गुरुद्वारा भवन में ग्रंथी के पद पर कार्यरत है और वे हृदय रोग से पीडि़त है, जिनकी शल्य चिकित्सा समुदाय के लोगों के सहयोग से कराई गई है। हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, भरण पोषण का एकमात्र सहारा गुरूद्वार ही है। उन्होंने बताया कि मेरे पति गुरूद्वारा में ग्रंथी (पंडित) है जिन्हें गुरूद्वारा संस्था से भरण पोषण के लिए मासिक भुगतान के रूप में तीन हजार रूपये प्रतिमाह मिलता है, लेकिन गुरूद्वारा के पूर्व अध्यक्ष चाहते है कि हम गुरूद्वारा छोड़ कर चले जाए इसलिए वे हमे अन्य लोगों के साथ मिलकर प्रताडि़त कर रहे है वहीं उन्होंने पिछले पांच माह से संस्था द्वारा किया जाने वाला मासिक भुगतान भी रोक रखा है। और आए दिन कुछ लोगों को लेकर आते है और हमारे परिवार वालों को गालियां देते व डराते धमकाते है। जिस पर मेरे द्वारा आमला थाने में चरणजीत सिंह, बलजीत पाल, उमेश कुमार बक्षानी के खिलाफ 15 जनवरी 2011 को शिकायत दर्ज कराई लेकिन श्री घनघोरिया टीआई आमला द्वारा शिकायत दर्ज नहीं की गई। उल्टे इसकी शिकायत चरणजित पर 16 जनवरी को ये लोग शाम करीब 8-9 बजे गुरूद्वारा आए। मैं अपने घर का काम कर रही थी किं बंटी अरोरा नामक एक युवक आया और उसने मुझे यह कहकर बाहर बुलाया कि आपसे कुछ बाते करना है। गुरूद्वारे के बाहर सड़क पर लोग मौजूद थे कि मुझे घेर लिया और अपशब्द व गंदी-गंदी गालियां देते हुए मेरे साथ अश£ील हरकते करने लगे। इतने में मेरे पति वहां पर पहुंचे और हाथ जोड़ कर सभी से बोले कि गुरूद्वारे के सामने झगड़ा मत करो हम सब कुछ छोड़कर जैसा आप लोग चाहते है चले जाएंगे। इस पर चरणजीत सिंह पूर्व अध्यक्ष ने गाली गलौच करते हुए जोर का धक्का दिया जिससे मेरे पति नीचे गिर गए और उनके सीने में जोर का दर्द उठा तथा घबराहट शुरू हो गई। जिस पर मेरा लड़का रूपेन्द्रजीत सिंघ ने आकर उनको उठाया और घर ले जाने लगा। सभी लोग गाली गलौच करके जान से मार डालने की धमकी देकर जा रहे थे कि पुलिस थाना आमला प्रभारी श्री घनघोरिया जीप से मौके पर पहुंचे और मुझे रोककर बोले कि तुम तीन हजार रूपये महीने की नौकरी करते हो नौकर हो, गुरूद्वारा तुम्हारे बाप का है जिस पर कब्जा किए बैठे हो जल्दी से खाली कर दो नहीं तो रात में थाने में बंद करके मारेंगे। ऐसा आमला टीआई का कहना सिक्ख धर्म के अनुयायियों के लिए शर्मसार बात है कि उनके धर्मगुरू को धर्मस्थल छोडऩे के लिए विवश किया जा रहा है वहीं सिक्ख समुदाय के गुरू को टीआई द्वारा नौकर कहकर संबोधित करने का यह मामला धार्मिक तुल पकडऩे लगा है। जिस पर बैतूल के सिक्ख समूदाय के लोगों ने भत्र्सना की है। टीआई के इस रवैया से खासी नाराजगी भी जताई है। यह तो वह बात हुई कि पंडित से कहे कि तुम मंदिर जाना छोड़ दो, मुल्ला से मस्जिद व पादरी को चर्च जाने से मना करने की बात है इस प्रकार धार्मिक भावना व धर्म संप्रदाय के मामले में तथा एक महिला से अभद्र व्यवहार करने पर आमला टीआई के खिलाफ बैतूल सिक्ख समुदाय के लोगों में रोष है उन्होंने पुलिस अधीक्षक से इस मामले में सख्त कार्रवाई कर मामले की जांच की अपील की है। श्रीमति कौर ने बताया कि 30 साल से आमला गुरूद्वारे में ज्ञानी के पद पर कार्य संभाल रहे ज्ञानी गुरूचरण सिंह को डायबिटीज की बिमारी की वजह से उनकी आँखो में ब्लड उतर जाने की वजह से दिखाई देना बंद हो गया था। जिसके बाद उन्हें चैन्नई लेजाया गया जहां वे चैन्नई के गुरूद्वारे में ठहरे तथा तामिलनाडू के राज्यपाल सरदार सुरजितसिंग बरनाला इनके गांव के होने के नाते इन्होंने उनसे अपनी आर्थिक स्थिति का जिक्र किया तब चैन्नई में इनकी ऑखो का इलाज लगभग 2 लाख रूपये का खर्च के करवाया गया। वापस आमला आने के एक माह बाद ज्ञानी गुरूचरण सिंह को हार्ट अटैक आया जिस पर इन्हें उपचार के लिए बैतूल लाया गया। बैतूल में डॉ पंडाग्रे प्रायवेट क्लिीनिक में इन्हें भर्ती किया गया। जिसकी देखरेख बैतूल के सिक्ख संगत के सरदार सुखदर्शन सिंह, मंजीत सिंह, ज्ञानी प्रेमसिंह, ज्ञानी दीलीप सिंह ने की। वहीं डॉक्टर पंडाग्रे द्वारा इन्हें नागपुर रिफर किया जहां उनके इलाज का खर्च नागपुर-बैतूल के सिक्ख समुदाय द्वारा किया गया। जो आमला के तथाकथित प्रधान सरदार चरणजित सिंग अरोरा को नागवार गुजरी यहीं से ज्ञानी गुरूचरण सिंग की आफत शुरू हो गई। पहले तो इनकी गुरूद्वारा से मिलने वाली सैलेरी रोक ली गई। उसके बाद इन्हें गुरूद्वारा के काम से निकाल दिया गया। और फिर गुरूद्वारा भी इनसे खाली करवा लिया गया। अब किराए के मकान में यह परिवार रह रहा है वहां भी आमला के टीआई को इनके पीछे लगाकर परेशान करवाया जा रहा है। टीआई द्वारा इनके दोनो नाबालिग 10 वीं और 12 में पढऩे वाले बच्चो के नाम पर झूठे केस बना दिए गए है। और इनकी गिरफ्तारी को लेकर इन्हें ढूढा जा रहा है वहीं यह परिवार अपनी जान की सुरक्षा एवं टीआई के कहर से बचने 29 मार्च को पुलिस अधीक्षक के सामने जनसुनवाई में गुहार लगाने बैतूल आया था कि उनके द्वारा 15 जनवरी 11 को दी गई शिकायत टीआई द्वारा दर्ज न कर उल्टे इनके खिलाफ 16 जनवरी 11 को झूठा प्रकरण दर्ज कर लिया है। जिस पर एसपी द्वारा इस मामले की एसडीओपी जांच करवाने का आश्वासन भी दिया गया है। इस घटना के बार मेरे पति के सीने में दर्द उठ गया जिसे लेकर मै बैतूल जिला चिकित्सालय में उनका इलाज करवा रही हूॅ वहीं मुझे भी शुगर व बीपी की शिकायत है ऐसे में मुझे व मेरे पति के लिए मानसिक प्रताडऩा जानलेवा हो सकती है। साथ ही श्रीमति कौर द्वारा यह भी बताया गया कि मेरी शिकायत को आमला टीआई श्री घनघोरिया द्वारा दरकिनार कर उल्टा मुझे ही दोषी करार दे दिया गया है। वहीं आमला टीआई की प्रताडऩा दिन ब दिन बढ़ते जा रही है उन्होंने कहा कि यदि तुम यहां से जगह खाली करके नहीं गए तो किसी भी झूठे केस में तुम्हारे बच्चो को फसा दूंगा। और आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं करूंगा आमला छोड़कर तो तुम्हे जाना ही पड़ेगा क्योंकि मै तुम्हे यहां चैन से रहने नहीं दूंगा। इसके इस बात की शिकायत श्रीमति कौर द्वारा जिले के प्रवास पर आए प्रभारी मंत्री से भी की तब प्रभारी मंत्री सरताज सिंह ने टीआई को कहा कि क्यों परेशान कर रहे इन्हें परेशान करना बंद करो इसके बावजूद टीआई घनघोरिया द्वारा वहीं उक्त मामले की शिकायत पीडि़ता सुरिन्द्र कौर द्वारा महिला आयोग भोपाल, बैतूल एसपी सहित अन्य कई जगहों पर इस बारे में आवेदन भी दिया किंतु इसका कोई भी प्रतिसाद दिखाई नहीं दे रहा है। श्रीमति सुरिन्दर कौर ने बताया कि हम लोग 30 सालो से पुजारी का काम कर रहे है मेरे पति बैतूल एवं छिंदवाड़ा जिले के धर्मप्रचारक भी है एवं हम गरीब लोग हमारा गुजारा व निवास गुरूद्वारा ही है लेकिन कुछ लोग जबरदस्ती हमें यहां से निकालना चाहते है। कारण पूछने पर वे लोग कुछ नहीं बताते है वहीं जिले के आला पुलिस अधिकारी से निवेदन भी किया है कि आमला थाना प्रभारी के इस रवैये से मुक्ति दिलाए व मामले की जांच कराकर दोषी पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई की जाए।
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