बैतूल // राम किशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
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खास रिर्पोट सारनी से शेख गफ्फार , नागपुर से रूपेश हजारे बैतूल से रामकिशोर पंवार
बैतूल, कोल इंडिया की सहायक कंपनी वेस्टर्न कोल फिल्ड लिमीटेड की पाथाखेडा स्थित कोयला प्रबंधन पर गर्मी के मौसम में अचानक ओले पडऩे से प्रबंधन की मुश्कीले कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले सीबीआई और फिर राज्य सरकार के राजस्व विभाग की कार्रवाही के बाद पूरा कोयला प्रबंधन को जैसे सांप सुंघ हैं। कंपनी को बकायदा अपने सीज खातों को खुलवाने के लिए आखिरकार बकाया भुगतान करना ही पड़ा।
वेकोलि प्रबंधन ने राजस्व विभाग को 42 करोड़ 62 लाख रुपए चुकाए। तब उसके बैंक खाते पर से रोक हटी और पुलिस चौकी में जप्त शुदा वाहनो को भी राजस्व के कब्जे से मुक्त किया गया। इस सप्ताह के पहले दिन हुई सीजिंग की कार्रवाई के बाद से मची वेकोलि प्रबंधन में खलबली के बाद बीते मंगलवार की देर शाम को वेकोलि हेडक्वार्टर ने राजस्व की बकाया राशि के भुगतान की मंजूरी दे दी थी। इस मंजूरी के बाद पाथाखेड़ा सीजीएम ने कलेक्टर को फैक्स के जरिए हर हाल में 31 मार्च तक बकाया भुगतान करने का भरोसा दिलाया था। उधर पाथाखेड़ा एरिया के फाइनेंस मैनेजर हेडक्वार्टर नागपुर में ही डटे हुए थे। बकाया की राशि आवंटित कराने के साथ ही उन्होंने राजस्व विभाग के नाम ड्राफ्ट भी तैयार करा लिया था।
बीते बुधवार बैंक खुलते ही ड्राफ्ट जमा करा दिया गया। खाते में पैसे जमा होने की बैंक द्वारा प्रमाणिकरण के बाद राजस्व विभाग के लिखित आदेश पर हुआ वेकोलि के सीज किए गए खाता पर लगी रोक को हटा दिया गया। राजस्व विभाग का बकाया भुगतान होने के बाद सीज होकर पाथाखेड़ा पुलिस चौकी परिसर में खड़े वेकोलि के दस वाहन भी मुक्त कर दिए गए हैं। सीज हुए वाहनों में कुछ वाहन ही वेकोलि के निजी थे, जबकि बाकी सभी वाहन अनुबंध पर वेकोलि की सेवा में थे। बताया जाता हैं कि पूरी कार्रवाही यूं न होती यदि सीबीआई ने कोल स्टॉक में हेरफेर की आशंका पर छापा न मारा होता।
बताया जाता हैं कि खनिज विभाग को मध्यप्रदेश ग्रामीण अवसंरचना तथा विकास अधिनियम 2005 के तहत वेकोलि से टैक्स वसूल करने के लिए प्रशासन ने कुर्की की कार्रवाई की थी। अधिनियम लागू होने के तिथि से मार्च 2009 तक वेकोलि पर यह टैक्स का 85 करोड़ 24 लाख 36 हजार रुपए बकाया था। वेकोलि पाथाखेड़ा प्रबंधन को वित्तीय वर्ष के आखिरी दस दिन काफी भारी साबित हुए हैं। 23 मार्च को पाथाखेड़ा की सारनी कोयला खदान में सीबीआई और विजिलेंस की टीम ने छापा मारा था। जिससे दो दिनों तक हड़कंप मचा रहा। वहीं 28 मार्च को राजस्व की बकाया वसूलने जिला प्रशासन ने वेकोलि के खाते सीज कर दिए थे।यहां यह उल्लेखनीय हैं किसप्ताह के पहले दिन हुई चल संपत्ति की कुर्की के बाद से ही वेकोलि प्रबंधन ने राजस्व अधिकारियों से चर्चा करने के साथ ही हेडक्वार्टर से राशि जारी कराने की कवायद भी चल रही थी। राशि के लिए वेकोलि के एरिया फाइनेंस मैनेजर को विशेष तौर पर हेडक्वार्टर नागपुर भेजा गया था। वेकोलि के वरिष्ठ अधिकारी कलेक्टर से मोहलत मांगने में जुटे हुए थे। सूत्रों के मुताबिक वेकोलि प्रबंधन ने कलेक्टर को 31 तारीख तक बकाया 42 करोड़ 62 लाख 18 हजार रुपए जमा कर देने का भरोसा दिलाने की कोशिश की गई।
सूत्रों की माने तो मौखिक तौर पर नहीं मानने पर प्रबंधन ने हेडक्वार्टर से हरी झंडी के बाद कलेक्टर को लिखित में दिया है। मप्र ग्रामीण अवसंरचना तथा विकास अधिनियम 2005 के तहत वेकोलि से टैक्स वसूलने के लिए जिला प्रशासन एक साल से पत्राचार कर रहा था। अधिनियम लागू होने के तिथि से मार्च 2009 तक 85 करोड़ 24 लाख 36 हजार रुपए बकाया था। वेकोलि ने 28 दिसंबर 2010 को बमुश्किल 42 करोड़ 62 लाख 18 हजार रुपए चुकाए थे। नोटिसों के बाद भी बकाया जमा नहीं होने पर राजस्व अधिकारियों ने वेकोलि के खिलाफ मप्र भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 147 का प्रयोग किया। इसके तहत राजस्व अधिकारी बकायादार की चल अचल संपत्तियां कुर्क कर सकते हैं। बीते सप्ताह वेकोलि की पाथाखेडा स्थित कोयला खदानो एवं वीटोमीटर पर सीबीआई एवं एमपीईबी की विजलेंस टीम ने संयुक्त छापमार कार्रवाई की। इस कार्रवाही में भोपाल, जबलपुर और वेकोलि मुख्यालय नागपुर के अधिकारी शामिल हैं। सीबीआई और विजलेंस की टीमों ने सारणी माइन्स पहुंचकर रोड सेल, कोयले का स्टॉक और गे्रड के संबंध में अधिकारियों से पूछताछ की। अधिकारियों द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं दिए जाने पर आवक जावक रजिस्टर सहित महत्वपूर्ण दस्तावेजों को जप्त किया है।
पूरा मामला घटिया कोयला ताप बिजली घर को सप्लाई करने एवं अच्छा कोयला रोडसेल के जरिए बाहर जाने के मामले को लेकर हो रही शिकवा - शिकायतों के बाद उक्त कार्रवाही की गई। पाथाखेडा पहुंची छापामार टीम ने ट्रकों को रोककर उनकी भी बारीकी से जांच की। इस मामले में सब एरिया और खान मैनेजर से पूछताछ की गई। मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय सूत्रों ने बताया कि क्षेत्रीय श्रमिक संगठन और सतपुड़ा ताप विद्युत गृह के अधिकारियों द्वारा नापतौल में गड़बड़ी और कोयले के ग्रेड को लेकर शिकायत की गई थी, जिसके आधार पर अधिकारियों द्वारा छापामारी की गई। इस मौके पर एमपीईबी मुख्यालय जबलपुर के अधिकारी भी मौजूद थे। कोयले के ग्रेड और तौल में करोड़ों रूपए की हेराफेरी होने की संभावना है, जिसको लेकर टीम वेकोलि अधिकारियों से कड़ाई के साथ पूछताछ करने में जुटी हुई है। छापेमारी की जानकारी लगते ही तवा परियोजना सहित अन्य कोयला खदानों के अधिकारी अपने दस्तावेजों को दुरस्थ करने में युद्ध स्तर पर जुट गए हैं। यदि डब्ल्यूसीएल के अधिकारियों के बैंक एकांटों पर भी नजर रखी जाए तो कोयले की हेराफेरी का बड़ा खुलासा हो सकता है।
आठ वर्ष पूर्व डब्ल्यूसीएल के दो अधिकारियों के निवास पर सीबीआई की छापामारी हुई थी। सतपुड़ा ताप विद्युत गृह को कन्वेयर बेल्ट लाइन के जरिए आपूर्ति किए जाने वाले कोयले की नाप तौल का कार्य बैटोमीटर मशीन से किया जाता है, जिसमें भी बड़ी अनियमित्ताएं पाई गई है। वैटोमीटर मशीन को भी संदेह के घेरे में लिया है। सीबीआई भोपाल और विजलेंस नागपुर के अधिकारियों ने खदान की जांच में भारतीय स्टैट बैंक शाखा पाथाखेड़ा, सारणी के अलावा दूर संचार विभाग के अधिकारियों को भी शामिल किया था।
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